जालंधर. पंजाब में ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों में तेजी पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक समिति (एसजीपीसी) ने चिन्ता व्यक्त करते हुए इनका मुकाबला करने का फैसला लिया है. प्रदेश में सोशल मीडिया चल रहे मतांतरण के वीडियो के बाद एस.जी.पी.सी. ने गम्भीरता से विचार किया.
एसजीपीसी को सिक्खों की लघु संसद भी कहा जाता है. इसका कार्य सिक्ख पंथ के प्रचार-प्रसार के साथ ही राह भटके लोगों को राह दिखाना, धार्मिक निर्णय लेना इत्यादि है. लेकिन, प्रदेश में बढञती मतांतरण की घटनाओं को लेकर एस.जी.पी.सी. की चुप्पी को लेकर सवाल उठ रहे थे.
अब एस.जी.पी.सी. ने ‘घर-घर अन्दर धर्मसाल’ अभियान आरम्भ किया है. ईसाई प्रचारक जिस प्रक्रिया द्वारा सिक्खों को बरगला रहे हैं, अब उसी का उपयोग सिक्ख पंथ को बचाने के लिए किया जाएगा. इसके लिए पारम्परिक माध्यमों का भी प्रयोग किया जा रहा है. राज्य के ग्रामीण इलाकों में विशेष ध्यान दिया जा रहा है. एस.जी.पी.सी. की अध्यक्षा बीबी जागीर कौर ने कहा कि अभियान से न सिर्फ अपने पंथ को लेकर आस्था अडिग होगी, बल्कि सिक्ख युवा अपने इतिहास और संस्कृति पर गर्व करेंगे. रिपोर्ट्स के अनुसार अभियान के तहत एस.जी.पी.सी. की 150 टीमों को विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा गया है.
टीमें हर गाँव में एक सप्ताह के लिए रुकेंगी और प्रत्येक परिवार के दरवाजे पर जाकर सिक्ख साहित्य का वितरण करेंगी. शाम के समय गांव के बच्चों को स्थानीय गुरुद्वारा में एकत्रित किया जाएगा और उन्हें गुरुबाणी का सही उच्चारण सिखाया जाएगा. उनमें सिक्खों के इतिहास, संस्कृति और दर्शन की जानकारी दी जाएगी. उपदेशकों द्वारा दीवान (धार्मिक समारोह) का आयोजन किया जाएगा. फिर ढाढी (सिक्खों का इतिहास बताता हुआ गायन करने वाला जत्था) का आयोजन होगा. अन्तिम दिन ‘अमृत संचार’ कार्यक्रम होगा. गांव के लोगों को बुलाकर बातचीत की जाएगी. सिक्ख मिशनरी कॉलेजों के माध्यम से टीमों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य है.
कहा जा रहा है कि एस.जी.पी.सी. की निष्क्रियता के कारण ही पंजाब के लगभग हर गांव में चर्च बन चुकी हैं या बन रहे हैं. जालन्धर, लुधियाना, सहित अन्य बड़े शहरों के चर्च में तो हर रविवार हजारों लोग जुटते हैं, जिनमें अधिकतर संख्या केशधारी सिक्खों की रहती है. हाल ही में सोशल मीडिया पर बहुत से वीडियो वायरल हुए, जिनमें सिक्ख बच्चों, केशधारी सिक्खों का बपित्समा करवाया जा रहा है. लोगों का कहना है कि एस.जी.पी.सी. ने पंजाब में ईसाई मतांतरण के खतरों को देखते हुए कुछ नहीं किया.
मतांतरण के कार्य में विदेशी फंडिंग की बात भी सामने आ चुकी है. राज्य के दलितों को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है. 26 जुलाई, 2021 को ‘अकाल तख्त’ के कार्यक्रम में भी ये विषय उठा था. जत्थेदार ज्ञानी हरजीत सिंह ने कहा था कि हम किसी को अपने पंथ में आने का लालच नहीं देते, ऐसे में किसी को दबाव बना कर सिक्खों को मतांतरित करने का अधिकार नहीं है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में हो रहे मतांतरण पर चिन्ता जता चुका है. धर्म जागरण विभाग के प्रदेश संयोजक जितेन्द्र कुमार का कहना है कि पूरे समाज को इस दिशा में बहुत कुछ करने की आवश्यकता है.