प्रशांत पोळ
बांग्लादेश में 77 – 78 वर्षों के बाद इतिहास दोहराया जा रहा है. वही चीखें, वही करुण क्रंदन, वही आंसुओं से डबडबाई आंखें, वही पाशवी बलात्कार के बाद फेंकी गई विभत्स लाशें, वही उजड़े हुए – जलते हुए घर, वही खामोश, मूकदर्शक बना स्थानीय प्रशासन, और वही असहाय हिन्दू…!
विभाजन के समय का दृश्य पूरे, बांग्लादेश में पुनः प्रस्तुत हो रहा है. वैसे बांग्लादेश के लिए यह नया नहीं है. 1971 में पश्चिमी पाकिस्तान के तानाशाह, जनरल खान ने ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ चलाकर हिन्दुओं का वंशच्छेद (जिनोसाइड – Genocide) प्रारंभ किया था. गुरुवार 23 मार्च, 1971 को शुरू हुए इस आक्रमण में, तत्कालीन पूर्व पाकिस्तान (अभी का बांग्लादेश) के 30 लाख हिन्दुओं को मात्र कुछ ही महीनों में, पाशवी तरीके से मार दिया गया था. चार लाख से ज्यादा जवान बहू – बेटियों पर निर्मम बलात्कार किए गए. इन सब के बाद भी, बांग्लादेश का साहसी हिन्दू, जिजीविषा के साथ डटा रहा. उसने अपने मातृभूमि को नहीं छोड़ा.
बांग्लादेश के हिन्दुओं के इस अदम्य साहस से चिढ़ कर, वहां के अतिवादी मुसलमानों ने, 5 अगस्त 2024 से हिन्दुओं के जिनोसाइड को दोहराना प्रारंभ कर दिया है.
जुलाई 2024 को प्रारंभ हुआ छात्रों का आंदोलन, प्रारंभ में तो तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के विरोध में था. अनेक बाहरी ताकतें इस आंदोलन में शामिल थीं. किंतु जैसे ही सोमवार 5 अगस्त को शेख हसीना ने इस्तीफा देकर देश से पलायन किया, वैसे ही यह सारा आंदोलन हिन्दू-बौद्ध नागरिकों के विरोध में चला गया. तब से चार महीने हो गए हैं, हिन्दुओं पर अत्याचार बढ़ते ही जा रहे हैं.
5 अगस्त से आज तक, बांग्लादेश के हिन्दुओं ने रात को ठीक से नींद नहीं ली है. हजारों हिन्दुओं की अब तक हत्या हो चुकी है. इनमें बांग्लादेश के प्रसिद्ध उद्योगपति, कलाकार, गायक, खिलाड़ी, पुलिस अधिकारी… सभी का समावेश है.
खुलना, रंगपुर, राजशाही, बारीसाल, चिटगांव, सिल्हट…. बांग्लादेश के सभी विभागों में हिन्दुओं पर हमले, अभी भी हो रहे हैं. मंदिर तोड़ना, मूर्तियों को ध्वस्त करना यह तो आम बात हो गई है. बांग्लादेश पुलिस के अनुसार, इस वर्ष दुर्गा पूजा के समय मात्र 35 दुर्गा पूजा मंडपों को अतिवादी मुसलमानों ने ध्वस्त किया. किंतु यह अत्यंत गलत आंकड़े हैं. बांग्लादेश के ‘जातीय हिन्दू महाजोट’ (राष्ट्रीय हिन्दू गठबंधन) के अनुसार, सैकड़ों दुर्गा पूजा मंडपों को पूर्णतया ध्वस्त किया गया है.
मात्र 5 अगस्त से 31 अगस्त के बीच, 49 हाई स्कूल और कॉलेज के हिन्दू शिक्षकों से जबरन, बलात् रूप से, अपनी नौकरी से त्यागपत्र लिए गए. चांदपुर जिले के फरीदगंज गांव के, गल्लक आदर्श डिग्री कॉलेज के प्राचार्य हरिपद दास को मुस्लिम विद्यार्थियों ने अत्यंत घृणास्पद और अमानुष तरीके से अपमानित किया. बांग्लादेश सरकार ने 5 अगस्त के बाद, एक ही महीने में 252 पुलिस अधिकारियों को नौकरी से निकाल दिया. बांग्लादेश में अब एक भी हिन्दू पुलिस अधिकारी नहीं है..!
