जम्मू. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने शनिवार शाम को जम्मू विश्वविद्यालय के जनरल जोरावर सिंह सभागार में प्रबुद्धजनों की गोष्ठी को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि जीवन को सुख देने वाला धर्म हमारे पास है. हमारा धर्म संपूर्ण विश्व के लिए, आत्मीय दृष्टि रखने और सुख देने वाला है. समाज वास्तव में केवल भीड़ नहीं, समूह नहीं, आपितु वह सब मनुष्य हैं जो सम व अज से तब बनते हैं, जब उनके सामने एक उद्देश्य होता है. उनका अपना जीवन एक उद्देश्य के लिए चलता है.
सरसंघचालक जी ने कहा कि विश्व की नजरें भारत पर लगी हैं. उसकी वजह है कि भारत में विविधता में एकता है. समाजवाद और वामपंथ के बाद कोई तीसरा रास्ता होना चाहिए, ऐसा विचार आज चल रहा है. इंग्लैंड का आधार भाषा है, अतः जब तक अंग्रेजी है यूके है. यूएसए का आधार आर्थिक विषय हैं. अरब जैसे देशों का आधार इस्लाम है. उन्होंने इस संदर्भ में भारत का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में पहले से ही विविधताएं हैं, लेकिन जोड़ने वाले तत्व हमारे पास होने के कारण हम एक हैं.
भारत में व्यक्ति समाज के विकास में बाधा नहीं बनते और न ही समाज व्यक्ति के विकास में बाधा बनता है. हमारे पूर्वजों ने हमें यह सिखाया है. यही हमारी संस्कृति है जो सनातन काल से चल रही है.
उन्होंने कहा कि भारत में अनेक राज्य, व्यवस्थाएं और विविधताएं हैं. लेकिन, इससे हमारी एकता नहीं बदलती. इसलिए यह आवश्यक है कि निःस्वार्थ भाव के साथ सभी यह समझें कि देश से बढ़कर कुछ नंहीं है. हमारा देश जब सुरक्षित, प्रतिष्ठित, समर्थ बनेगा तब हम सुरक्षित, प्रतिष्ठित, समर्थ बनेंगे.
उन्होंने कहा कि हमारे छोटे-छोटे हित भी हैं, परंतु इन सबसे ऊपर हमारा राष्ट्र है. हमारी संस्कृति, हमारे पूर्वज और हमारा देश है. इस भावना से अपना जीवन व्यवहार करना पड़ेगा. हम सब मिलकर अपने देश को ऐसा स्थापित करेंगे कि उसका जीवन और विचार देखकर संपूर्ण दुनिया के देश अपने आपको सुंदर और सुखी देश बनाएंगे. इस सबके लिए भारत है, हम भारतीय हैं.
उन्होंने कहा कि व्यवस्था बदलती है और इसके अंतर्गत ही अनुच्छेद 370 हटा, मतलब व्यवस्था में परिवर्तन हुआ. मन की आस पूरी हुई. इसके लिए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी और प्रजा परिषद ने आंदोलन किया था. इस अवसर पर संघ के अखिल भारतीय सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी, उत्तर क्षेत्र के संघचालक प्रो. सीता राम व्यास जी और जम्मू कश्मीर प्रांत के सह संघचालक डॉ. गौतम मैंगी जी भी उपस्थित थे.
लाख लाख पीढ़ीयां लगी, तब हमने यह संस्कृति उपजाई
कोटि काटि सर चढ़े, तब इसकी रक्षा हो पाई