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समाज की विभिन्न संस्थाओं ने ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी को अर्पित की श्रद्धांजलि

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जम्मू. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जम्मू कश्मीर के प्रांत संघचालक स्व. ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी को शनिवार को समाज की विभिन्न संस्थाओं और संगठनों ने श्रद्धांजलि अर्पित की. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से कोविड दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए सीमित संख्या में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया था. ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी का 13 जनवरी को निधन हो गया था. ब्रिगेडियर सुचेत सिंह की जीवन पर 10 मिनट के वृत्तचित्र का भी प्रदर्शन किया गया.

ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख रमेश पप्पा जी, उत्तर क्षेत्र व्यवस्था प्रमुख पुरुषेत्तम दधीचि जी, उत्तर क्षेत्र के क्षेत्र कार्यवाह विजय जी, प्रांत सह संघचालक डॉ. गौतम मैंगी जी, प्रांत कार्यवाह डॉ. विक्रांत जी, विश्व हिन्दू परिषद के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट लीला करण शर्मा जी, केंद्रीय पीएमओ राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह जी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना जी, सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर राकेश शर्मा जी, महंत रामेश्वर दास जी, गंगाधर शास्त्री जी, स्कॉस्ट विश्वविद्यालय के उप कुलपति डॉ. जेपी शर्मा, ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी ज्येष्ठ पुत्री शालिनी, उनके परिवार के अन्य सदस्य, प्रांत प्रचारक रुपेश कुमार और सह प्रांत प्रचारक मुकेश कुमार आदि पदाधिकारी सम्मिलित थे.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख रमेश पप्पा जी ने श्रद्वांजलि अर्पित करते हुए कहा कि ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद संघ के संपर्क में आए. ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी का मानना था कि पहले जो काम उन्होंने सेना में किया था, अब वही संघ में करते थे. वह कहते थे कि जिस प्रकार सेना में राष्ट्र प्रथम होता है, वही काम संघ भी कर रहा है. रमेश पप्पा जी ने कहा कि ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी हम सबके एक आदर्श थे, हम उनके जीवन से हमेशा प्रेरणा लेते रहेंगे और उनके कार्य भी हमें प्रेरित करते रहेंगे. संघ में एक ग्रहस्थ कार्यकर्ता की क्या भूमिका रहती है, ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण थे.

उत्तर क्षेत्र कार्यवाह विजय जी ने भावांजलि अर्पित करते हुए कहा कि ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी एक तपस्वी की तरह अपने ध्येय की ओर जीवन भर आगे बढ़ते रहे. अगर इसे श्रद्धांजलि की जगह प्रार्थना अथवा प्रेरणा सभा कहेंगे तो यह गलत नहीं होगा. क्योंकि ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी का जीवन समूचे समाज को प्रेरित कर गया. ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी ने सेना में तो अपने दायित्व निभाया ही था, लेकिन संगठन में उनका काम हमेशा प्रेरणादायक रहेगा. उत्तर क्षेत्र व्यवस्था प्रमुख पुरुषोत्तम दधीचि जी ने ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वह सही मायनों में जन्मजात स्वयंसेवक थे. संघ में तो वह सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद आए, लेकिन उनकी जीवनी पर अगर कोई प्रकाश डाले तो हमेशा से उनकी गतिविधियां स्वयंसेवक जैसी रही.

विश्व हिन्दू परिषद के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट लीला करण शर्मा जी ने ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके साथ श्री अमरनाथ भूमि आंदोलन के समय बिताए पलों को याद किया. वर्ष 2008 में इसी आंदोलन के माध्यम से ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी के संपर्क में आए थे, उसके बाद वह प्रांत संघचालक बने तो निरंतर मिलना होता रहा. उन्होंने बताया, किस प्रकार ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी ने उनको श्री अमरनाथ संघर्ष समिति के आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए तैयार किया था. इसलिए ईश्वर कुछ ऐसे लोगों को समाज में भेजता है जो हमेशा याद रहते हैं और ब्रिगेडियर जी जैसे व्यक्तित्व को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता.

