नागपुर, 05 जून। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कार्यकर्ता विकास वर्ग द्वितीय के समापन समारोह में कहा कि “हमें अपनी सुरक्षा के मामले में ‘स्व’ निर्भर होना चाहिए।” और इसके लिए सेना, शासन-प्रशासन के साथ समाज बल आवश्यक है। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद की गई कार्रवाई से देश की रक्षा और रक्षात्मक अनुसंधान क्षमताएं सिद्ध हुईं। इस अवसर पर शासन और प्रशासन की दृढ़ता भी दिखी।
गुरुवार को नागपुर में कार्यकर्ता विकास वर्ग (द्वितीय) के समापन समारोह में सरसंघचालक जी का मार्गदर्श स्वयंसेवकों कोमिला। समारोह में पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद नेताम जी प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। मंच पर विदर्भ प्रांत संघचालक दीपक जी तामशेट्टीवार, वर्ग के सर्वाधिकारी समीर कुमार जी महांती और नागपुर महानगर संघचालक राजेश जी लोया उपस्थित थे।
सरसंघचालक जी ने कहा कि पहलगाम में हुए नृशंस हमले के बाद देशभर में आक्रोश की लहर थी। लोगों की अपेक्षा थी कि अपराधियों को कठोर दंड मिले। हमले के अपराधियों पर कठोर कार्रवाई भी हुई। कार्रवाई में देश की रक्षा और रक्षात्मक अनुसंधान क्षमताएं सिद्ध हुईं। इस अवसर पर शासन और प्रशासन की दृढ़ता भी दिखी। पूरे समाज में अभूतपूर्व एकता का वातावरण दिखाई दिया। राजनीतिक मतभेद भूलाकर सभी ने सहयोग का हाथ बढ़ाया। देशभक्ति के इस वातावरण में हमने अपने आपसी मतभेदों को भी पीछे छोड़ दिया। देश की यह तस्वीर चिरस्थायी होनी चाहिए। तथापि, इस कारवाई के बाद भी समस्या समाप्त नहीं हुई है और संकट कायम है। उलझनें पैदा करने के प्रयास जारी हैं। द्वि-राष्ट्रवाद का भूत कायम है। आतंकवाद और साइबर वॉर का आधार लेकर प्रॉक्सी वॉर जारी है। युद्ध के प्रकार बदल रहे हैं। इस अवसर पर दुनिया के अन्य देशों की भी परीक्षा हो रही है। सत्य के साथ कौन खड़ा होता है और कौन स्वार्थी है, इसकी भी परीक्षा हुई है। इस सारी पृष्ठभूमि में हमें अपनी रक्षा के लिए आत्मनिर्भर होना ही होगा। सेना, शासन और प्रशासन को उस दिशा में कदम उठाने चाहिए। इसके लिए समाज शक्ति का दृढ़ता से साथ खड़ा रहना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि देश के सामने उत्पन्न होने वाले संकटों को देखते हुए समाज में एकता मजबूत होना आवश्यक है। हमारा देश विविधताओं का देश है। देश में अनेक समस्याएँ हैं। कई बार एक की समस्या दूसरे को पता भी नहीं चलती। इन सभी प्रश्नों से निर्णय लेना कई बार कठिन हो जाता है। लेकिन, समाज में आपस में संघर्ष न हो, इसके लिए प्रयास करने होंगे। सद्भावना कायम रखनी होगी। अनावश्यक वाद-विवाद उत्पन्न न हों। कानून अपने हाथ में लेने के प्रयास उचित नहीं हैं। उसी प्रकार, अपने स्वार्थ के लिए समाज में भेद उत्पन्न करने वाले लोगों के जाल में हमें नहीं फंसना चाहिए। एक-दूसरे के प्रति सद्भावना, सद्विचार और सहयोग रखने की आवश्यकता है। हमारा मूल ही एकता में है। विविधता में एकता का परिचय देना, यही भारत का सच्चा धर्म है। हम सभी की मूल्य व्यवस्था समान है। हमारे पूर्वज एक हैं। वास्तव में सारा विश्व, सारा मानव समाज एक है। उसके लिए हमें तैयार होना है।
