मेरठ. मूर्ति मंदिर महादेव नागा बाबा ट्रस्ट के प्रांगण में गुरु पुत्रों के बलिदान दिवस पर कार्यक्रम संपन्न हुआ. जिसकी अध्यक्षता नीलकमल रस्तोगी जी ने की तथा सभा को राष्ट्रीय सिक्ख संगत के प्रांत अध्यक्ष सरदार राजेंद्र सिंह ने संबोधित किया. सरदार राजेंद्र सिंह ने कहा कि सिक्ख परंपरा का उदय हिन्दू समाज की सुरक्षा के लिए किया गया था. चारों साहबजादों ने 1704 ई. में चमकौर की लड़ाई लड़ी. आज तक के इतिहास में सबसे कठिन लड़ाई लड़ी गई थी, जिसमें पूरे परिवार ने बलिदान दिया था. 40 वीर खालसा ने लाखों की संख्या वाली मुगल सेना को धूल चटाई. 22 दिसंबर से 28 दिसंबर तक दशमेश के पूरे परिवार को मुगल सल्तनत ने बलिदान कर दिया था. हमें अपने बच्चों को बलिदान की यह कहानी बतानी चाहिए. हम आज के युग में भी सैंटा को याद करते हैं, उनके स्थान पर हमें अपने बलिदानी इतिहास का स्मरण करना चाहिए और बच्चों को गुरू पुत्रों के बलिदान के विषय में बताना चाहिये.
उन्होंने कहा कि देश की रक्षा के लिए सब प्रकार के मतभेद भुलाकर काम करना चाहिए. जो व्यक्ति अपने इतिहास को भूल जाता है, वह लंबे समय तक जीवित नहीं रहता. अतः हमें अपने पूर्वजों से प्रेरणा लेकर समस्त समाज को बिना भेदभाव के एक साथ देश के उत्थान के लिए विचार करना चाहिए. परिवार में अपने पूर्वजों का समय-समय पर स्मरण कराना अत्यधिक आवश्यक है. हम वसुधैव कुटुम्बकम का विचार कर उसे अपने जीवन में उतारते हैं. हम किसी के विरोधी नहीं हैं, किंतु गुरु परंपरा यह बताती है कि स्वयं की रक्षा करने में हमें समर्थ होना चाहिए.
कार्यक्रम में नीलकमल रस्तोगी जी ने धन्यवाद देते हुए कहा कि हम सब इस राष्ट्र के अंग भूत घटक हैं.