विदिशा, 23 सितम्बर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्यभारत प्रान्त संघचालक अशोक पाण्डेय जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में महिला पूज्य है, न कि भोग्या. स्वामी विवेकानन्द जी ने भी बताया था कि पत्नी को छोड़ अन्य महिलाएं मां का रूप होती हैं. उन्होंने इतिहास के कई उदाहरण प्रस्तुत करते हुए महिलाओं की भूमिका की प्राथमिकता पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि आक्रमणकारियों एवं बाहरी इतिहासकारों ने भारतीय संस्कृति में कई कुप्रथाओं को आरंभ कर दिया.
अशोक जी “भारतीय दर्शन में स्त्री विमर्श” विषय पर व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. यह आयोजन शरद स्मृति न्यास विदिशा द्वारा स्थानीय रविन्द्र नाथ टैगोर सभागृह में आयोजित किया गया था. उन्होंने कहा कि हमारे वेदों में भी समाज एवं परिवार निर्माण पर बल दिया गया है.
कार्यक्रम में ही महिला समन्वय द्वारा “नारी तू नारायणी” पुस्तिका (स्मारिका) का विमोचन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता जानी मानी चिकित्सक डॉ. इंदु जैन जी ने की. उन्होंने कहा कि आज की नारी धरती के साथ-साथ चन्द्रमा और सूर्य पर भी अपनी छाप छोड़ रही है.
कार्यक्रम में विशेष अतिथि क्षेत्र संयोजिका महिला समन्वय शोभा पेठनकर ने कहा कि सभागृह में उपस्थित महिलाओं के साथ पुरुषों की संख्या को देखकर ऐसा लगता है कि अब भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता क्योंकि जब एक विचार के लिए बन्धु भगिनी एक जगह एकत्रित होते हैं तो समाज में जागरण दिखता है.