हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश). ठाकुर जगदेव चन्द स्मृति शोध संस्थान नेरी में ‘इतिहास लेखन में लोकगाथाओं का योगदान’ पर त्रिदिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद 02 अक्तूबर से आरंभ हो गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष डॉ. सुदर्शन राव ने कहा कि भारत की पुरानी पीढ़ी को तो इतिहास बोध था और उसने भारतीय इतिहास की रक्षा भी की और विरासत को भी आगे बढ़ाया. लेकिन भारत की आज की पीढ़ी को अपने इतिहास का बोध नहीं है, यह देश के लिए दुर्भाग्य की बात है. डॉ. सुदर्शन के अनुसार लोक गाथाएं और लोक साहित्य भारतीय इतिहास को जानने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. इसके प्रति अब जागरूकता बढ़ती जा रही है. देश के विश्वविद्यालयों के इतिहास विभागों को अपने क्षेत्र की लोकगाथाओं का संग्रह करने उनके इतिहास की व्याख्या करनी चाहिए.
उन्होंने बताया कि हमारे देश की संस्कृति कई युगों से बनी है. यह किसी एक तक सीमित नहीं है. ब्रिटिश काल के दौरान यह बात हमारे दिमाग में डाली गई कि हमारा कोई इतिहास नहीं है. अंग्रेजों ने केवल अपनी ही संस्कृति का व्याख्यान किया. हमें इसका चिंतन करना चाहिए कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है. आजादी के बाद भी हम उन्हीं चीजों को आगे ले जा रहे हैं. यह दुर्भाग्य की बात है.
कार्यक्रम अध्यक्ष अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना समिति के अध्यक्ष एवं कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सतीश मित्तल ने कहा कि भारत में इतिहास लिखने की परंपरा बहुत पुरनी है और भारत का इतिहास बोध तब से है, जब पश्चिम में अभी संस्कृति और सभ्यता का बीज अंकुरित नहीं हुआ था. मित्तल के अनुसार यह दुर्भाग्य की बात है कि आधुनिक युग में हम भारत का इतिहास जानने के लिए अपने मूल स्रोतों की अवहेलना कर रह हैं और पश्चिमी विद्वानों द्वारा निकाले निष्कर्षों का सहारा ले रहे हैं.
तीन दिवसीय परिसंवाद का समापन चार अक्तूबर को होगा, जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा उपस्थित रहेंगे. इस परिसंवाद में 72 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं. जबकि शेष प्रतिभागियों का आना जारी है. उद्घाटन सत्र के बाद प्रतिभागियों ने अपने-अपने शोध पत्र तकनीकी सत्र में पढ़े और सायंकालीन सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. जिसमें विभिन्न लोकगाथाओं का प्रस्तुतिकरण कलाकारों द्वारा किया गया. यह संस्थान का चौथा राष्ट्रीय परिसंवाद है.
कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री, महाराज अग्रेसन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सतीश बंसल, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के संगठन सचिव डॉ. बालमुकुंद और ठाकुर जगदेव चन्द स्मृति शोध संस्थान नेरी के अध्यक्ष डॉ. विजय मोहन पुरी उपस्थिति रहे.