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भव्य मंदिर निर्माण के साथ ही नई अयोध्या में जीवंत हो उठेगा त्रेतायुग

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अयोध्या. श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण कार्य शुरू होने के साथ ही अयोध्या का रंग रूप बदल जाएगा. कई विकास योजनाएं नगरी को खूबसूरत और यहां की सांस्कृतिक विरासत को संतृप्त करती दिखेंगी. वहीं अयोध्या के समानांतर एक नयी अयोध्या भी विकसित करने की योजना है. नई अयोध्या एक ओर जहां आधुनिक सुविधाओं से लैस होगी, वहीं त्रेतायुगीन झलक भी प्रस्तुत करेगी. इस अत्याधुनिक टाउनशिप में साधु संतों के आश्रम होंगे तो आधुनिक गुरूकुल भी नजर आएंगे.

नगर का 400 हेक्टेयर भूभाग पर विस्तार होगा. इसमें खूबसूरत आर्किटेक्चर के साथ ही यहां की  सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिलेगी. इसको रामनगरी के उत्तर पूर्व में विकसित करने की योजना है जो सरयू के कछार से जुड़ा भूभाग है. उप्र आवास विकास परिषद, अयोध्या विकास प्राधिकरण, पीडल्यूडी, नगर निगम व पर्यटन विभाग के समन्वय से बसाया जाएगा. उप्र आवास विकास परिषद के उच्चाधिकारियों ने एक प्रस्तुतीकरण भी दिया है.

श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद देश ही नहीं, अपितु विदेश से भी पर्यटक व श्रद्धालु अयोध्या आएंगे. उस दृष्टि से अयोध्या का आकर बहुत छोटा है. यहां लोगों के ठहरने के लिये सुविधाएं नहीं के बराबर है. इसी कारण आधुनिक सुविधाओं से लैस एक नव्य अयोध्या के विस्तार की आवश्यकता महसूस हुई, जिसमें श्रद्धालुओं की आवश्यकता के अनुरूप सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास होगा. 400 हेक्टेयर में बसने वाली नई अयोध्या के भीतर साधु संतों के आश्रम के साथ ही आवासीय कालोनी, मॉल, रेस्टोरेंट आदि भी होंगे.

सर्वोच्च न्यायालय से रामलला के पक्ष में फैसला आने के बाद से यहां के चार गांव मीरापुर, दोआबा, तिहुरा, शाहनेवाजपुर व मांझा बरहटा में रजिस्ट्री पर रोक लगी है. नई अयोध्या में मार्ग से लेकर चौराहे और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर रामायण के प्रतीक चिन्ह विद्यमान होंगे. अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय ने बताया कि अयोध्या का गौरव प्रतिष्ठित होने जा रहा है. प्रधनामंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में अयोध्या में कई योजनाएं जमीन पर उतरेंगी. नई अयोध्या की योजना सभी देशवासियों के लिए भी गौरव की बात है.

श्रीराम जन्मभूमि के साथ छह मंदिरों का भी होगा कायाकल्प

अयोध्या में शीराम जन्मभूमि मंदिर के अतिरिक्त रंगमहल, फकीरेराम मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, सुंदरसदन, लव-कुश मंदिर, अमावा मंदिर वेद मंदिर आदि भी पौराणिक महत्व के मंदिर कभी भव्यता के पर्याय माने जाते थे. लेकिन श्रीराम जन्मभूमि विवाद और फिर अधिग्रहण के बाद इनकी आभा समाप्त हो गयी थी. यद्यपि ये मंदिर अधिग्रहण से अछूते थे, पर सुरक्षा का भारी तामझाम और दर्शनार्थियों के आवागमन में भारी बाधा के चलते इनके अस्तित्व पर ही संकट आ गया था. अधिग्रहण के 27 वर्षों के सफर में जल्दी ही यह स्पष्ट हो गया कि ये मंदिर अपने वैभव और पहचान से हाथ धो बैठे हैं. अब श्रीराम जन्मूमि पर दिव्य भूमि पूजन समारोह के बाद इन मंदिरों के भी उत्सव- उल्लास और स्वर्णिम संभावना की उम्मीद का सबब बनकर परिलक्षित हो रही है.

