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महाकुम्भ नगर, प्रयागराज। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि सनातन परंपरा को बचाए रखने में हमारे वनवासी समाज का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इसी ज्ञान – संस्कार, परंपरा के संवर्धन के लिए जनजाति क्षेत्र के संतों को अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा प्रयागराज महाकुम्भ में आयोजित जनजाति समागम का आज संत समागम के साथ समापन हुआ। इस अवसर पर प्रमुख मार्गदर्शक के नाते सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने संबोधित किया। संत समागम में वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह जी, गंगाधर जी महाराज, और दादू दयाल जी उपस्थित रहे।
सरकार्यवाह जी ने कहा कि हिन्दुत्व, भारतीय, सनातन परंपरा के सामने आज विदेशी विचारधारा थोपने और धर्मांतरण जैसे संकट खड़े हैं। इन संकटों का सामना करते हुए जनजाति संतों ने सुदूर वन क्षेत्र में अनथक प्रयास किए। उनके इसी प्रयास के कारण आज हिन्दू धर्म जीवित है। आने वाले समय में पर्यावरण, अनुसंधान, शिक्षा, संस्कार, धर्म जागरण और सेवा के माध्यम से जनजाति समाज में जागृति लाकर अपने समाज की एकता और अस्तित्व को बनाए रखने के लिए अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। कल्याण आश्रम इसी दिशा में कार्यरत है। जनजाति क्षेत्र के सभी संतों को कल्याण आश्रम को सहयोग देकर सनातन संस्कृति को मजबूत करने का काम करना चाहिए।
समागम में देशभर के विविध प्रांतों से 77 जनजाति समाज के संत – महंत उपस्थित रहे। संतों ने जनजाति क्षेत्र में कार्य करते हुए आने वाली चुनौतियां एवं परिस्थितियों के बारे में अपने अनुभव साझा किए।
संत समागम की प्रस्तावना कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह जी ने रखी। अपने जनजाति समाज को तोड़ने के विभिन्न प्रयास देश के जनजाति क्षेत्र में चल रहे हैं। इन प्रयासों को विफल करने के लिए सभी साधु संतों को आगे आकर प्रयास करने की आवश्यकता है।
उपस्थित सभी साधु संतों का उत्तर प्रदेश सरकार की कुम्भ मेला समिति द्वारा भेंट वस्तु देकर सम्मान किया गया।