अकेले खुलना डिविजन का ही उदाहरण लें, तो वहां अब भी हिन्दुओं पर हिंसा का तांडव चल रहा है. 5 अगस्त की रात को खुलना डिविजन के जशोर शहर के पास, बेजापारा गांव में रहने वाले, 200 हिन्दू परिवारों पर जबरदस्त आक्रमण हुआ. उनके घर लूट गए. जिंदा व्यक्तियों के साथ घर जला दिए गए. महिलाओं को भगाकर ले जाया गया. पुलिस ने फोन भी नहीं उठाया. हिन्दुओं पर हो रहे इस विभत्स और नृशंस आक्रमण को, बांग्लादेश की पुलिस, मूकदर्शक बन देखती रही!
6 अगस्त को भी हिन्दुओं पर आक्रमण जारी रहा. बागेरहाट सदर उपजिला में, वहां के लोकप्रिय सेवानिवृत्त स्कूल टीचर, मृणाल कांति चटर्जी को बेदर्दी से काटकर मार डाला गया. जेशोर शहर में उस दिन, 50 हिन्दू घरों को लूटकर, उन्हें आग के हवाले किया गया.
कितने प्रसंग, कितनी घटनाएं, कितने स्थान….
क्या-क्या गिनाएं…?
बाघरपारा उप जिला का नारकेलबारिया बाजार, ढालग्राम, मोनीरूपपुर उपजिला, अभय नगर उपजिला, केशबपुर उप जिला, कोयरा उप जिला…
बांग्लादेश में जहां-जहां हिन्दू हैं, वहां चुन – चुन कर उन्हें सताया गया, मारा गया, घर-बार को लूटा गया और जवान बहू – बेटियों को भगाकर ले जाया गया.
खुलना डिविजन के मेहरपुर में इस्कॉन का बहुत बड़ा मंदिर था. उसमें काली मां की बड़ी प्रतिमा थी. साथ ही भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा की भी मूर्तियां थीं. उस मंदिर को तोड़ा गया. मूर्तियों को फोड़ा गया. उन पर लघुशंका की गई..!
इस वर्ष दुर्गा पूजा से पहले, बांग्लादेश में, सभी दुर्गा पूजा पंडालों को कहा गया कि इस बार दुर्गा पूजा नहीं करनी है. फिर भी हिम्मत करके, जहां हिन्दुओं ने दुर्गा पूजा के पंडाल लगाए, वहां उन्हें तोड़ा गया. अनेक स्थानों पर मां दुर्गा की, मां काली की प्रतिमा को खंडित किया गया. राजधानी ढाका के बीचो-बीच, चार मंदिरों के दुर्गा पूजा पंडालों में, मां दुर्गा की मूर्ति को दारू से नहला कर, उन्हें खंडित कर, उन खंडित मूर्तियों के सामने विभत्स नृत्य किया गया.
बांग्लादेश के हिन्दुओं में अद्भुत साहस है. सारी प्रतिकूलता के बाद भी, तानाशाह सरकार का कड़ा विरोध होने पर भी, शनिवार 26 अक्तूबर को, वहां के हिन्दुओं ने चटगांव के ऐतिहासिक लालदीघी मैदान में एक विशाल रैली की. ‘सनातन जागरण मंच’ के आह्वान पर हुए इस प्रदर्शन रैली में, लाखों की संख्या में हिन्दू जुटें. उन्होंने मोहम्मद यूनुस सरकार को 8 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन जारी किया.
हिन्दुओं के विरोध प्रदर्शन से बांग्लादेश की सरकार बौखला गई. उसने इस्कॉन के प्रमुख संत, ‘चिन्मय कृष्णदास ब्रह्मचारी’ को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया. इसके विरोध में हिन्दुओं ने प्रदर्शन किये. तो, 29 नवंबर, शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के बाद, अतिवादी मुसलमानों ने, बड़े शहरों के अनेक मंदिरों पर आक्रमण करके, मंदिरों में स्थापित भगवान की मूर्तियों को ध्वस्त किया है.
बांग्लादेश अशांत है. उबल रहा है. वह अराजकता के कब्जे में चला गया है. वहां हिन्दू सुरक्षित नहीं हैं. उस का घर-बार छिन गया है. वह रातों को सो नहीं पा रहा है. वह अपने जीवन की लड़ाई लड़ रहा है, क्योंकि वह अपनी मातृभूमि छोड़ना नहीं चाह रहा..!
आपको – हमको, हम सब को, बांग्लादेश के हिन्दुओं के साथ चट्टान की तरह खड़े रहना है..!