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कला ही जीवन को वास्तव में जीवन्त बनाती है

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कला संगम मंच के माध्यम से बाल कलाकारों को मिलता है अपनी प्रतिभा निखारने का मौका

रोहतक (विसंकें). विद्या भारती से संबद्ध हिन्दू शिक्षा समिति हरियाणा प्रांत के तत्वाधान में शिक्षा भारती विद्यालय में दो दिवसीय कला संगम का आयोजन किया गया. इसमें ‘कला व संगीत’ संबंधित चित्रकला, रंगोली, स्लोगन, पोस्टर मेकिंग, कलात्मक कलाकृति निर्माण, मूर्तिकला, लोककला, कपड़ा रंगाई, कविता, एकल गायन, लोक नृत्य, वादन, हरियाणवी लोकगीत, शास्त्रीय गायन व नृत्य, मूक अभिनय सहित अनेक गतिविधियों में हरियाणा प्रान्त के 13 विद्यालयों के 248 विद्यार्थियों ने भाग लिया. जिनमें संगीत विधा के 139 तथा कला विधा के विभिन्न गतिविधियों में 109 प्रतिभागी उपस्थित रहे.

प्रथम दिन उद्घाटन सत्र का शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. हुकुमचंद जी डीन एवं विभागाध्यक्ष एमडीयू, विशिष्ट अतिथि डॉ. नीरा शर्मा जी प्राचार्या वैश्य महिला महाविद्यालय, हिन्दू शिक्षा समिति के संगठन मंत्री बालकिशन जी, सहसंगठन मंत्री रवि कुमार जी, प्रबंध समिति के अध्यक्ष चन्द्रसेन जी, प्रबंधक डॉ. विजेन्द्र कुमार गोयल जी, सचिव अनुराग जैन जी, कोषाध्यक्ष वेद सेतिया जी ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया. उद्घाटन सत्र की शुरूआत में विद्यालय प्राचार्या लक्की सचदेवा जी ने समारोह में उपस्थित महानुभावों का परिचय करवाते हुए उनका स्वागत व अभिनंदन किया.

मुख्य वक्ता बालकिशन जी ने कहा कि कला ही जीवन को वास्तव में जीवन्त बनाती है. कला संगम मंच के माध्यम से बाल कलाकारों को अपनी प्रतिभा निखारने का मौका मिलता है. तत्पश्चात् वर्गानुसार अनेक गतिविधियाँ करवाई गई. जिनमें बच्चों ने अपनी कलात्मकता, सृजनात्मकता, रचनात्मकता का परिचय देते हुए मेरा गाँव, स्वच्छ भारत, पर्यावरण संरक्षण, नशा मुक्ति, रामायण, महाभारत, गौरक्षा, 2022 का भारत, महान विभूतियों के चित्र स्वदेशी अभियान, भारत का गौरव, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, स्वर्ण जयंती हरियाणा, छोटा परिवार, पृथ्वी बचाओ आदि सम सामयिक विषयों पर चित्रकला व पोस्टर बनाए. बेकार वस्तुओं से फूल पत्ती के डिजाइन, पशु-पक्षी आदि की आकृतियां बनाई, रंगोली, थापा, सांझी, अहोई आदि बनाकर विस्मृत होती भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित कर उनके संरक्षण व संवर्द्धन का संदेश दिया.

दूसरी तरफ वीर रस से परिपूर्ण कविता, एकल गीत, भांगड़ा, हरियाणवी लोक नृत्य, शास्त्रीय-उपशास्त्रीय संगीत, नृत्य आदि के माध्यम से भारतीय गीत-संगीत की झलक प्रस्तुत की. भारत की विभिन्न संस्कृतियां एक मंच पर नजर आई. सायंकालीन सत्र में कला संयोजक दीपक जी ने चित्रकला से संबंधित एक कार्यशाला की, जिसमें बच्चों को चित्रकला की बारीकियाँ समझाते हुए उनका मार्गदर्शन किया. कला संगम के दूसरे दिन विभिन्न विद्यालयों से आए प्रतिभावान व मेधावी कलाकार बच्चों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों की भव्य प्रदर्शनी लगाई गई. अन्तर्राष्ट्रीय कलाकार मेघा कत्याल जी ने प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए बच्चों की कला की मुक्त कंठ से प्रशंसा की तथा उन्हें कला की बारीकियाँ भी समझाई. इस अवसर पर पूर्व छात्रों सहित अनेक गणमान्य महानुभाव उपस्थित रहे.

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