जैसलमेर. जिले के सम ब्लॉक के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) पूनम नगर में कार्यरत एक पुरुष नर्स को मंत्री के सामने सच कहने का साहस करने कलेक्टर ने फौरन निलंबित कर दिया. जिसके पश्चात ग्रामीण शुक्रवार को नर्स के निलंबन के विरोध में उतर आए. ग्रामीणों ने पीएचसी पर ताला लगाकर विरोध जताया व प्रदर्शन किया. नर्स ने मंत्री और कलेक्टर के सामने टीकाकरण को लेकर यह कह दिया था कि मुस्लिम समाज के लोग टीकाकरण में रूचि नहीं दिखा रहे हैं.
ग्रामीणों द्वारा पीएचसी पर तालाबंदी की सूचना मिलने पर जैसलमेर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कमलेश चौधरी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों से बातचीत कर मामला सुलझाने का प्रयास किया. ग्रामीणों ने मंगलवार तक पुरुष नर्स को पुनः प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पूनम नगर पर लगाने की मांग की है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा ग्रामीणों की मांग जिला कलेक्टर तक पहुंचाने के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने अस्पताल का ताला खोला.
जानकारी के अनुसार गुरुवार को कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद और जिला कलेक्टर आशीष मोदी पूनम नगर पीएचसी का औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे. निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने कर्मचारियों को कोरोना वैक्सीनेशन के बारे में पूछा. जबाव में पुरुष नर्स ने कहा कि यहां मुस्लिम समाज के लोग टीका लगवाने नहीं आते. ऐसा कहने पर जिला कलेक्टर ने मंत्री के सामने ही नर्स को फटकार लगा दी और निलंबित करने के निर्देश दे दिए. इस दौरान कलेक्टर ने नर्स को खूब फटकार लगाई. हालांकि स्वास्थ्य कर्मी ने हाथ जोड़कर मांफी मांगी, लेकिन कलेक्टर ने कहा कि उपचार धर्म देखकर नहीं किया जाता. कर्मचारी को हटाने के सवाल पर कलेक्टर ने कहा कि वैक्सीनेशन के बारे में पूछने पर वह धार्मिक टिप्पणी कर रहा था, इसलिए कर्मचारी को निलंबित किया है.
उधर, कलेक्टर के मौखिक निर्देश के बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कमलेश चौधरी ने गुरुवार रात को ही आदेश जारी कर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पूनमनगर के मोहन पटेल को तुरन्त प्रभाव से निलंबित कर दिया था. आदेश में कहा गया कि गुरुवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पूनमनगर में जिला कलेक्टर के समक्ष कोरोना टीकाकरण के संबंध में जाति विशेष टिप्पणी करने पर इन्हें राज्य सेवा से निलंबित किया गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केवल पूनम नगर और कुछला में ही कुछ हिन्दू आबादी है. जबकि पीएचसी के क्षेत्र में आने वाले 14 गांवों में मुस्लिम जनसंख्या ही है. यदि तुलनात्मक आंकड़े देखें तो इन 14 गांव के लोगों ने टीकाकरण में कोई रुचि नहीं दिखाई, जबकि हिंदू आबादी में टीकाकरण का प्रतिशत 80 है. इस घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है.