शिमला, हिमाचल प्रदेश.
विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान, देश भर में बिना सरकारी सहायता के शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग करने वाला सबसे बड़ा संगठन है, जिसके माध्यम से देश भर में लगभग 22000 विद्यालय संचालित होते हैं. जिनमें 12500 से अधिक औपचारिक विद्यालय हैं. समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा भी है, जिसे अभी भी शिक्षा एवं संस्कार की आवश्यकता है, अर्थात जो जनजाति क्षेत्र हैं, पर्वतीय क्षेत्र तथा अन्य चुनौतीपूर्ण क्षेत्र हैं, जहाँ शिक्षा की व्यवस्था हेतु शासकीय या निजी विद्यालय नहीं हैं क्योकि वहां के निवासियों की शुल्क देने की क्षमता नहीं है. देश में 9400 से अधिक ऐसे विद्यालय संचालित होते हैं, जिनमें विद्या भारती द्वारा कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता है. अगले वर्ष की कार्य योजना बनाने एवं पिछले वर्ष की समीक्षा करने हेतु वर्ष भर में दो बार विद्या भारती की अखिल भारतीय कार्यकारिणी व साधारण सभा की बैठक आयोजित की जाती है. इस वर्ष की अखिल भारतीय कार्यकारिणी समिति बैठक शिमला में 20, 21 एवं 22 सितंबर 2024 को आयोजित की जा रही है, जिसमें देशभर के सभी क्षेत्रों एवं प्रांतों के अध्यक्ष, मंत्री, संगठन मंत्री और केन्द्रीय विषयों के संयोजक का दायित्व संभालने वाले कार्यकर्ता उपस्थित रहने वाले हैं.
विद्या भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष डी. रामकृष्ण राव ने वीरवार को शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि तीन दिवसीय बैठक में कुछ प्रमुख विषय जैसे – आगामी वर्ष की कार्य योजना, विस्तार और विकास की योजना, 2027 में विद्या भारती के काम को चलते हुए 75 वर्ष पूरे होने वाले हैं, अमृत महोत्सव किस प्रकार मनाया जाना है, उसकी योजना, साथ ही अभी तक जिन क्षेत्रों में हम नहीं पहुंचे हैं, उनमें भी पहुंचने की योजना बनाना.
पूरे देश में ऐसा कोई राज्य नहीं है, जिसमें विद्या भारती के विद्यालय नहीं है. कश्मीर, लेह – लद्दाख से कन्याकुमारी तक, कच्छ से मिजोरम तक, सभी राज्यों में विद्या भारती के विद्यालय संचालित हैं. केन्द्र शासित प्रदेशों में से केवल लक्षद्वीप है, जहां हमारा कोई विद्यालय संचालित नहीं है. वर्तमान में संचालित 22000 विद्यालयों में 1,44,000 से अधिक आचार्य बंधु – भगिनी 33 लाख से अधिक छात्रों के जीवन का निर्माण करने का कार्य कर रहे हैं.
विद्या भारती में छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु पंचकोशात्मक विकास की अवधारणा को अपनाया जाता है, जिसमें शरीर के विकास के लिए शारीरिक शिक्षा, प्राणशक्ति विकास के लिए योग शिक्षा, मानसिक शक्ति के विकास के लिए संगीत की शिक्षा, बौद्धिक विकास के लिए संस्कृत की शिक्षा और व्यवहारात्मक विकास के लिए नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा. इन पांच आधारभूत विषयों के आधार पर सर्वांगीण विकास किया जाता है. वर्तमान युवा पीढ़ी को निराशा, कुंठा, अवसाद तथा नशा आदि की समस्याओं का सामना करने में यह पाठ्यक्रम सहायता करते हैं.
वैदिक गणित के सूत्रों के माध्यम से गणित की सभी विधाओं के प्रश्नों को हल करने की पद्धति को सिखाने के साथ अखिल भारतीय स्तर तक गणित मेला तथा छात्रों में वैज्ञानिक अभिरुचि जाग्रत करने के लिए अखिल भारतीय विज्ञान मेला का आयोजन किया जाता है. स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SGFI) द्वारा विद्या भारती को राज्य की मान्यता दी गई है, जिसमें प्रतिवर्ष हमारे छात्र कीर्तिमान स्थापित करते हैं. कौशल विकास की महत्ता को देखते हुए 5 जनशिक्षा केन्द्र, लगभग इतने ही औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान भी संचालित हैं. सीबीएसई (CBSE) से सम्बद्ध विद्यालयों की संख्या 328 है, जिनमें 3,33,000 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं.
विद्यालयों तथा आचार्य की शैक्षणिक गुणवत्ता विकास के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम निरंतर आयोजित होते हैं. विद्या भारती द्वारा 8 सैनिक विद्यालयों का भी संचालन किया जाता है. विद्या भारती उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी कार्य करती है. देश में 60 महाविद्यालय तथा एक विश्वविद्यालय संचालित है, जिनमें 20,000 से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. सहयोगी महाविद्यालयों की संख्या 350 से अधिक है. तीन दिवसीय बैठक में अनेक विषयों पर चर्चा होने वाली है.