प्रांत सह संघचालक डॉ. गौतम मैंगी जी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज वह एक पुण्यात्मा का स्मरण कर रहे हैं. 2006 में वह श्री गुरुजी जन्मशताब्दी के अवसर पर ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी के संपर्क में आए थे. संघ में अपने कार्यकाल के भीतर उन्होंने समूचे प्रांत का प्रवास किया था. डॉ. गौतम मैंगी जी ने कहा कि उनके भीतर सेवाभाव इतना था कि एक बार उन्होंने अपने सैन्य जीवन में अपनी माता के अस्वस्थ होने के कारण अपनी पदोन्नति तक छोड़ दी थी. ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी की प्रेरणा सदैव हमारे साथ रहेगी.

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह जी ने ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज की इस तेज रफ्तार जिंदगी में और अफरातफरी के जमाने में या कई बार कुछ बददिमागी दृश्य देखने को मिलते हैं, ऐसे में और इस सब के बीच यदि फिर भी समाज जिंदा है, समाज की मान्यता और मूल्य जिंदा हैं, समाज की आत्मा जीवित है, शायद सिर्फ इसलिए कि आज भी समाज में ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी जैसे लोग हुआ करते हैं. ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी को करीब से देखने का मौका मिला, उनके साथ करीब से काम भी किया. अमरनाथ भूमि आंदोलन के दौरान भी उनके साथ काम किया, उनके बारे में यह कहा जा सकता है कि वह जिस भी जिम्मेवारी पर रहे सेना में अथवा संघ में, मर्यादा के सर्वोच्च मापदंडों का पालन उन्होंने किया. उन मापदंडों के साथ कभी समझौता न करते हुए उन्होंने हर दायित्व को निभाया. उदाहरण देते हुए कहा कि जब अमरनाथ भूमि आंदोलन के बाद भाजपा जम्मू संभाग की दोनों लोकसभा सीटें हार चुकी थी तो दिल्ली में चर्चा चली कि राज्यसभा में अब जम्मू का प्रतिनिधित्व होना चाहिए. डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें सबसे सही नाम ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी का लगा तो उनका नाम आगे बढ़ा दिया. जब ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी को यह जानकारी मिली तो तुरंत उन्होंने मुझे फोन कर कहा कि वह संघ और संगठन के काम में लगे हैं, इसका गलत संदेश जाएगा, उनकी ऐसी कोई इच्छा नहीं है. उनसे बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला. जिस आचरण का वह पालन करते रहे और जो मापदंड उन्होंने स्थापित किए, उन पर पूरी तरह अमल करना इतना सरल नहीं, यदि मन में यह प्रयास रहे उसका अनुकरण करना है तो मुझे लगता है कि वह भी अपने में एक ब्रिगेडियर जी को श्रद्धांजलि रहेगी.

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना ने ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी को नमन करते हुए कहा कि उनके साथ लंबे समय तक कार्य करने का अवसर अमरनाथ भूमि आंदोलन के समय मिला था. वह एक अनुशासित और वीर सैनिक थे. संघ कार्य में भी उनकी भूमिका एक सैनिक जैसी रही. उन्होंने हमेशा देश और धर्म के प्रति समाज का मार्गदर्शन किया. सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर राकेश शर्मा ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी के सैन्य जीवन पर प्रकाश डाला और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पुंछ सेक्टर में उनकी भूमिका का उल्लेख किया. महंत रामेश्वर दास जी ने ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका व्यक्तित्व साहसी और निडर था. वह हमेशा समाज की सेवा में जुटे रहे. अंत में ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी की ज्येष्ठ पुत्री शालिनी ने समस्त समाज का उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करने के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी माता सरिता सिंह जी ने हमेशा उनके पिता का संघ कार्य में पूर्ण सहयोग किया. ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी ने कभी भी अपने पद का अभिमान नहीं किया, वह कहते थे कि जिस दिन काम नहीं, उस दिन जीवन नहीं. हमारी यही प्रार्थना है कि वह जहां भी हों, हमारा मार्गदर्शन करते रहें.

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