मुकेश वशिष्ठ
पांच हजार वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने जिस धरती पर गीता के सैद्धांतिक और व्यावहारिक उपदेश दिया था. आज ‘हरियाणा’ की वह धरती, कोरोना वायरस से उपजे संकट में अन्य प्रदेशों के लिए मार्ग दिखा रही है. कोरोना संकट में हरियाणा एक मॉडल के रूप में उभर रहा है, जहां कर्तव्यवान समाज और संवेदनशील सरकार का अटूट समन्वय है. वास्तव में, यहां कोरोना संक्रमण को थामना एक यज्ञ बन चुका है, जिसमें हर नागरिक अपने दायित्वों की आहुति डाल रहा है. लिहाजा हरियाणा के दो तिहाई जिले इस महामारी से मुक्त हो चुके हैं. विश्लेषण करने पर ध्यान आता है कि हरियाणा अन्य प्रदेशों से काफी अच्छी स्थिति में है. हरियाणा में कोरोना से मृत्यु दर .79 प्रतिशत है, तो मरीजों के ठीक होने की दर 72.72 प्रतिशत है. प्रदेश में कोरोना की डबलिंग रेट 23 दिन का है.
वास्तव में कोरोना वायरस से उपजी कोविड-19 नामक बीमारी एक ऐसी महामारी है, जिससे लड़ाई में हर किसी का सहयोग आवश्यक है. यह न तो आसान लड़ाई है और न ही इसे केवल सरकार के भरोसे रहकर जीता जा सकता है. यह संकट कितना गंभीर है, इसका पता उससे लड़ने के लिए नित-नए उपायों की घोषणा के साथ-साथ प्रधानमंत्री की ओर से देश के नाम बार-बार संदेश से होता है. यह भूल भी नहीं की जानी चाहिए कि केवल बड़े शहरों के लोगों को ही सावधान रहने की जरूरत है. इस संकट से बचने में तो देश के हर एक नागरिक का योगदान चाहिए – चाहे वह शहरी हो या ग्रामीण. चूंकि अब यह किसी से छिपा नहीं कि किसी एक व्यक्ति की लापरवाही पूरे समुदाय पर भारी पड़ सकती है, इसलिए हर किसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह खुद तो सतर्क रहे ही, दूसरे लोग भी पर्याप्त सतर्कता बरतें.
यह ठीक भी नहीं है कि खतरा सामने दिखने और उसके लगातार गंभीर होते जाने के बाद भी संकट की गंभीरता को समझने से इन्कार किया जाए. मार्च-अप्रैल महीने में ऐसी हद दर्जे की मूर्खता पूरे देश ने देखी थी कि कोरोना वायरस से संक्रमित कुछ मरीज अस्पताल से भाग रहे हैं या फिर खुद को अलग-थलग करने में आनाकानी कर रहे हैं. ऐसे लोग खुद को मुसीबत में डालने के साथ ही पूर समाज के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. दिल्ली के नजदीक होने के कारण उत्तर प्रदेश के बाद हरियाणा ने इसे ज्यादा सहन किया. फलस्वरूप प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई. सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में मकरज से 1641 तबलीगी जमाती आए.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमाओं से घिरे हरियाणा के सामने खुद को कोरोना से बचाए रखने की बड़ी चुनौती थी. इसके बावजूद सरकार ने कोरोना वायरस को प्रदेश में फैलने नहीं दिया. इस भीषण स्थिति में हरियाणा सरकार ने सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों दृष्टियों से अपनी योजनाओं को क्रियान्वित किया.
