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एकात्मता का प्रतीक है संघ का सेवाकार्य: भय्या जी जोशी

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RSS Sarkarwah Shri Sureshji Joshi with Akhil Bharteeya Prachar Pramukh Manmohan Vaidhyaलखनऊ. राहत कार्य संघ की कार्यपद्धति में ही शामिल है. जम्मू-कश्मीर में संघ द्वारा की गयी आपदा सहायता वस्तुतः एकात्मता की मिसाल है. समाज के दलित, पिछड़े वनवासी क्षेत्र में भी संघ सेवा कार्य करता है. करीब 1 लाख 60 हजार सेवा केन्द्र स्वयंसेवकों के द्वारा चलाये जा रहे हैं. यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश (भय्या जी) जोशी ने कही, जो कि संघ के अखिल भारतीय केन्द्रीय कार्यकारी मण्डल की बैठक के बाद यहां सोमवार, 20 अक्टूबर को पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे. 

उन्होंने कहा कि पर्यावरण की समस्या गम्भीर है. समाज में जल संवर्द्धन एवं वृक्षारोपण को लेकर जागरुकता का कार्य प्राथमिकता के आधार पर लिया जायेगा. इसके लिये प्रशिक्षण शिविर भी चलाये जायेंगे. देश में हाल ही में हुए राजनीतिक परिवर्तन के सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि देश के नागरिकों ने अपनी जागरूकता का परिचय विश्व को करा दिया. भारत की जनता कठिन परिस्थितियों में भी उचित निर्णय कर सकती है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार देश के लिये हितकारी नहीं थी. लोग परिवर्तन चाहते थे. संघ ने देश हित में परिवर्तन का समर्थन 100 प्रतिशत मतदान का देश के सामने आह्वान कर किया.

उन्होंने स्वीकार किया कि अनेक लोग पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर संघ की आलोचना करते हैं. लेकिन समाज इसे स्वीकार नहीं करता. इसलिये आज संघ का इतना विस्तार हो रहा है. इस वर्ष सवा लाख युवक प्राथमिक शिक्षा वर्ग में शामिल हुये. गांव-गांव तक संघ कार्य का विस्तार हो रहा है. हिन्दू के अलावा कोई अन्य लोग भी संघ में आते हैं, तो संघ उनका स्वागत करता है.
एक प्रश्न के उत्तर में भय्या जी ने बताया कि संघ हिन्दुओं को जाग्रत करना चाहता है. यह समाज शक्तिशाली होना चाहिये, तभी देश शक्तिशाली होगा. हिन्दू कौन है? यह पूछने पर उन्होंने कहा कि जो अपने आपको हिन्दू कहता है वह हिन्दू है. इसमें उपासना पद्धति का भेद नहीं.

ग्रामीण विकास की कल्पना को स्पष्ट करते हुए श्री भय्या जी ने कहा कि गांव के लोग अपनी योजना खुद बनायें. उसके क्रियान्वयन में शासन का सहयोग हो सकता है. गांव के लोग शिक्षित हों, गांव सुन्दर हो, इसमें पर्यावरण, चिकित्सा आदि शामिल हो. भेदभाव ना हो, गांव की आवश्यकता गांव में ही पूरी हो. कुटीर उद्योग बढ़ने चाहिये. यह संघ की ग्रामीण विकास के सम्बन्ध की अवधारणा है.

समाज में शासन की विशेष भूमिका होती है. वह जनहित में कार्य करे. उनकी व्यवस्था ठीक करे, सुरक्षा सुनिश्चित करे. जबकि समाज के दोष दूर करने के लिये समाज को स्वयं पहल करनी चाहिये. सरकार पर निर्भर नहीं होना चाहिये.

श्री राम मन्दिर निर्माण के सम्बन्ध में पूछे गये प्रश्न के उत्तर में भय्या जी ने कहा कि राम मन्दिर वहाँ है ही, वहाँ नियमित पूजा भी होती है. अब उसे भव्य बनाने की आवश्यकता है. वर्तमान सरकार ने चुनावी घोषणापत्र में कहा था कि मन्दिर निर्माण की बाधाओं को दूर करेगी. इसके लिये सरकार को समय देना चाहिये.

 

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