उन्होंने कहा कि विकास और पर्यावरण, दोनों बातें साथ-साथ रह सकती हैं। आदिवासी हमारे ही भाई-बंधु हैं। वे हमारे समाज का ही एक अंग हैं। इसलिए उनकी समस्याएँ हम निश्चित रूप से शासन के सामने रखेंगे। उसके लिए हमारी एक कार्यपद्धति है। शासन अपना काम करेगा। हमारे विभिन्न संगठनों के माध्यम से स्वयंसेवकों ने वनवासी क्षेत्र में बहुत काम किया है।
सरसंघचालक जी ने कहा, अपनी मर्जी से किए गए धर्मांतरण पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन, जबरदस्ती और प्रलोभन देकर, धोखे से धर्मांतरण नहीं होना चाहिए। हम किसी भी पंथ के विरोध में नहीं हैं। जबरदस्ती धर्मांतरित हुए लोग यदि स्व-धर्म में वापस आना चाहते हैं तो उसका स्वागत ही है।
संघ और समाज मिलकर नक्सलवाद और मतांतरण की समस्या का निदान कर सकते हैं
समारोह के प्रमुख अतिथि अरविंद नेताम जी ने कहा कि मतांतरण और नक्सलवाद, यह दोनों समस्याएं आदिवासी समाज में प्रमुख रूप से हैं। इन समस्याओं पर आदिवासी समाज और संघ को मिलकर काम करना चाहिए। संघ और समाज मिलकर नक्सलवाद और मतांतरण की समस्या का निदान कर सकते हैं। केंद्र सरकार ने नक्सलवाद पर परिणामकारक कार्य किया है। लेकिन उसे जड़ से खत्म करने की आवश्यकता है। उदारीकरण और औद्योगीकरण के चलते आदिवासियों का विस्थापन होते रहता है। यह उनके लिए एक समस्या है। इससे जल, जमीन, जंगल खतरे में है। विकास तो होते रहता है, लेकिन विकास में आदिवासियों की हिस्सेदारी निश्चित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण के जगह पर भूमी लीज पर लेनी चाहिए। संघ और आदिवासी समाज की चर्चा निरंतर होते रहनी चाहिए। संघ ने जो डिलिस्टिंग का आंदोलन चलाया है, वह अच्छा है। मतांतरण के खिलाफ राज्य सरकार और केंद्र सरकार को सख्त कानून बनाने चाहिए।
कार्यकर्ता विकास वर्ग
वर्ग का उद्घाटन 12 मई को हुआ था। देश भर के विभिन्न प्रांतों से 840 शिक्षार्थी और संघ की योजना से निर्मित ४६ प्रान्तों से ११८ शिक्षक वर्ग में सहभागी हुए। उसमें दक्षिण क्षेत्र से १७८, पश्चिम क्षेत्र से ८६, मध्य क्षेत्र से ११२, राजस्थान ७९, उत्तर क्षेत्र ७७, पश्चिम उत्तर प्रदेश ७८, पूर्व उत्तर प्रदेश ७८, बिहार ३९, पूर्व क्षेत्र से ६७ और असम से ४६ शिक्षार्थी सहभागी हुए।
दसवीं तक पढ़े १८, 12वीं तक के ७९, डिप्लोमा धारक ३१, स्नातक ३९०, स्नातकोत्तर ३७७ और पीएचडी प्राप्त ५ शिक्षार्थी थे। श्रेणी अनुसार, अधिवक्ता २८, अभियंता १८, कर्मचारी १५४, कामगार २७, किसान ५५, डॉक्टर ४, पत्रकार ५, प्रचारक/विस्तारक १९१, प्राध्यापक/प्राचार्य १३, लघु उद्योजक ८, लघु व्यावसायिक ६५, विद्यार्थी ६०, अध्यापक ९१ और स्वरोजगार करने वाले १२१ का सहभाग था ।
विशिष्ट आमंत्रित अतिथि –
१). बिल शुस्टर (पेन्सिल्वानिया के नौवें जिले के पूर्व अमेरिकी सांसद और हाऊस ट्रांसपोर्टेशन कमेटी के पूर्व अध्यक्ष)
२). बॉब शुस्टर (सार्वजनिक नीति और व्यवसाय के विशेषज्ञ वकील और वन+ स्ट्रैटेजीज के संस्थापक भागीदार)
३). ब्राडफोर्ड एलिसन (सार्वजनिक धोरणाचे अभ्यासक तसेच तपास आणि आर्थिक नियमांचे विशेषज्ञ)
४). प्रो. वॉल्टर रसेल मेड (सुप्रसिद्ध शिक्षाविद, लेखक, अंतरराष्ट्रीय मामले, नीति और रणनीति अभ्यासक, हडसन, फ्लोरिडा विद्यापीठ और एस्पेन इन्स्टिटुयट इटली से संबंध)
५). बिल ड्रेक्सेल (एआई और प्रौद्योगिकी में रुचि, हडसन यूनिवर्सिटी में फेलो, अमेरिका-भारत संबंधों के विशेषज्ञ, द वाशिंग्टन पोस्ट, सीएनएन और द वॉल स्ट्रीट जर्नल जैसे समाचार पत्रो में योगदान)
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