उल्लेखनीय है कि हरियाणा देश का ऐसा पहला राज्य था, जिसने 12 मार्च को सबसे पहले अपने प्रदेश को महामारी प्रभावित इलाका घोषित कर दिया था और समय रहते व्यापक स्तर पर तैयारी कर ली थी. विशेष तौर पर 15 विभागों का मजबूत समन्वय बनाकर युद्ध स्तर पर काम शुरू किया गया था. दुर्भाग्यवश ठीक पांच दिन बाद 17 मार्च को प्रदेश में कोरोना ने दस्तक दी और गुरुग्राम में पहला कोरोना पॉजिटिव केस पाया गया. इस दौरान 14 इटेलियन पर्यटकों को भी गुरुग्राम के अस्पताल में ही इलाज के लिए भर्ती कराया गया. इनमें से अब 13 मरीज ठीक हो चुके हैं और एक मरीज की मृत्यु हो गई है. कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार कितनी गंभीर है, इसका आंकलन खुद मुख्यमंत्री की सक्रियता से लगाया जा सकता है. हर रोज प्रेस कॉन्फ़्रेंस सीएम मनोहर लाल के नेतृत्व में की जाती है. लोगों तक सही जानकारी पहुंचती है. इसी तरह सरकार द्वारा इंटरनेट कनेक्टिविटी में ऑफिस कर्मचारियों और लोगों की ज़रूरतों को देखते हुए 30 से 40 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई. ये फैसला लेने में बिल्कुल भी सरकार ने देरी नहीं की और इंटरनेट का इस्तेमाल आज ज्यादा से ज्यादा लोग कर रहे है. जबकि आम लोगों को रोजमर्रा की चीजें मुहैया कराने व पारदर्शी व्यवस्था बनाने के लिए ई-सेवाओं का सहारा लिया. प्रदेश स्तर पर जन सहयोग हेल्प-मी एप के माध्यम से 12 अलग-अलग सुविधा दी गई. केंद्र सरकार द्वारा संचालित आरोग्य सेतु एप का प्रचार-प्रसार किया गया. अब तक 32.57 लाख लोग एप को डाउनलोड कर चुके हैं. हरियाणा के लिए खुद को कोरोना से बचाए रखने की बड़ी चुनौती थी. इसलिए सरकार ने तमाम आशंकाओं पर विराम लगाते हुए प्रदेश की सीमाओं से लगी अंतरराज्यीय सीमाओं को सील कर 40 हजार पुलिसकर्मी फील्ड में उतारे. इसी सख्ती ने किसी तबलीगी जमाती और विदेशों से आए 65 हजार एनआरआई को प्रदेश में छिपने नहीं दिया. लॉकडाउन से पहले ही सरकार ने अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत कर लिया था. हर जिले में एक कोविड स्पेशल अस्पताल बनाना भी एक सफल प्रयोग रहा, जहां कोरोना पॉजिटिव मरीजों को रखा गया. इस समय प्रदेश में कोरोना मरीजों के लिए 11 अस्पतालों में 1400 बेड और 1101 वेंटिलेटर हैं. इसी तरह 19 हजार मरीजों के लिए क्वारेंटाइन और 9444 मरीजों के लिए आईसोलेशन बैड बनाए गए हैं. सरकारी या निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित पॉजिटिव मरीज के इलाज पर होने वाला खर्च सरकार वहन करती है.
हरियाणा में हर नागरिक का स्वास्थ्य सर्वे डाटा सरकार के पास है. अप्रैल माह में सरकार ने 487 मोबाइल हेल्थ टीम और 20792 टीमों के माध्यम से 46 लाख 8 हजार 84 घरों का सर्वे कर लोगों की स्वास्थ्य जांच की थी. इस सर्वे में 9977 लोगों की पहचान हुई, जिन्हें निमोनिया या सांस लेने की दिक्कत थी. सरकार इन लोगों के टेस्ट करवा रही है. स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के साथ सरकार ने लॉकडाउन के दौरान आम आदमी के संकट पर भी ध्यान केंद्रित रखा. मुख्यमंत्री परिवार समृद्ध योजना, निर्माण क्षेत्र के मजदूर तथा असंगठित क्षेत्र के करीब 24 लाख गरीब परिवारों को सरकार आर्थिक सहायता और मुफ्त राशन मुहैया करा रही है. जिसके अंतर्गत सरकार हर महीने 1200 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. जिसमें मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना में रजिस्टर्ड 12.56 लाख लोगों को 4 हजार रुपये का आर्थिक सहयोग, रजिस्टर्ड 3 लाख 50 हजार 621 कंस्ट्रक्शन श्रमिकों को हर महीने 4500 रुपये, मजदूर और रेहड़ी पटरी वाले डीसी पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं, उन्हें प्रति सप्ताह 1000 रुपये की मदद दी गई है, इनकी संख्या 6 लाख 23 हजार 108 है. इसी तरह प्रदेश के बीपीएल, एओवाई व ओपीएच परिवारों को 30 जून तक मुफ्त राशन दिया जा रहा है. इसके अलावा सरकार लगभग 2 लाख परिवारों को राशन के पैकेट वितरित कर चुकी है, जिन लोगों के राशन कार्ड किसी कारण से बन नहीं पाए थे. नेशनल सोशल असिस्टेंस प्रोग्राम के तहत, प्रदेश के लगभग 22 लाख वृद्धाओं, विधवाओं और विकलांग लोगों को तीन महीने की पेंशन एक साथ दी गई है. मनरेगा के तहत मजदूरों की दिहाड़ी को भी बढ़ाया गया है. दिहाड़ी को 284 रुपये प्रति दिन से बढ़ाकर 309 रुपये प्रति दिन कर दिया है.
