
उन्होंने कहा कि अगर इतनी तेज सुनवाई हुई तो उनके लिए न्यायालय में पैरवी कर पाना संभव नहीं होगा. धवन ने कहा, “यदि इस मामले पर कोर्ट में हफ्ते में पांच दिन सुनवाई होती है तो यह अमानवीय होगा.” उनके अनुसार हमें दिन रात अनुवाद के कागज पढ़ने और अन्य तैयारियां करनी पड़ती हैं. ऐसे में रोजाना सुनवाई में दलीलें रखने में वे असमर्थ हैं. इस स्थिति में वह अदालत की तेजी के साथ तालमेल नहीं बिठा पाएंगे और वे केस छोड़ने को मजबूर होंगे.
न्यायालय ने उनसे कहा, “हमने आपकी बात सुन ली है, हम आपको जल्द ही सूचित कर देंगे.”
सर्वोच्च न्यायालय पुरानी परंपरा को तोड़ सप्ताह में पांच दिन सुनवाई कर रहा है. पहले सप्ताह में तीन दिन ही सुनवाई होती थी.