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‘आरोग्य भारती’ ने विचार क्रांति के लिये कसी कमर

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Arogya Bharatiभोपाल. आरोग्य भारती ने चिकित्सा के बजाय आरोग्य को महत्व देने के विचार को भारत के जनजीवन में फिर से सहज बनाने के लिये समाज में विचार क्रांति लाने का निश्चय किया है. आरोग्य भारती का दो दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श यहां 19 और 20 जुलाई को सम्पन्न हुआ. इस राष्ट्रीय विमर्श में देशभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ, स्वैच्छिक संस्थाओं के प्रतिनिधि और विद्याथियों ने भाग लिया. स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना करने में स्वैच्छिक संस्थाओं की भूमिका पर भी गहन विचार-मंथन हुआ.

आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र प्रसाद ने कहा कि उनके संगठन की महत्वाकांक्षा भारत को पूरी तरह स्वस्थ बनाना है. इसे पूरा करने में हजारों स्वैच्छिक संस्थाओं और लाखों कार्यकर्ताओं को जुटना होगा. आने वाले दिनों में आरोग्य को सामाजिक क्रांति बनाने के लिये स्वयंसेवी संस्थाओं को अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करनी होगी.

अपने समापन भाषण में आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. अशोक वार्ष्णेय ने कहा कि स्वस्थ जीवन शैली के आधार पर सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है. हमें अपनी जीवन शैली के प्रति सजग, सावधान और संकल्पबद्ध होना होगा. श्रीश्री 108 माधव प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने कहा कि ‘स्वस्थ जीवन शैली’ विषय पर केन्द्रित राष्ट्रीय विमर्श से आरोग्य भारती की सम्पूर्ण राष्ट्र के स्वास्थ्य के की चिंता प्रकट होती है.

भोपाल के सांसद आलोक संजर और शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने भी अपने विचार रखे. श्री जोशी ने कहा कि आयुर्वेद के माध्यम से स्वस्थ जीवन की पद्धति भारत ने दुनिया को दी है. स्वस्थ आहार और विचार के द्वारा ही स्वस्थ भारत के सपने को साकार किया जा सकता है. इस दिशा में आरोग्य भारती का प्रयाय सराहनीय है. सांसद आलोक संजर ने कहा कि स्वस्थ व्यक्ति ही भारत के विकास और तरक्की में योगदान कर सकता है.

इस अवसर पर स्कूली विद्याथियों के लिये चित्रकला और चित्र प्रदर्शनी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया. विजेता विद्याथियों को समापन समारोह में सम्मानित किया गया. सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गये.

मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के महानिदेशक एवं मध्यप्रदेश शासन के वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. प्रमोद कुमार वर्मा ने स्वस्थ जीवन शैली को भारत की परंपरा और संस्कृति के रूप में निरूपित किया. उन्होंने कहा कि भारत में परंपरागत तौर पर जीवन शैली ही ऐसी रही है जो व्यक्ति को निरोग रखने वाली है. भारतीय परंपरा चिकित्सा से अधिक स्वास्थ्य को महत्व देती रही है. भारतीय चिकित्सा पद्धति भी व्यावसायिक नहीं रही है, बल्कि इसमें लोक-कल्याण की भावना थी. किन्तु आज स्वास्थ के प्रति हमारा दृष्टिकोण बदल गया है. हमारी दिनचर्या ऐसी है जो बीमारियों को आमंत्रित करती है. आज की चिकित्सा पद्धति भी ऐसी है जो मनुष्य का इलाज करने की बजाय सिर्फ रोग का उपचार करती है. आरोग्य भारती का प्रयास भारतीय चिकित्सा और स्वास्थ्य परंपरा को पुनर्जीवित करने वाला है.

राष्ट्रीय संगोष्ठी में ‘‘स्वस्थ जीवन शैली: कला और विज्ञान’’ विषय से संबंधित कई शोध-पत्र पढ़े गये और विशेषज्ञों द्वारा अलग-अलग समूहों में चर्चा की गईं. डॉ. विद्याधर कावलकर, डॉ. आर.बी. व्दिवेदी ने स्वस्थ जीवन शैली हेतु आवश्यक आहार एवं व्यवहार विषय पर व्याख्यान दिया. डॉ. यू. एस. निगम ने विकृत जीवन शैली जनित रोग एवं पंचकर्म, बंगलूरू के डॉ. विनय सिंह,  भोपाल के डॉ. एस.सी. दुबे, डॉ. वी.एन. सिंह, डॉ. कमलेश शर्मा, डॉ. लोकेन्द्र दवे, डॉ. उमेश शुक्ला, डॉ. एस. के. मिश्रा ने भी अपनी प्रस्तुति दी.

गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय जामनगर की डॉ. करिश्मा नरवानी ने ‘उत्तम संतति प्राप्त करने का विज्ञान’ विषय पर अपनी शोध प्रस्तुति दी. उन्होंने बताया कि उत्तम संतान प्राप्त करने के लिये गर्भाधान से 90 दिन पहले ही प्रक्रिया शुरू करनी पड़ती है. इसमें देह शुद्धि, नाड़ी शुद्धि आहार शुद्धि, पर्यावरण शुद्धि का संकल्प विशेषरूप से लेना पड़ता है. उन्होंने कहा कि संतति की प्रकृति चाहने, सोचन, सुनने और संकल्प करने से भी प्रभावित होती है. चर्चा सत्र में डॉ. लीला जोशी ने कुपोषण और एनीमिया के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा की सस्ते उपायों का पालन कर एनीमिया का निदान किया जा सकता है.

आने वाले दिनों में आरोग्य भारती अखिल भारतीय स्तर पर स्वस्थ भारत अभियान को मूर्तरूप देगा. इसके द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और सजगता का वातावरण निर्मित करने का संकल्प आरोग्य भारती ने किया है.

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