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महाकुम्भ नगर, प्रयागराज। महाकुम्भ मेला क्षेत्र स्थित विश्व हिन्दू परिषद के शिविर में चल रही त्रि-दिवसीय बैठक रविवार को हिन्दू मंदिरों की सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के संकल्प के साथ पूरी हुई। बैठक में उपस्थित देश – विदेश के 950 प्रतिनिधियों ने मिलकर मंदिरों की सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के लिए रणनीति बनाई है। इस बारे में विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि मंदिर मुक्ति आंदोलन के प्रथम चरण में विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता अन्य हिन्दू संगठनों के साथ मिलकर प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर मांग करेंगे कि सरकारें हिन्दू मंदिरों को हिन्दू समाज को सौंपे।
उत्तर भारत और दक्षिण भारत में बड़ी जनसभाएं कर अपनी आवाज उठाई जाएगी।
आंदोलन के दूसरे चरण में प्रत्येक राज्य की राजधानी व महानगरों में बुद्धजीवी समाज की सभाएं कर व्यापक जन समर्थन जुटाया जाएगा।
जिन राज्यों में यह समस्या ज्यादा विकट है, वहां आगामी विधानसभा सत्र के दौरान हमारे कार्यकर्ता विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों से मिलकर वहां के राजनीतिक दलों पर मंदिरों की मुक्ति हेतु दबाव बनाएंगे।
विहिप अध्यक्ष ने बताया कि बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि मंदिरों को अपने नियमित कामकाज के संचालन हेतु अधिकतम स्वतंत्रता होनी चाहिए। मंदिर प्रबंधन में किसी भी प्रकार का बाहरी नियंत्रण अब स्वीकार्य नहीं होगा।
मंदिर मुक्ति आंदोलन में हम केवल उन्हीं मंदिरों की बात कर रहे हैं जो अभी तक सरकारी नियंत्रण में हैं, अन्य मंदिरों की नहीं।
आलोक कुमार ने कहा कि हमारा मत है कि मंदिर के पैसों को केवल हिन्दू कार्यों के लिए खर्च किया जाना चाहिए। इस संबंध के कानून में पूरी तरह से पारदर्शी बही-खाते और अंकेक्षण की व्यवस्था होगी।
मंदिरों के संचालन में संपूर्ण हिन्दू समाज की सहभागिता और मंदिरों के लिए बने ट्रस्ट में अन्य लोगों के साथ महिलाओं व अनुसूचित समाज का प्रतिनिधित्व भी होगा।
मंदिरों के अर्चकों, पुरोहितों व अन्य कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन व भत्तों में कोई कमी नहीं की जाएगी और किसी भी हालत में उनका वेतन उस राज्य के लिए निर्धारित न्यूनतम वेतन से काम नहीं होगा।
उन्होंने यह भी बताया कि विहिप प्रतिनिधि जब मुख्यमंत्रियों को मिलने जाएंगे तो वह अपने साथ उस राज्य के लिए प्रस्तावित कानून का एक प्रारूप भी उनको सौंपेंगे।
बैठक में देश भर के सभी प्रांतों के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, हॉंगकॉंग, मॉरीशस, दक्षिणी अफ्रीका, फ्रांस, थाईलैंड, श्रीलंका, नेपाल बांग्लादेश, गुयाना जैसे अनेक देशों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
बैठक में पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, नागरिक कर्तव्य, स्वदेशी व स्व का बोध जैसे पांच परिवर्तनों को भी जनमानस के आचार व्यवहार और संस्कारों का हिस्सा बनाने का संकल्प लिया गया। विश्व भर में हिन्दू समाज से जुड़े अन्य ज्वलंत मुद्दों पर भी विस्तार से विचार विनिमय हुआ।
बैठक में युग पुरुष पूज्य स्वामी श्री परमानंद जी महाराज व बौद्ध लामा पूज्य श्री चोस फेल ज्योतपा जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी, विहिप के पालक अधिकारी भय्याजी जोशी भी उपस्थित रहे।