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चाहे बारिश हो, तूफान हो या अग्नि प्रलय हो, संघ कार्य निरंतर चलता रहेगा – जे. नंद कुमार जी

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नई दिल्ली (इंविसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली प्रान्त द्वारा गणतंत्र दिवस के अवसर पर पथ संचलन निकाला गया. पूर्ण गणवेश में 1205 स्वयंसेवकों ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमानुसार भारी वर्षा के बीच, सुव्यवस्थित व अनुशासित ढंग से पथ संचलन पूर्ण किया. मंदिर मार्ग स्थित विद्यालय से आरम्भ हुआ संचलन पेशवा रोड, गोल मार्केट, भाई वीरसिंह मार्ग, बंगला साहिब गुरुद्वारा, बाबा खड़ग सिंह मार्ग, राजीव चौक सर्कल होते हुए राजीव चौक पर वर्षा के बीच संपन्न हुआ. इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे. नन्दकुमार जी ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि समाज के अन्दर संगठित भाव, अनुशासन, आत्मविश्वास जगाने के लिए, राष्ट्र के प्रति, देश के प्रति काम करने की प्रेरणा जगाने के लिए इस तरह का संचलन, एकत्रीकरण व कार्यक्रम चलते रहते हैं. गणतन्त्र दिवस पर और स्वतन्त्रता दिवस में भी जगह-जगह पर कार्यक्रम करते हैं. इसके द्वारा दो प्रकार के उद्देश्य संघ के सामने हैं एक तो देश के अन्दर, समाज के अन्दर आत्मविश्वास जगना चाहिए, अनुशासन का भाव जगना चाहिए, राष्ट्र के लिए काम करने का भाव जगाना. इसके साथ-साथ संघ स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण का, उनके एजुकेशन और ट्रेनिंग का भाव भी है. संघ स्वयंसेवकों के अन्दर देश के प्रति काम करने का अवसर और शक्ति मिले, इसके लिए इस तरह से अलग-अलग कार्यक्रम संघ करता है. उन्होंने स्वयंसेवकों को गणतंत्र दिवस की बधाई देते हुए कहा कि 68वें गणतन्त्र दिवस में इतने सुन्दर, अनुशासित ढंग से एक गुणात्मक पथ संचलन अच्छी तरह सफल सम्पन्न हुआ. इसके लिए हम सभी बधाई के पात्र हैं. स्वयंसेवकों को बधाई देने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन आपने जो अनुशासन यहां कर के दिखाया, निश्चित रूप से आप सभी बधाई के पात्र हैं. चाहे बारिश हो, तूफान हो या अग्नि प्रलय हो, संघ ऐसा एक आर्गनाइजेशन, संगठन है, कुछ भी बाधा आए मगर हमारा यह मार्च-पथ संचलन, संघ का अभियान, यह आगे बढ़ेगा. संघ कभी रुकने वाला नहीं है, इस देश को परमवैभव के उच्च सिंहासन पर ले जाने के लिए यह हमेशा आगे बढ़ेगा. इसी संकल्प शक्ति, समर्पण, त्याग के कारण गत् 92 सालों से संघ आगे बढ़ता गया. बहुत सारी बाधाएं, प्रतिकूलताएं आईं, इमरजेंसी आई, ब्रिटिश सरकार ने भी संघ को रोकने की कोशिश की, फिर भी संघ अधिकाधिक शक्ति पाकर आगे बढ़ा. आजादी मिलने के तुरन्त बाद यहां जो इतना भीषण नरसंहार हुआ, मुल्क का बंटवारा हुआ, उस समय भी भारत के हिन्दू समाज की रक्षा के लिए स्वयं आहुति देकर, प्राण न्यौच्छावर करके संघ ने इस समाज, इस देश की रक्षा की और आगे बढ़ा.

नन्दकुमार जी ने कहा कि आजादी मिलने के बाद गांधी हत्या के झूठे आरोप संघ पर लगाकर संघ को कुचलने की कुछ लोगों ने कोशिश की, फिर भी संघ आगे बढ़ा. संघ का इतिहास ही ऐसा है, चाहे बारिश हो अग्नि प्रलय हो, संघ आगे बढ़ा, रुका नहीं. क्योंकि संघ की शाखाओं से मिलने वाला संस्कार वही है जो  श्रीराम जी ने धर्म की विजय के लिए अधर्मी रावण को नष्ट करके समाज को दिया था. राम जी के सामने भी बहुत सारी बाधाएं थीं, साथी बहुत ज्यादा नहीं थे, लेकिन उस प्रतिकूलता में भी राक्षस कुलों का उन्मूलन करके उन्होंने धर्म की विजय करवाई. राम जी के साथ केवल कपि लोग, वानर सेना थी, लेकिन राम ने अकेले इस कपि सेना का सहारा लेकर अधर्म के राक्षस कुल को पूरी तरह नष्ट कर दिया.

उन्होंने कहा कि महान, समर्पित, त्यागी व्यक्तियों को केवल सात्विक क्रिया सिद्धि चाहिए. क्रिया सिद्धि है सम्पति नहीं है, कोई उपक्रम नहीं है तो भी विजय हमेशा उस प्रकार की शक्ति की है. संघ ये महान कृत्य करके दिखाता रहता है. संघ के पास बहुत सारी सम्पत्ति नहीं है, संघ के पास बहुत सारे सहायक लोग नहीं हैं, फिर भी हम तो शाखा से प्राप्त संस्कार-संस्कृति के बलबूते पर, उस क्रिया सिद्धि के बलबूते पर आगे बढ़ रहे हैं.

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