जमशेदपुर. प्रधानमंत्री ने कुछ माह पहले लोकल के लिए वोकल होने का नारा दिया था. प्रधानमंत्री के आह्वान से प्रभावित होकर पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर की सात महिलाओं ने स्वरोजगार शुरू किया. महिलाएं मिट्टी के बर्तनों पर झारखंड की चित्रकारी कर बेचनें लगीं. आज उनका कारोबार तेज से आगे बढ़ने लगा है. स्वयं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के साथ ही दूसरों को भी राह दिखा रही हैं.
महिलाएं घर में ही रह कर मिट्टी के बर्तन पर पेंटिंग और चित्रकला का गुर सिखाकर अन्य को स्वावलंबी बनाने का काम कर रही हैं. महिलाओं के समूह में कोई पुरुष नहीं है. संचालक, कलाकार से लेकर बिक्री करने तक का काम महिलाएं स्वयं संभाल रही हैं.
मिट्टी क्राफ्ट की संस्थापक सदस्य प्रतिमा मुंडा कहती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश था कि लोकल के लिए वोकल बनो, मतलब स्वदेशी लाओ और चीन के सामान का बहिष्कार करो. इस सोच को वह जमीन पर उतार चुकी हैं.
करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज के पास एक बड़े हॉल में महिला कलाकार पेंटिंग कर रही हैं, जबकि बर्तन बनाने के लिए एक कुम्हार को रखा गया है. रोजगार के साथ ही आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है. आज एक से बढ़कर एक सुंदर मिट्टी के गमले, गुलदस्ते, गिलास से लेकर सजावटी सामग्री बाजार में बिक रही है. चारों ओर से इसकी मांग हो रही है. अब तक कई बड़े लोग 50 से 100 गमलों का आर्डर दे चुके हैं.
प्रतिमा मुंडा कहती हैं कि इस काम को दो माह पूर्व शुरू किया. दो माह में कुम्हार को बर्तन बनाने के एवज में प्रत्येक माह 15-20 हजार रुपये भुगतान किया. मिट्टी क्राफ्ट की सदस्य नालिनी सिन्हा कहती हैं कि गमला, गिलास, घर सजाने के लिए विभिन्न प्रकार के मिट्टी के बर्तन पर एक से बढ़कर एक झारखंडी कला को दर्शाया गया है. दस दिन पूर्व रेड क्रास सोसायटी के पास अपने बर्तन को बिक्री के लिए रखा था. सभी हाथों- हाथ बिक गए. उनके पास 200 रुपये से 12 सौ रुपये तक के मिट्टी के आकर्षक बर्तन हैं. नालिनी कहती हैं कि अभी केवल खर्च निकल रहा है, लाभ की पूंजी बर्तन के रूप में जमा है. भविष्य में दूसरे शहरों में भी प्रदर्शनी लगाई जाएगी. मिट्टी क्राफ्ट की सात महिला सदस्यों में प्रतिमा मुंडा, नालिनी सिन्हा, नीकिता कुमारी, निक्की शर्मा, पूनम बोयपाइ, लक्खी दास तथा सुषमा देवी शामिल हैं.