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महाकुम्भ क्षेत्र में स्नानार्थियों की सेवा में स्वयंसेवक

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प्रयागराज, 29 जनवरी 2025।

मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर संगम तट पर लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। इस दौरान, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रयाग दक्षिण भाग के श्रीराम नगर के कार्यकर्ताओं ने सेवा करते हुए पैदल चलकर संगम स्नान करने आए श्रद्धालुओं के पैरों में मूव स्प्रे लगाकर राहत पहुंचाई।

मौनी अमावस्या पर दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए आते हैं। इनमें से कई श्रद्धालु लंबी दूरी पैदल तय करके संगम पहुंचते हैं, जिससे उनके पैरों में दर्द, सूजन और थकावट हो जाती है। यह देखते हुए, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के श्रीराम नगर के स्वयंसेवकों ने स्नानार्थियों की सेवा के लिए मूव स्प्रे और मालिश की व्यवस्था की।

स्वयंसेवक संगम तट के अलग-अलग स्थानों पर तैनात रहे और जैसे ही कोई श्रद्धालु थकान के कारण रुकता, वे तुरंत आगे बढ़कर उनके पैरों में मूव स्प्रे लगाकर आराम पहुंचाते।

श्रद्धालुओं ने की प्रशंसा, माताओं ने दिया आशीर्वाद

स्नानार्थियों ने संघ के सेवा कार्य की सराहना की। कई बुजुर्ग श्रद्धालुओं और माताओं ने स्वयंसेवकों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि संघ के स्वयंसेवक हर समय जरूरतमंदों की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं।

एक महिला श्रद्धालु, जो फतेहपुर से आई थीं, उन्होंने कहा, “हमने सोचा नहीं था कि हमें इस प्रकार की सेवा मिलेगी। इतना लंबा पैदल चलने से हमारे पैरों में बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन इन लोगों ने जो सहायता की, उससे हमें बहुत राहत मिली। भगवान इन्हें आशीर्वाद दें।”

संघ की सेवा भावना का अनूठा उदाहरण

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हर साल कुम्भ, माघ मेले और अन्य धार्मिक आयोजनों में सेवा कार्यों में सक्रिय रहते हैं। वे खोए हुए लोगों को उनके परिवार से मिलाने, भोजन-प्रसाद वितरण, प्राथमिक उपचार, मार्गदर्शन और स्वच्छता अभियानों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

स्नान के साथ सेवा का पुण्य

मौनी अमावस्या के अवसर पर संगम में आस्था की डुबकी लगाने आए लाखों श्रद्धालु संघ के कार्य से प्रभावित हुए। स्वयंसेवकों ने बिना किसी भेदभाव के सभी श्रद्धालुओं की सेवा की और उन्हें अपनी सुविधाओं का लाभ पहुंचाया।

एक कार्यकर्ता ने बताया, “हमारा उद्देश्य केवल सेवा करना है। जब किसी को हमारी सेवा से राहत मिलती है, तो हमें आत्मिक संतोष मिलता है। यह हमारा कर्तव्य और परंपरा दोनों है।”

इस अवसर पर पुलिस प्रशासन और स्वयंसेवक लगातार भीड़ को नियंत्रित करने और व्यवस्था बनाए रखने में लगे रहे। विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों ने भी पुनीत कार्य में अपना योगदान दिया।

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