गुवाहाटी. विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र की वार्षिक साधारण सभा गुवाहाटी के शंकरदेव विद्या निकेतन विष्णु पथ में सम्पन्न हुई. असम, अरूणाचल, मेघालय, मणिपुर, नागालैण्ड, त्रिपुरा से 151 सदस्यों की उपस्थिति साधारण सभा में रही. असम के शिक्षा मंत्री सिद्धार्थ भट्टाचार्य, विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के महामंत्री श्रीराम आरावकर, विद्या भारती के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री गोविंद चंद्र महंत, अखिल भारतीय उपाध्यक्ष प्रोफेसर तामो मिबांग, अखिल भारतीय मंत्री ब्रह्माजी राव बैठक में उपस्थित रहे. साधारण सभा का संचालन विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र के अध्यक्ष डॉ. जयकांत शर्मा ने किया.
शिक्षा मंत्री सिद्धार्थ भट्टाचार्य ने विद्या भारती के कार्य की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि आचार्यों की मेहनत के फलस्वरूप विद्या भारती से संबंधित विद्यालयों में अध्ययन करने वाले छात्रों का परीक्षा परिणाम उत्कृष्ट रहता है. असम में मातृभाषा के प्रचार प्रसार में विद्या भारती से संबंधित विद्यालयों का विशेष योगदान रहा है. संस्कारयुक्त वातावरण में शिक्षा प्रदान करने वाले विद्यालयों की प्रशंसा करते हुए शिक्षा मंत्री ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्य प्रारंभ करने पर विचार करने का आग्रह किया.
विद्या भारती के अखिल भारतीय मंत्री ब्रह्माजी राव ने प्रस्ताविक भाषण में विद्या भारती के कार्य का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि आदर्श विद्यालय, शोध व सेवा कार्य, इन तीन क्षेत्रों में विद्या भारती कार्यरत है. छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करना ही विद्या भारती का मूल उद्देश्य है.
असम प्रकाशन भारती के सचिव विवेकानंद शर्मा ने बाल साहित्य से संबंधित पुस्तकों का परिचय करवाया. विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र के मंत्री सांचिराम पायेंग ने गत वर्ष की साधारण सभा की कार्यवाही की जानकारी दी, वर्ष 2018-19 का वार्षिक वृत्त भी रखा.
विद्या भारती के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री गोविंद चंद्र महंत ने पूर्वोत्तर संवाद के रूप में समाचार पोर्टल, न्यूजलेटर व मोबाईल एप का उद्घाटन किया. शिशु वाटिका, मानक परिषद्, संस्कृति बोध परियोजना, आचार्य प्रशिक्षण, खेल-कूद का वृत्त विषय प्रमुखों ने साधारण सभा के समक्ष रखा.
राजीव गांधी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. तामो मिबांग ने कहा कि शिक्षा में कलात्मक विकास पर ध्यान देना चाहिए. स्थानीय स्तर पर मातृभाषा, राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजी में विशेष ध्यान देना चाहिए. आचार्य न्यूनतम मानधन लेकर भी कार्य करते हैं, इसलिए समाज से सहायता प्राप्त करते हुए न्यूनतम संसाधनों की आचार्यों के लिए व्यवस्था करनी चाहिए. जिससे आचार्य बेहतर शिक्षा प्रदान कर सके.
साधारण सभा में शिक्षा मंत्री सिद्धार्थ भट्टाचार्य ने अरूणाचल शिक्षा विकास समिति के संयोजक महेन्द्र नाथ चतुर्वेदी, विद्या भारती अरूणाचल के अंतर्गत संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना के प्रमुख अशोकन के.वी. को सम्मानित किया.
अखिल भारतीय महामंत्री श्रीराम आरावकर ने कहा कि विद्या भारती का लक्ष्य है – जग सिरमौर बनाएं भारत. पूर्वोत्तर में विद्या भारती के कार्य के प्रारंभिक समय में कार्यकार्ताओं ने बीज रूप में कार्य किया है. वर्तमान में कार्य की अनुकूलता देखते हुए विश्राम करने की जगह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए. अन्य सभी के अंदर की अच्छाई को देखते हुए अपने कार्य के साथ नए-नए लोगों को जोड़ना चाहिए. विद्या भारती का कार्य करते हुए आत्मीयता का व्यवहार सदैव रहना चाहिए. विद्या भारती कार्य के चार आयाम विद्वत परिषद, पूर्व छात्र, शोधकार्य, संस्कृति बोध परियोजना है. जनजातीय क्षेत्र में शिक्षा कार्य बढ़े, इसलिए विद्यालयों में समर्पण के कार्यक्रम करना चाहिए.
विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र के अध्यक्ष डॉ. जयकांत शर्मा ने नई शिक्षा नीति के प्रारूप पर विचार करने को कहा. आने वाले समय में शिक्षा क्षेत्र में होने वाले बदलावों के लिए पहले से ही तैयार रहने के लिए कहा. क्षेत्रीय ग्रामीण शिक्षा प्रमुख वशिष्ठ राम डेका ने सभा में उपस्थित सभी सदस्यों को धन्यवाद किया. वंदे मातरम् के साथ साधारण सभा संपन्न हुई.
अनिमा शर्मा जी को पूर्वोत्तर क्षेत्र का उपाध्यक्ष घोषित किया गया. सभा में पूर्वोत्तर क्षेत्र के नए सह संगठन मंत्री डॉ. पवन तिवारी, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष विजय तोडी, पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष आर.के. पोद्दार व कोषाध्यक्ष सुमित काबरा भी उपस्थित रहे.