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हम सामाजिक प्राणी होने के नाते एक-दूसरे का ध्यान रखें – रमेश चंद्र जैन

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गुवाहाटी। असम माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सेबा) के अध्यक्ष रमेश चंद्र जैन ने कहा कि सेवा भारती पूर्वांचल, नेशनल मेडिक्स ऑर्गनाइजेशन (एनएमओ) और आयुर्वेदिक चिकित्सा संगठन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित आठ दिवसीय ‘धन्वंतरि सेवा यात्रा’ के माध्यम से पूर्वोत्तर के सुदूर क्षेत्रों में दी गई सेवाएं प्रशंसा से परे हैं। समाज सेवा, अर्थात हम सामाजिक प्राणी होने के नाते एक-दूसरे का ख्याल रखें, मुसीबत में फंसे किसी व्यक्ति के पास जाएं और अपनी क्षमता के अनुसार उसकी सहायता करें, यह भारतीय परंपरा है।

शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी रमेश चंद्र जैन ने गुवाहाटी के मालीगांव के आदिमगिरी स्थित सेवा भारती जनजाति छात्रावास में रविवार को आयोजित समापन समारोह में कहा कि पूर्वोत्तर की एक परंपरा ‘धनवंतरि सेवा यात्रा’ आज भारत के विभिन्न हिस्सों में आयोजित की जा रही है। यह बड़े गर्व की बात है।

22वीं ‘धन्वन्तरि सेवा यात्रा-2025’ का उद्घाटन मुख्य अतिथि रमेश चन्द्र जैन एवं विशिष्ट अतिथि गुजरात मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मनुभाई पटेल, सम्मानित अतिथि के रूप में सेवा भारती पूर्वांचल एवं अध्यक्ष रमेश शर्मा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य उल्हास कुलकर्णी और कैलिफोर्निया में हिन्दू विश्वविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जसुभाई पटेल, आयुर्वेदिक चिकित्सा संगठन के अध्यक्ष अरविंद दास ने संयुक्त रूप से भारत माता की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया।

अतिथियों ने ‘धन्वन्तरि सेवा यात्रा’ के उद्देश्य और अनुभव व्यक्त किए। अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य उल्हास कुलकर्णी ने कहा कि ‘धनवंतरि सेवा यात्रा’ का मुख्य उद्देश्य एकता और सद्भाव का निर्माण करना है। देश के विभिन्न भागों से डॉक्टर और मेडिकल छात्र न केवल पूर्वोत्तर राज्यों के सुदूर क्षेत्रों में जाकर पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य संबंधी सलाह दे रहे हैं, बल्कि वे लोगों से जुड़ने के लिए भी पूर्वोत्तर क्षेत्र में आ रहे हैं। इससे भाईचारे का बंधन मजबूत होता है।

डॉ. जसुभाई पटेल ने कहा कि वह कई वर्षों से पूर्वोत्तर में आयोजित ‘धनवंतरि सेवा यात्रा’ में भाग लेते रहे हैं। अब वह सुदूर अमेरिका की यात्रा करेंगे। प्रक्रिया शुरू हो गई है। डॉ. जसुभाई ने कहा कि उन्होंने पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद को अमेरिका में काफी लोकप्रिय बना दिया है। भारत के कई आयुर्वेदिक डॉक्टर अमेरिका में काम कर रहे हैं।

डॉक्टरों ने अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा, मिजोरम में म्यांमार और बांग्लादेश सीमा, कछार और करीमगंज जिलों (असम) में बांग्लादेश सीमा, तथा नगालैंड के मोन जिले में भारत-म्यांमार और अरुणाचल प्रदेश की सुदूर सीमाओं के साथ-साथ दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में पहाड़ी निवासियों के बीच बीमारियों के बारे में अज्ञानता को स्पष्ट करते हुए भाषण प्रस्तुत किए।

दूसरे सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र सह सेवा प्रमुख एवं सेवा भारती के संरक्षक सुरेन्द्र तालखेकर ने ‘धन्वन्तरि सेवा यात्रा’ के क्रियान्वयन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने धन्वंतरि सेवा यात्रा का संक्षिप्त इतिहास बताया, जो 2005 से चल रही है। सुरेन्द्र तालखेडकर ने कहा कि ’22वीं धन्वंतरि सेवा यात्रा’ के माध्यम से असम एवं पूर्वोत्तर तथा देश के लगभग 350 वरिष्ठ एलोपैथिक, आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथिक चिकित्सकों एवं मेडिकल छात्रों ने पूर्वोत्तर के सात राज्यों के लगभग 55 जिलों के 250 सुदूर क्षेत्रों में लगातार पांच दिनों तक विभिन्न रोगों के लिए निःशुल्क उपचार शिविर आयोजित कर एक मिसाल कायम की है। उन्होंने चीन, म्यांमार और बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर स्थित दूरदराज के क्षेत्रों का दौरा किया और बच्चों, बुजुर्गों और वृद्धों सहित लगभग 40,000 लोगों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान कीं तथा पारदर्शिता अपनाने के बारे में उचित सलाह दी। डॉक्टर मरीजों को योग और माइंडफुलनेस अभ्यासों के माध्यम से स्वस्थ रहने का तरीका भी सिखाते हैं। डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों ने विशेष रूप से कैंसर के निदान और इसकी रोकथाम के लिए जीवनशैली विकल्पों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया है। कार्यक्रम में अतिथियों ने ‘धन्वन्तरि’ नामक स्मारिका का अनावरण किया।

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