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लव जिहाद की शिकार युवतियों के मानवाधिकारों की बात कौन करेगा?

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रजनीश कुमार

तमाम विमर्श के बावजूद देश के बुद्धिजीवी यह मानने को तैयार ही नहीं कि ‘लव जिहाद द्वारा महिलाओं का उत्पीड़न किया जा रहा है. जबकि वे यह नहीं देखते कि यह सुनियोजित साजिश नारी अस्मिता पर आघात करती है. महिलाओं के आत्मसम्मान को तार तार करने वाली ऐसी कई घटनाएं सामने आती रहती हैं, जहां किसी गर्भवती महिला को धर्मान्तरण के लिए मजबूर किया जाता है, मना करने पर उसके पेट पर लात मार दी जाती है. मानवता को शर्मसार करने वाली ऐसी कई घटनाएं समाचार पत्रों में देखने-पढ़ने को मिलती हैं, जहां किसी युवती को आग के हवाले कर दिया गया, जहां उस पर तेजाब फेंक कर उसके अस्तित्व को समाप्त कर दिया गया. शादी का प्रस्ताव ठुकराने पर गोली मार देने की मानसिकता तो उसी बर्बर इस्लामिक सोच का ही परिचय कराती है, जिसकी जड़ में जिहाद है.

आक्रामक धर्मान्तरण कराने के इसी इस्लामिक हठ को ‘लव जिहाद” की संज्ञा प्राप्त है. आज विश्व मानवाधिकार दिवस है, आज तो यह बात समझ में आ जानी चाहिए कि सशस्त्र जिहाद की तरह ही लव-जिहाद मानवता के लिए बड़ी समस्या है.

हाल ही में एक युवती जिहादी प्रताड़ना से तंग आकर मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के घर पहुंच गई. उसने आरोप लगाया कि उसके पति का असली नाम सलमान है, लेकिन उसने अपनी पहचान छिपाते हुए उमेश नाम बता कर उससे शादी कर ली. बाद में उसे धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रताड़ित किया गया, जान से मारने की धमकी दी.

अभी कुछ दिन पहले की ही एक घटना है. एक स्थानीय पत्रकार मकसूद खान को एक महिला की शिकायत के आधार पर गाडरवारा में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया था. उसने न सिर्फ उस महिला का यौन उत्पीड़न किया, बल्कि उसे नमाज अता करने और इस्लामिक रिवाज सीखने के लिए भी मजबूर किया था. उसने इस तथ्य को भी छिपाया कि वह न केवल वह शादीशुदा मुसलमान है, बल्कि उसका एक बच्चा भी है.

यह सिर्फ मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं है, केरल से लेकर जम्मू कश्मीर और लद्दाख तक जिहादी षड्यंत्रकारियों का एक जाल बिछा हुआ है. विश्व के कई देश इस सोच व साजिश का शिकार हैं. गैर मुस्लिम लड़कियों को योजनाबद्ध तरीके से जबरन या धोखे से अपने जाल में फंसा लेना असभ्य एवं बर्बर समाज की सोच है. यह सिर्फ जनसंख्या बढ़ाने का दुष्चक्र ही नहीं, बल्कि आतंकवाद का एक प्रकार है. इस आतंकवाद से त्रस्त मानव जातियां जब इसके खिलाफ आवाज उठाती है, तब सेकुलर बिरादरी के मानवता की मौत हो जाती है. अराजकतावादियों द्वारा यह दुष्प्रचार फैलाया जाता है कि यह एक ढकोसला है, उन्हें यह पता होना चाहिए कि केरल उच्च न्यायालय ने ही इसे धर्मांतरण का सबसे घिनौना तरीका बताया था. कई मामलों में तो पकड़े गए जिहादियों ने यहां तक स्पष्ट कहा है कि उन्हें इस काम के लिए पैसे भी दिए हैं. मदरसे और मस्जिदों से लव जिहाद के लिए फंडिंग किया जाना उसी असभ्य समाज की बर्बर सोच को प्रदर्शित करता है, जिसकी जड़ता में साजिश और जिहाद है.

जाल में फंसने के बाद इन लड़कियों का न केवल जबरन धर्मांतरण होता है, बल्कि उन्हें नारकीय जिंदगी जीने पर मजबूर किया जाता है. उनसे गलत काम करवाने और उन्हें बेच देने की घटनाओं के अलावा पूरे परिवार के पुरुषों व मित्रों द्वारा जबरन यौन शोषण की घटनाएं भी समाचार पत्रों में आती ही रहती हैं. जब इन अमानवीय यातनाओं की अति हो जाती है तो ये लड़कियां आत्महत्या के लिए विवश हो जाती हैं. यहां ध्यान दिए जाने की जरूरत है कि वैसे मामले जहां पुलिस में शिकायत दर्ज होती है, वे तो समाज के संज्ञान में आते है. लेकिन जो मामले दर्ज ही नहीं होते, जहां महिलाएं इस्लामिक उत्पीड़न सहते हुए, धर्मान्तरण करके घुट घुट कर नकाबपोश हो कर नरकीय जीवन जीने को विवश हो जाती है, उस पर कोई चर्चा ही नहीं होती.

विश्व मानवाधिकार दिवस पर आज यह समझा जाना चाहिए कि लव जिहाद से विश्व के कई देश त्रस्त हैं. कहीं इसे रोमियो जिहाद तो कहीं इसे पाकिस्तानी गैंग के नाम से संबोधित किया जाता है. मुस्लिम देशों में तो गैर मुस्लिम महिलाओं को यौन दासी माना जाता है, उनके साथ शोषण और उत्पीड़न की ऐसी घटनाएं होती है कि इंसान तो छोड़िए, जानवरों का भी मानवता से विश्वास उठ जाए. अब विश्व के कई देश इस्लामिक जिहाद से त्रस्त होकर आवाज उठाने लगे हैं. श्रीलंका में 10 दिन की आंतरिक इमरजेंसी लगाकर वहां के समाज के आक्रोश को शांत करना पड़ा था. जब स्वभाव से शांत बौद्ध समाज का आक्रोश यह रूप धारण कर सकता है तो बाकी समाज का आक्रोश कैसा होगा? इस दृष्टि से यह समझा जाना चाहिए कि लव जिहाद भी सशस्त्र जिहाद के जैसा मानवता के लिए बड़ा खतरा है.

विकृत मानसिकता से भरे हुए जिहादियों के कारण मानवता शर्मसार होती है. कोई भी व्यक्ति जब नाम बदलकर किसी युवती से शादी करे, फिर धर्मान्तरण की धमकी दे और हर रोज युवती को प्रताड़ित करते हुए तेजाब फेंकने की धमकी दे, तो ऐसे में कानून बनाना ही एक मात्र रास्ता रह जाता है.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट कहा – राज्य में इस तरह के मामले सामने आने पर इसका निपटान सख्ती से किया जाएगा. राज्य सरकार द्वारा आगामी विधानसभा सत्र में फ्रीडम ऑफ रिलिजन बिल, 2020’ को पेश करने की तैयारी है. इससे ना सिर्फ महिलाओं के अधिकार की रक्षा होंगी, बल्कि यह नारी सुरक्षा और सम्मान की दृष्टि से बेहद जरूरी है.

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