जालंधर (विसंकें). अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने पंजाब सहित सभी राज्य सरकारों से मांग की कि वे अपने यहां छात्रसंघ चुनाव करवाएं, जिससे शिक्षा के व्यवसायीकरण के दौर में विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों के हितों की रक्षा हो सके.
एबीवीपी के प्रांतीय कार्यालय में बातचीत करते नागेश ठाकुर ने शिक्षा प्रणाली के एकीकरण की भी मांग की, ताकि देश के युवा अंतरराष्ट्रीय चुनौती के लिए अपने आप को तैयार कर सकें. उन्होंने कहा कि अक्सर राज्य सरकारें इस दलील पर छात्र संघ के चुनाव नहीं करवाती कि इनमें हिंसा होने की आशंका रहती है, परंतु यह सही नहीं है. छात्रसंघ गठित होने के बाद विद्यालयों व महाविद्यालयों में छात्रों व उनके अभिभावकों के हितों की रक्षा बेहतर ढंग से होती है और शिक्षण संस्थान फीसें बढ़ाने सहित अपनी किसी तरह की मनमर्जी नहीं कर पाते. दूसरी ओर छात्रसंघ चुनावों से युवा वर्ग राजनीति के प्रति आकर्षित होता है जो लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति तैयार कर रही है और विद्यार्थी परिषद् ने इसमें अपने कई सुझाव दिए हैं. इन सुझावों में शिक्षा नीति का राष्ट्रीयकरण करते हुए इसे नए युग की चुनौतियों का सामना करने वाली बनाने का सुझाव रखा गया है. पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा हिंदी विषय को वैकल्पिक बनाने के प्रयासों को गलत बताते हुए एबीवीपी अध्यक्ष ने कहा कि इससे पंजाब की शिक्षा पिछड़ जाएगी, हिंदी के संपूर्ण ज्ञान के बिना पंजाब के विद्यार्थी राष्ट्रीय स्तर पर बाकी विद्यार्थियों से मुकाबला नहीं कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए, परंतु राष्ट्रीय भाषा का ज्ञान भी अत्यावश्यक है क्योंकि हिंदी ही देश की संपर्क भाषा है. उन्होंने पंजाब सरकार से मांग की कि यहां के स्कूलों के पाठ्यक्रम में हिंदी की अनिवार्यता बनाई रखी जानी चाहिए. उन्होंने पथिक संदेश के मई अंक का लोकार्पण किया और पंजाब में सामाजिक जागरण की दिशा में पथिक संदेश द्वारा दिए जा रहे सहयोग की प्रशंसा की.