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अजीब तर्क – RJ सायमा ने सड़क पर नमाज को बताया संवैधानिक अधिकार

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‘रेडियो मिर्ची’ की RJ सायमा ने गुरुग्राम में सार्वजनिक स्थानों और सड़कों पर नमाज की वकालत करते हुए इसे संवैधानिक अधिकार तक बता दिया. उन्होंने संविधान के अनुच्छेद-25 की बात करते हुए कहा कि भारत का संविधान यहाँ के हर एक नागरिक के लिए ‘धर्म की स्वतंत्रता’ की गारंटी देता है. दावा किया कि इसके तहत हर भारतीय अपने अंतःकरण की आज़ादी का अधिकारी है. वो अपने धर्म का पालन और प्रचार-प्रसार कर सकता है.

साथ ही RJ सायमा ने दावा किया कि सरकार को कोई मस्जिद बनाने के लिए नहीं बोल रहा है. दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर अपूर्वानंद के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए रिट्वीट किया, जिसमें उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर ‘गुंडों की भाषा’ बोलने का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि गुरुग्राम में 42 मंदिर और 18 गुरुद्वारा के लिए अनुमति दी गई, लेकिन मस्जिद एक ही है. उन्होंने इस पर आपत्ति जताई कि मुस्लिमों से क्यों पूछा जा रहा है कि वो खुले में नमाज क्यों पढ़ रहे हैं…

इस पर राजनीतिक विश्लेषक पीएन राय ने उन्हें जवाब दिया कि वक्फ बोर्ड के पास पूरे शहर में काफी जमीनें हैं. साथ ही उन्होंने समझाया कि मंदिर और गुरुद्वारा सरकारी जमीन पर थोड़े बने हैं. उन्होंने लिखा, “किसने रोका है? मुस्लिम भी जमीन खरीदें, मस्जिद बनाएँ और तुम पैसा दो. सरकारी जमीन और सड़क नमाज के लिए नहीं है. खट्टर साहब को यह फैसला बहुत पहले ले लेना चाहिए था.” इस पर अपूर्वानंद ने दावा कर दिया कि पैसे देने के बावजूद मुस्लिमों को जमीन ही नहीं मिलती.

इसी ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए ‘रेडियो मिर्ची’ की RJ सायमा ने संविधान का राग अलापा. इस पर एक यूजर ने उन्हें याद दिलाया कि अनुछेद-25 भी इन सबकी अनुमति स्वास्थ्य और सार्वजनिक व्यवस्था की समस्याएँ पैदा न होने तक ही देता है. अर्थात, आप सार्वजनिक व्यवस्था भंग नहीं कर सकते. लोगों ने कहा कि कल को ये छद्म बुद्धिजीवी आतंकवाद को भी अपना संवैधानिक अधिकार न बताने लग जाएँ. लोगों ने उन्हें समझाया कि ‘पब्लिक ऑर्डर’ बरकरार रखने तक ही ये अधिकार हैं, शांति भंग करने के लिए नहीं.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हाल ही में बयान दिया था, “हमने यहाँ पुलिस को भी कहा है और डिप्टी कमिश्नर को भी कहा है. इस विषय का समाधान निकालना है. कोई अपनी जगह पर नमाज़ पढ़े या पूजा-पाठ करे, इससे हमें कोई दिक्क्त नहीं है. धार्मिक स्थल इसीलिए बने होते हैं. खुले में ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं होना चाहिए. ये नमाज़ पढ़ने की जो प्रथा यहाँ खुले में शुरू की गई है, वो कतई सहन नहीं की जाएगी. सबके साथ बैठकर इसका समाधान निकाला जाएगा.”

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