उदाहरण के रूप में रंगमहल – मनोहारी स्थापत्य और समृद्ध आध्यात्मिक विरासत के चलते आस्था -आकर्षण का केंद्र रहा रंगमहल अब स्वर्णिम भविष्य के सपने बुन रहा है. रंगमहल के महंत रामशरण दास कहते हैं कि परेशानी के दिनों में हमें रामलला के साथ जीना सिखा दिया है और आज रामलला का भव्यतम मंदिर बनने की प्रसन्नता मुझे ही नहीं संपूर्ण रंगमहल के परिसर को आहलादित कर रही है. रामलला के मंदिर के साथ उनकी राह में पड़ने वाले अन्य मंदिरों में भी दर्शनार्थियों का सैलाब उमड़ेगा.

फकीरेराम मंदिर – यह मंदिर उपेक्षा का पर्याय बन चुका है. मंदिर पर सीआरपीएफ ने डेरा जमा रखा है.  संसाधन और सुरक्षा की शर्तों के चलते मंदिर की मरम्मत नहीं हो पा रही. श्रमिकों का आवागमन बाधित होने से बुनियादी सफाई तक का संकट है. अब मंदिर के महंत रघुवरशरण भी उत्साहित व प्रसन्न हो रहे हैं कि अब रामलला के साथ फकीरेराम मंदिर के दिन भी बहुरेंगे.

राम मंदिर के साथ बनेगी दिव्य उपनगरी

राम मंदिर के साथ दिव्य उपनगरी भी विकसित होगी. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से मंदिर निर्माण के साथ 70 एकड़ के परिसर में दिव्य नगरी का खाका तैयार हो चुका है. मंदिर निर्माण की शुरूआत के साथ ही दिव्य उपनगरी का निर्माण भी शुरू होगा. यह उपनगरी 161 फीट ऊंचे 318 स्तंभों तथा छह शिखरों वाले राम मंदिर के साथ सत्संग भवन, रामकथा पर केंद्रित लेजर शो प्रदर्शन के लिये हनुमंत मुक्ताकाश, विशाल भोजनालय से सुसज्जित हेगी. ऊर्जा की आपूर्ति के लिये सोलर पैनल से सज्जित होगी और संपूर्ण उपनगरी सौर ऊर्जा से जगमगाएगी.

चित्रकूट से भी जुडे़गी रामनगरी

अयोध्या पर्यटन के फलक पर भी चमकने वाली है. पर्यटन विकास के साथ ही रामनगरी को देश के अन्य धर्म स्थलों से भी जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. विशेषकर भगवान राम से जुड़े स्थानों को अयोध्या से जोड़ने पर जोर दिया जा रहा है. रेल सेवा के माध्यम से वर्ष 2018 में रामनगरी को रामेश्वरम से जोड़कर शुरूआत हो चुकी है. अब चित्रकूट से भी जोड़ने की तैयारी है. रामेश्वरम से बुधवार की रात एक साप्ताहिक ट्रेन चलती है.

मंदिर मॉडल के आधार पर बनेगा अयोध्या का रेलवे स्टेशन

अयोध्या के रेलवे स्टेशन का विकास मंदिर मॉडल के रूप में किया जा रहा है. 160 करोड़ रुपये की लागत से रेलवे स्टेशन का विकास किया जा रहा है. स्टेशन के पहले चरण का काम पूरा हो रहा हैं. कर्मचारियों के आवास बन चुके हैं तथा अब अन्य भवनों को विकसित करने कार्य किया जा रहा है. अयोध्या में श्रीराम मंदिर ही नहीं, अपितु स्टेशन पर पहुंचते ही मर्यादा पुरूषोत्तम की नगरी का आभास होने लगेगा. रेलवे ने स्टेशन को भव्य रूप देने के लिये सौ करेाड़ रूपये से भी अधिक खर्च करने की घोषणा की है. अगले वर्ष तक यह रेलवे स्टेशन राम मंदिर की तरह दिखने लगेगा. परिसर में रोशनी के लिये छत पर पारदर्शी स्काईलाइट्स लगायी जाएंगी. इनसे ऐसा आभास होगा कि जैसे कमल की पंखुड़ी के बीच से प्रकाश आ रहा है. स्टेशन आध्यात्मिकता और आधुनिकता का मिश्रण होगा. स्टेशन निर्माण की जिम्मेदारी रेल इंडिया  टेक्निकल एंड इकोनॉमिकल सर्वे को दी गई है. यहां यात्रियों को अत्याधुनिक सुविधाएं मिलेंगी.

