नई दिल्ली. विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने फर्जी खबरें चलाकर हिन्दू व राष्ट्रीय विचार के संगठनों को बदनाम करने वाले समाचार पत्र व न्यूज़ पोर्टल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई प्रारंभ की है. विहिप ने अलवर में तीन साल पहले रकबर खान की हत्या के मामले में गिरफ्तार एक आरोपी का संबंध विहिप से बताने पर इंडियन एक्सप्रेस’, ‘आउटलुक इंडिया’, ‘द प्रिंट’, ‘न्यूज क्लिक’, ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ को कानूनी नोटिस भेजा है.
सेकुलर मीडिया हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को बदनाम करने को हमेशा तत्पर रहता है. किसी भी घटना में मुसलमान या ईसाई की मृत्यु होने पर सेकुलर पत्रकार बिना ठोस जानकारी के संगठन का नाम ले लेते हैं. नया मामला 20 जून का है. इसमें अंग्रेजी समाचार पत्र ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के साथ-साथ न्यूज पोर्टल ‘द वायर’, ‘आउटलुक इंडिया’, ‘द प्रिंट’, ‘न्यूज क्लिक’ ने एक व्यक्ति की गिरफ्तारी का समाचार प्रकाशित किया, और उसका संबंध विश्व हिन्दू परिषद से जोड़ दिया. व्यक्ति का नाम नवल किशोर शर्मा है. नवल किशोर की गिरफ्तारी तीन साल पहले राजस्थान के अलवर में गौ तस्कर रकबर (अकबर) खान की हत्या के सिलसिले में हुई है. उपरोक्त सभी ने लिखा कि नवल किशोर शर्मा विश्व हिन्दू परिषद का कार्यकर्ता है, जबकि विश्व हिन्दू परिषद ने स्पष्ट कहा कि वह विहिप कार्यकर्ता नहीं है. हां, वह अपने कुछ दोस्तों के साथ गौरक्षा का काम करता है.
‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने 20 जून के अंक में पृष्ठ छह पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें नवल किशोर शर्मा को विश्व हिन्दू परिषद से संबंधित बताया.
विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल ने बताया कि जब इस समाचार के संबंध में ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के मुख्य संपादक राजकमल झा से बात की तो उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों का कहना था कि नवल विश्व हिन्दू परिषद से जुड़ा हुआ है और उसी आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है. ऐसे ही न्यूज पोर्टल ‘द वायर’, ‘आउटलुक इंडिया’, ‘द प्रिंट’, ‘न्यूज क्लिक’ ने भी फर्जी तथ्य को प्रमुखता से उठाया.
विहिप ने ने कहा कि नवल का उसके साथ कोई संबंध नहीं है. इसलिए विश्व हिन्दू परिषद के अखिल भारतीय प्रचार-प्रसार प्रमुख विजय शंकर तिवारी ने इन सभी को 27 जून को कानूनी नोटिस भेजा है.
विनोद बंसल ने कहा कि पहले यह समाचार पीटीआई ने जारी किया. इसके बाद कई चैनलों, समाचार पत्रों और न्यूज पोर्टल ने तथ्यों की जानकारी लिए बिना प्रमुखता से छाप दिया. पीटीआई झूठी खबरों की फैक्ट्री बनती जा रही है. पीटीआई को भी कानूनी नोटिस भेजने पर विचार किया जा रहा है.
बताया कि लल्लन टाप, आजतक और टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी खबर को प्रकाशित किया था, लेकिन जब उनसे कहा गया कि यह गलत है, तो उन्होंने उसे तुरंत सुधार दिया. इसलिए इन मीडिया संस्थानों को नोटिस नहीं दिया गया है.
इससे पहले लंदन से प्रकाशित होने वाले ‘द गार्जियन’ को भी जून में एक नोटिस भेजा था. ‘द गार्जियन’ के 4 जून, 2021 के अंक में अनीश कपूर की एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी. इसमें लिखा था कि सेन्ट्रल विस्टा की आड़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदुत्व के एजेंडे को लागू कर रहे हैं, क्योंकि इसके लिए कई मस्जिदें टूटने वाली हैं. इस खबर पर विहिप ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए ‘द गार्जियन’ को नोटिस भेजा था.
28 दिसंबर, 2020 को ‘वाल स्ट्रीट जनरल’ को भी नोटिस भेजा था. इसने 13 दिसंबर, 2020 के अंक में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा था कि फेसबुक बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की भड़काउ पोस्ट को इसलिए नहीं हटा पा रही है कि उसे डर लग रहा है कि यदि ऐसा किया तो बजरंग दल के कार्यकर्ता उसके दफ्तर पर हमला कर देंगे. लेकिन फेसबुक ने इन बातों को निराधार बताया था.