5 जनवरी को विजयवाडा से होगा मन्दिरों के सरकारी नियंत्रण से मुक्ति का शंखनाद
नई दिल्ली. हिन्दू मन्दिरों की सरकारी नियंत्रण से मुक्ति हेतु विश्व हिन्दू परिषद ने गुरुवार को देश व्यापी जन-जागरण अभियान की घोषणा कर दी. विश्व हिन्दू परिषद के संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने प्रेस वार्ता में कहा कि अब सभी राज्य सरकारों को मंदिरों के नियंत्रण, प्रबंधन और दैनंदिनी कार्यों से स्वयं को अविलंब अलग कर लेना चाहिए क्योंकि उनका यह कार्य हिन्दू समाज के प्रति भेदभाव पूर्ण है. पूज्य संतों और हिन्दू समाज के श्रेष्ठ लोगों के नेतृत्व में 5 जनवरी से एक देश व्यापी जन जागरण अभियान को प्रारम्भ करने जा रहे हैं. इस अखिल भारतीय अभियान का शंखनाद आन्ध्र प्रदेश के विजयवाडा में आयोजित ‘हैंदव शंखारावम’ नामक विशेष व विराट समागम में होगा.
विहिप संगठन महामंत्री ने कहा कि, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की स्वाधीनता के उपरांत जिस हिन्दू-द्रोही काम पर विराम लग जाना चाहिए था, अर्थात मंदिरों को हिन्दू समाज को सौंप देना चाहिए था, एक के बाद एक अनेक राज्य सरकारें संविधान के अनुच्छेद 12, 25 और 26 की अनदेखी करती रहीं. जब कोई मस्जिद या चर्च उनके नियंत्रण में नहीं तो भला हिन्दुओं के साथ ही यह भेदभाव क्यों. अनेक माननीय उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए स्पष्ट संकेतों के बावजूद भी सरकारें मंदिरों के प्रबंधन व सम्पत्तियों पर कब्ज़े जमा कर बैठी रहीं.
मंदिरों के प्रबंधन और नियंत्रण का कार्य अब हिन्दू समाज के निष्ठावान व दक्ष लोगों को सौंप देना चाहिए. इस बारे में हमने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिष्ठित वकीलों, उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों, पूज्य संतों तथा विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं को मिलाकर एक चिंतन टोली बनाई है, जिसने मंदिरों के प्रबंधन व उससे जुड़े किसी भी प्रकार के विवाद के निस्तारण हेतु अध्ययन कर एक प्रारूप तैयार किया है.
इसमें यह भी है कि जब सरकारें मंदिर समाज को लौटाएंगी तो स्वीकार कैसे करेंगे और किस प्रावधान के अंतर्गत करेंगे. इसीलिए कुछ संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा पूज्य संतों, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ती तथा सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों के साथ समाज के प्रतिष्ठित लोग, जो हिन्दू शास्त्रों और आगम विधियों के ज्ञाता हैं, ऐसे लोगों को एकत्र कर राज्य स्तर की एक धार्मिक परिषद बनाएंगे. यह राज्य स्तरीय परिषद जिला स्तरीय परिषद् व मंदिर के न्यासियों का चुनाव करेगी. जिसमें अनुसूचित जातियों और जनजातियों के साथ समाज के विविध वर्गों का सहभाग होगा. विवादों के निस्तारण के लिए एक प्रक्रिया निश्चित की जाएगी. ऐसे प्रस्तावित कानून का एक प्रारूप गत सप्ताह ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से मिलकर उनके विचारार्थ सौंपा है. ऐसी ही चर्चा अन्य राज्य सरकारों तथा विविध राजनैतिक दलों से भी चल रही है.
इससे पूर्व गत 30 सितम्बर को विहिप ने देश के सभी राज्यों के राज्यपालों को ज्ञापन सौंप कर उनकी सरकारों को मंदिरों के प्रबंधन से हट जाने के लिए निवेदन किया था. मंदिरों की मुक्ति के इस अखिल भारतीय जागरण अभियान के अन्तर्गत मंदिरों की चल-अचल सम्पत्तियों की रक्षा तथा उनके योग्य विनियोग – समाज की सेवा तथा धर्म प्रचार हेतु करने के लिए हिन्दू समाज का जागरण प्रारम्भ हो गया है.
मन्दिरों को हिन्दू समाज को सौंपने से पूर्व हमारा आग्रह है कि:
– मंदिरों व एडोमेंट विभाग में नियुक्त सभी गैर हिन्दुओं को निकाला जाए.
– भगवान की पूजा, प्रसाद व सेवा में आस्था रखने वाले हिन्दुओं को ही लगाया जाए.
– मंदिर के न्यासियों व प्रबन्धन में किसी राजनेता या किसी राजनैतिक दलों से जुड़े व्यक्तियों को ना रखा जाए.
– मंदिर के अंदर और बाहर के हिस्सों में सिर्फ़ हिन्दुओं की ही दुकानें हों.
– मंदिर की ज़मीन पर गैर हिन्दुओं द्वारा बनाए हुए तथा अन्य सभी अवैध निर्माणों को हटाया जाना चाहिए.
– मंदिरों की आय को सिर्फ़ हिन्दू धर्म के प्रचार और उससे जुड़े विषयों पर ही खर्च किया जाए. सरकारी कार्यों में कदापि नहीं.