माता कौशल्या की भूमि में भी बनेगा मंदिर

अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्मणा की आधारशिला रखे जाने के कार्यक्रम के बीच अब छत्तीसगढ़ में उनकी माता कौशल्या की जन्मभूमि में जल्द ही मंदिर का निर्माण शुरू होगा. रायपुर के निकट चंद्रखुरी में निर्मित होने वाले मंदिर एवं इसके सौंदर्यीकरण के कार्य पर राज्य सरकार 15 करोड़ रूपये खर्च करेगी. मुख्यमंत्री ने परिवार के साथ चंद्रखुरी पहुंचकर वहां स्थित माता कौशल्या के प्राचीन मंदिर में पूजा अर्चना की और कहा कि छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल है तथा भगवान ने वनवास का बहुत समय यहीं व्यतीत किया था. छत्तीसगढ़ सरकार  भगवान राम के वन गमन मार्ग को पर्यटन परिपथ के रूप में विकसित कर रही है.

84600 वर्ग फीट में बनेगा श्रीरामजन्मभूमि मंदिर

वास्तुविद चंद्रकांत सोमपुरा के दोनों बेटों निखिल व आशीष ने मंदिर में लगने वाले एक -एक स्तंभ, उसे खड़ा करने की पेटी सहति छतों की डिजाइन तैयार कर ली है. इंजीनियर आशीष चद्रंकांत ने बताया कि मंदिर में कहीं भी स्टील का प्रयोग नहीं होगा. पूरा मंदिर पत्थरों पर खड़ा होगा. मिटटी की जांच रिपोर्ट आते ही इसकी गहराई तय होगी. फिर इसे पत्थर या कंक्रीट से बनाने की अलग डिजाइन बनेगी. जिसे एलएंडटी व एनबीसीस कंपनी को तैयार करना है. इस नींव के बाद भी मंदिर का एक फाउंडेशन 12 फीट ऊंचा बनेगा, जिस पर अग्रभाग सिंह द्वार से लेकर गभृर्गह तैयार होंगे.

मंदिर का आकार अब बढ़कर 84 हजार 600 वर्ग फीट हो गया है. जो पहले 37 हजार 590 वर्गफीट था. वहीं ट्रस्ट ने मंदिर का नाम श्रीराम जन्मभूमि मंदिर रखा है. परिवर्तित डिजाइन में गूढ़ मंडप सहित कीर्तन व प्रार्थना के लिये भी मंडप की व्यवस्था की गई है. पहले वहां मंदिर की क्षमता 20 हजार भक्तों की थी, अब 50 हजार से अधिक लोग एक साथ पूजा कर सकते हैं. पहले अग्रभाग, सिंहद्वार, रंगमंडप के बाद गर्भगृह था, अब गर्भगृह व रंगमंडप के बीच गूढ़ मंडप बनेगा और इसके दाएं -बाएं अलग -अलग कीर्तन व प्रार्थना मंडप होगा.

महासचिव चंपत राय ने कहा कि अयोध्या में 500 साल के संघर्ष और कई पीढ़ियों की शहादत के बाद अब श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने का क्षण आया है. रामलला की जन्मभूमि पर बनने के कारण मंदिर को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के नाम से जाना जाएगा.

बड़े से बड़ा भूकंप भी नहीं हिला पाएगा मंदिर

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के वास्तुकार आशीष सोमपुरा का कहना है कि राम मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना होगा. भवन का डिजाइन ऐसा होगा जो 8 से 10 तक रिक्टर पैमाने की तीव्रता वाला भूकंप भी आसानी से झेल जाएगा. भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर एक हजार वर्षों तक गौरव की अनुभूति करवाने को तन कर खड़ा रहेगा. मंदिर उत्तर भारत की प्रचलित नागर शैली से निर्मित होगा. सदियों बाद आए शुभ अवसर पर मंदिर के आकार की तुलना बेमानी है. लेकिन एक नजर में देखने पर यह देश का सबसे भव्य मंदिर प्रतीत होगा.

भारत में खजुराहो का उदाहरण देते हुए कहा कि इसे 800 साल हो चुके हैं, मंदिर वैसा ही है. कंबोडिया के अंकोरवाट सहित कई मंदिर तो इससे भी अधिक पुराने हैं. मंदिर की मजबूती के लिये नींव अहम है.

राम मंदिर के लिये मिला 34 किलो चांदी का दान

श्रीराम जन्मभूमि में विराजमान रामलला के भव्य मंदिर के निर्माण में योगदान देने के लिये अलग-अलग श्रद्धालुओं के साथ सामाजिक व व्यापारिक संगठन भी आगे आ रहे हैं. इसी कड़ी में इंडिया बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन की ओर से 33 किलो 644 चांदी की शिलाओं का दान दिया गया. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र ने रामकचेहरी स्थित ट्रस्ट के कर्यालय में प्राप्त किया. दानदाताओं को रसीद भी दी गई.

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