किसी भी विपदा में धैर्य और उत्साह की जरूरत होती है. इसलिए हरियाणा सरकार लगातार अपने डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों को उत्साहित करने से चूक नहीं रही है. सरकार ने कोरोना वायरस से संक्रमित होकर मृत्यु हो जाने की स्थिति में उनके परिजनों को आर्थिक मदद देने का वादा किया. इसके तहत डॉक्टर को 50 लाख, नर्स को 30 लाख, पैरामेडिकल स्टाफ को 20 लाख और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 10 लाख देने का प्रावधान है. इसी तरह पुलिसकर्मी भी जनसेवा करते वक्त कोरोना वायरस की चपेट में आते हैं तो उनके परिजनों को 30 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी. जबकि कोविड-19 के विरूद्ध सरकार की सहायता करने वाले सभी मीडिया कर्मियों, कंटेनमेंट जोन में कार्यरत सभी सरकारी कर्मचारी (आशा वर्कर्स, आंगनवाडी वर्कर्स, पुलिस कर्मी और सफाई कर्मचारी), मंडियों में खरीद प्रक्रिया में लगे सभी पंजीकृत किसान-आढ़ती एवं मजदूर और खरीद एजेंसियों के कर्मचारी चाहे वे नियमित, अंशकालिक या अनुबंधित हों, सभी को 10 लाख रुपये के जीवन बीमा कवर का लाभ देने का फैसला लिया है.
हरियाणा कृषि प्रधान प्रदेश है, जहां करीब 16 लाख किसान परिवार हैं. फिलहाल, प्रदेश में सरसों और गेंहू की खरीद प्रक्रिया जारी है. अब तक 1 लाख 9 हजार 775 किसानों से 2.98 लाख मीट्रिक टन सरसों और 3 लाख 54 हजार 097 किसानों से 30.67 लाख मीट्रिक टन गेंहू की खरीद की गई. इस दौरान लॉकडाउन के लिए तय निर्देशों और शारीरिक दूरी का विशेष ध्यान दिया जा रहा है. प्रत्येक खरीद केंद्र पर किसानों के लिए सेनेटाइजर समेत तमाम सुविधाओं की व्यवस्था की गई है. हरियाणा दुग्ध उत्पादन में भी अव्वल प्रदेश है. लेकिन, लॉकडाउन के चलते प्रदेश में 40 प्रतिशत दूध की बिक्री में गिरावट आई है. इस समस्या को देखते हुए प्रदेश सरकार ने किसानों, डेयरी फार्म संचालकों तथा दुग्ध उत्पादकों से यह सरप्लस दूध सहकारी समितियों के माध्यम से खरीदने का निर्णय लिया. वर्तमान में प्रदेश में 107 लाख टन दूध का उत्पादन होता है. प्रदेश में भी प्रवासी श्रमिक किराएदार के तौर पर बड़ी संख्या में रहते हैं. इसलिए जब दूसरे प्रदेशों से प्रवासी श्रमिक पलायन करने को मजबूर हो गए थे, तब हरियाणा सरकार ने मजदूरों के पलायन को रोकने में सफलता प्राप्त की. समय रहते सरकार ने 550 राहत शिविरों का निर्माण कर 60 हजार से ज्यादा मजदूरों के ठहरने की व्यवस्था की. फलस्वरूप 210 शिविरों में 15500 मजदूरों ने शिविरों का लाभ उठाया. यद्यपि यह सच है कि कोरोना संक्रमण की लड़ाई जन-सहभागिता के बिना नहीं जीती जा सकती. इसलिए सरकार ने आम लोगों को कोविड19 संघर्ष सेनानी बनने का मौका दिया, इसमें भी सरकार को सफलता मिली. आज 78795 संघर्ष सेनानियों के जरिए गरीब लोगों तक आम चीजें पहुंचना आसान हुआ. हरियाणा कोरोना रिलीफ फंड में किसानों से लेकर छोटे व्यापारी, पंचायत, विद्यार्थी, कर्मचारी और उद्योगपतियों ने आर्थिक सहयोग दिया. विशेषकर 170 कर्मचारियों द्वारा एक महीने के पूरी सैलरी देना. भीषण स्थिति से निपटने के लिए जनप्रतिनिधियों का रवैया भी सराहनीय है. जब उन्होंने एकमत होकर अपने वेतन का 30 फीसदी हिस्सा एक साल तक सरकार को देने का फैसला लिया.
यह जरूरी है, कि जब सरकारी तंत्र और खासकर स्वास्थ्य तंत्र के लोग संकट के खिलाफ दिन-रात एक किए हुए हैं, तब सबका सहयोग नैतिक धर्म बन जाता है. इस मॉडल में देश-प्रदेश के सर्वांगीण विकास के साथ इस संकट को परास्त करने की शक्ति है.