1965 भारत पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना लाहौर तक पहुंची
6 सितंबर, 1965 को भारत पाकिस्तान के बीच की वास्तविक सीमा रेखा इच्छोगिल नहर को पार करके भारतीय सेना पाकिस्तान में पहुंच गई थी. तेजी से आक्रमण करती हुई भारतीय थल सेना का कारवां बढ़ता रहा और भारतीय सेना लाहौर हवाई अड्डे के नजदीक पहुंच गई थी.
54 साल पहले गलथनी गांव के ब्रिगेडियर हरिसिंह देवड़ा के नेतृत्व में भारतीय सेना ने 6 सितंबर 1965 को पाकिस्तान में लाहौर जिले के बर्की पुलिस थाने पर तिरंगा फहराया था. भारतीय सेना के 18 कैवेलरी के दस्ते ने 13 टैंक भी नष्ट किए थे. पाकिस्तान की इच्छोगिल नहर के पास पहुंचने वाले पहले भारतीय सैन्य दल ने बर्की पुलिस स्टेशन पर तिरंगा फहराया था.
इसी दौरान, अमेरिका ने भारत से अपील की कि कुछ समय के लिए युद्धविराम किया जाए ताकि वो अपने नागरिकों को लाहौर से बाहर निकाल सके. भारतीय सेना ने अमेरिका की बात मान ली और इस वजह से भारत को नुकसान भी हुआ. इसी युद्ध विराम के समय में पाकिस्तान ने भारत में खेमकरण पर हमला कर उस पर कब्जा कर लिया.
इस जंग में भारतीय सेना के करीब 3000 और पाकिस्तान के करीब 3800 जवान मारे गए. भारत ने युद्ध में पाकिस्तान के 710 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र और पाकिस्तान ने भारत के 210 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लिया था. भारत ने पाकिस्तान के जिन इलाकों पर जीत हासिल की, उनमें सियालकोट, लाहौर और कश्मीर के कुछ अति उपजाऊ क्षेत्र भी शामिल थे. दूसरी तरफ पाकिस्तान ने भारत के छंब और सिंध जैसे रेतीले इलाकों पर कब्जा किया था.
रूस के ताशकंद में भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयूब ख़ाँ के बीच 11 जनवरी, 1966 को समझौता हुआ. दोनों देश इस बात पर राजी हुए कि 5 अगस्त से पहले की स्थिति का पालन करेंगे और जीती हुई जमीन से कब्जा छोड़ देंगे.
ताशकंद समझौते के कुछ ही घंटों बाद शास्त्री जी की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई. आधिकारिक तौर पर कहा गया कि शास्त्री जी को दिल का दौरा पड़ा. जबकि, ये भी दावा किया जाता है कि एक षड्यंत्र के जरिए उनकी हत्या की गई. कुछ जानकार यह भी संभावना जताते हैं कि भारत पाक समझौते में कुछ मसलों पर आम राय कायम न होने के चलते शास्त्री जी तनाव में आ गए और उन्हें दिल का दौरा पड़ा.