पुणे स्थित ‘महर्षि कर्वे स्त्री शिक्षण संस्था’ में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद् बैठक (25 से 28 मई) के अंतर्गत शुक्रवार को ‘नागरिक अभिनंदन समारोह’ का आयोजन हुआ. नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे तथा महाराष्ट्र सरकार के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे.
‘नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम’ में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि हमें एक-दूसरे की विशेषताओं का सम्मान करना चाहिए. अनेकता में एकता का नारा, अनेकता में शक्ति का नारा भी बनना चाहिए. जब हम अनेकता को शक्ति मानेंगे तो और आगे बढ़ पाएंगे. मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि अपनी मातृभाषा, राष्ट्रभाषा और अंतरराष्ट्रीय भाषा के साथ एक और भाषा सीखनी चाहिए, एक और भाषा सीखने से अनेकता में शक्ति को बल मिलेगा. भारत की अर्थव्यवस्था लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है, हमारा वर्तमान का युवा बल आर्थिक विकास में लाभ ला सकता है. यह युवा जनसंख्या तभी लाभदायक होगी, जब यह अनुशासन और कौशल से युक्त होगी, इसलिए वर्तमान में यह बहुत ही आवश्यक है कि भारतीय युवाओं में राष्ट्रीय भावना को उत्पन्न किया जाए. इस भावना को जागृत करने में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद महत्वपूर्ण प्रयास कर रही.
जीवन में संघर्ष और दृढ़ता के साथ आंदोलन अभाविप से सीखा – देवेन्द्र फडणवीस
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ऐसा संगठन है जो हमारे विद्यार्थियों को एक नई दिशा देता है. अभाविप के कश्मीर आंदोलन ने मेरे जीवन को नया मोड़ दिया. जीवन में संघर्ष और दृढ़ता के साथ आंदोलन मैंने अभाविप से सीखा, मुझमें नेतृत्व के गुणों का विकास अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कारण हो पाया. अभाविप ऐसा फोरम है, जहां सामान्य से सामान्य युवा अभाविप की कार्यपद्धति द्वारा टीम वर्किंग सीखता है, उसमें नेतृत्व गुण का विकास होता है और वह क्षमतावान बनता है. स्वतंत्रता के बाद मैकाले की मानसिकता वालों ने भारत के स्वर्णिम इतिहास को दबाने का प्रयास किया, भारत के वास्तविक इतिहास से हमें दूर रखा गया. विज्ञान ने बताया है कि भारत की सभ्यता सबसे प्राचीन है. हमें सही इतिहास लोगों के सामने लाना होगा जो हमें तेजस्विता देने वाला हो, ऐसी शुरुआत हो भी चुकी है. आज हम जिस सस्टेनेबिलिटी की बात करते हैं, वह भारतीय सभ्यता में प्राचीन काल से ही रही है और इसी सस्टेनेबिलिटी ने भारतीय सभ्यता को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हमारा डेमोग्राफिक डिविडेंड भारत को विकसित करने में सहायक हो सकता है. भारत में एक विचारधारा ऐसी है जो युवाओं की मानसिकता में वायरस छोड़ने का कार्य कर रही – बंदूक से लड़ने वाले माओवादी कम हुए हैं, लेकिन वैचारिक माओवादी हमारे शैक्षणिक परिसरों में घुस रहे हैं, उसके विरूद्ध एकजुट होना होगा. भारत को विश्वगुरु बनाना है, तो समाज और राष्ट्र का विचार करने वाले युवाओं को आगे बढ़कर नेतृत्व करना होगा.
समारोह में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजशरण शाही, राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल, नागरिक अभिनंदन समारोह की स्वागत समिति के अध्यक्ष बाबासाहेब कल्याणी, स्वागत समिति सचिव बागेश्री मंठाळकर, अभाविप की राष्ट्रीय मंत्री अंकिता पवार, अभाविप पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत के प्रांत अध्यक्ष प्रा. निर्भयकुमार विसपुते तथा प्रांत मंत्री अनिल ठोंबरे कार्यक्रम के दौरान मंच पर उपस्थित रहे. कार्यक्रम में अभाविप की स्मारिका का विमोचन किया गया और अंत में ‘जाणता राजा’ नाटक का मंचन हुआ.
डॉ. राजशरण शाही ने कहा कि मैकाले की शिक्षा का उद्देश्य भारत की मूल चेतना पर प्रहार करना था. मैकाले को पता था कि इस राष्ट्र की चेतना पर प्रहार किए बिना यहां पर अंग्रेजी शिक्षा को स्थापित नहीं कर सकता. जब दुनिया में शिक्षा नहीं थी, उस समय भारत में नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय थे. मैकाले ने योजनाबद्ध तरीके से हमारी शिक्षा पद्धति को खत्म करने का प्रयास किए. भारत में शिक्षा जीवन एवं राष्ट्र केंद्रित थी. अभाविप ने अपने 75 वर्षों की ध्येय यात्रा में भारत की शिक्षा परंपरा को आगे बढ़ाने का काम किया है. अभाविप की पूरी यात्रा रचनात्मकता की यात्रा है.
याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि पुणे प्राचीन संस्कृति से लेकर विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों की गाथा समेटे है. पुणे भारत के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है. स्वतंत्रता के बाद जो संकल्प अधूरे रह गए, उस संकल्प को पूरा करने की शक्ति का नाम विद्यार्थी परिषद है. अभाविप के कार्यकर्ताओं ने अपने विभिन्न कार्यों से समाज में सकारात्मक संदेश दिया है और विविध क्षेत्रों में युवाओं ने समाज की विभिन्न समस्याओं के निदान के लिए प्रेरणादायक काम किया है.