करंट टॉपिक्स

आपदा प्रबंधन जापान से सीखें: भय्या जी जोशी

Spread the love

नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश (भय्या जी) जोशी ने उत्तराखण्ड त्रासदी में दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए देश में आपदा प्रबंधन के मामले में जापान से सीख लेकर इसमें सुधार का आह्वान किया और कहा कि सबसे अधिक वहां ऐसी आपदायें आती हैं, लेकिन वहां की पूर्व नियोजित व्यवस्थाओं के कारण न्यूनतम क्षति होती है. दूसरी ओर, हमारे देश का सरकारी तन्त्र आपदा प्रबंधन में बेहद कमजोर है. उन्होंने कहा कि हम सभी को विकास की आवश्यकता है, लेकिन यह प्रकृति के संतुलन के साथ होना चाहिये, हमारे हिमालय में पानी तथा बिजली देने की अपार क्षमता है, लेकिन उसकी सुरक्षा भी हमारा अपरिहार्य दायित्व है. उन्होंने इस प्रकार की आपदाओं से बचने के लिये उत्तराखण्ड तथा हिमाचल जैसे राज्यों में विकास की नीति प्राकृतिक संतुलन के साथ बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया.

Sradhanjali Photo copy

भय्या जी अखिल भारतीय उत्तराखण्ड त्रासदी पीड़ित मंच द्वारा गत वर्ष 16 जून 2013 को उत्तराखण्ड प्राकृतिक आपदा में मृत लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु नई दिल्ली में श्रद्धांजलि समारोह में बोल रहे थे.

उत्तराखण्ड की उस आपदा को याद करते हुए भय्या जी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के सामने सभी बेबस नजर आते हैं किन्तु मानव निर्मित त्रासदी अधिक पीड़ा देती है. उन्होंने इस आपदा के कारणों में मानव हस्तक्षेप की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि मानव प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते समय यह भूल जाता है कि उसमें कितनी शक्ति होती है, प्रकृति का खेल एक मिनट का होता है, किन्तु हम उसको जीवन भर भूल नहीं पाते. इसको झेलना ही हमारे हाथ में है, प्रकृति से संघर्ष करना हमारे हाथ में नहीं है. उन्होंने बताया कि अपने देश का जनसामान्य हर आपदा के निवारण में अपने आपको झोंक देता है, यह अपने समाज की विशेषता है, तथा इसी से हमें इससे उबरने में मदद मिलती है. उन्होंने ऐसी घटनाओं को राजनीति का विषय न बनाने का परामर्श दिया.

DSC03109

श्री भय्याजी ने लातूर भूकम्प का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां पर मदद को आये तमिल लोगों ने भाषा, बोली न जानते हुए भी वापस जाने से मना कर दिया और किसी न किसी सेवा कार्य के लिये उनसे आग्रह किया, यह यहां के जनसामान्य की विशेषता है. ऐसी अपने समाज की अदभुत शक्ति है, इसी के बल पर अपने यहां आपदा पीड़ित समाज पुनः खड़ा हो सका है. हमें अपने ऐसे जागृत समाज पर गर्व होना चाहिये. उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज मनुष्य प्रकृति का साथ छोड़ उसके साथ स्पर्धा कर रहा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. इस तरह की प्राकृतिक आपदा की घटनायें हमें चिंतन करने का अवसर देती हैं कि हम प्रकृति के साथ समन्वय करके चलें.

Sradhanjali Karyakram Uttarakhand Apda

इस त्रासदी से लोगो को बाहर निकालने वाले पुरुषार्थी बन्धुओं पर बोलते हुए उन्होंने बताया कि भारतीय सेना की राहत कार्य में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है. यह हमारी सेना के जवानों में समाज के प्रति संवेदना का प्रकट करता है.

उत्तराखण्ड में आपदा के दौरान हुए अनाथ बच्चों और विधवाओं की स्थिति पर श्री भय्याजी ने चिंता व्यक्त करते हुए लोगों से उनकी शिक्षा तथा जीवन यापन की व्यवस्था करने का आह्वान किया.

बिहार के बक्सर से सांसद तथा समिति के संयोजक श्री अश्वनी कुमार चौबे जो पिछले वर्ष  स्वयं परिवार सहित केदारनाथ में आई प्राकृतिक आपदा में फंस गये थे, उन्होंने इस घटना का वृतांत एक वृतचित्र के माध्यम से उपस्थित लोगों के समक्ष रखा. उन्होंने पीड़ित लोगों की मदद लिये यह समिति बनाई. श्री चौबे जी ने बताया कि सरकार की ओर से उस समय कोई सहायता नहीं थी, किन्तु उस समय भी मंदिर मठों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसवकों ने पीडि़तों की हर संभव मदद की तथा सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आपदा पीड़ितों की जान बचा कर उन्हें सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया.

उत्तराखण्ड की यात्रा पर श्री अश्वनी चौबे ने एक स्मारिका भी प्रकाशित की, कार्यक्रम में इसका विमोचन भय्या जी ने किया.

DSC03099

वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने आपदा में मृत लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए ऐसी आपदाओं से निपटने के लिये सुझाव दिये. उनके साथ उत्तराखण्ड से राज्यसभा सांसद श्री तरुण विजय, दिल्ली से लोकसभा सांसद श्री उदित राज ने भी प्रकृति संतुलन पर अपने विचार व्यक्त किये.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *