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जड़ी-बूटी और वन संपदा सहेजने की पहल करेगा संघ

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देहरादून (विसंके). हरिद्वार में 28 नवम्बर से शुरू होने वाले नव सृजन शिविर में उन विषयों पर ध्यान केन्द्रित किया जायेगा, जिनकी अभी तक सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर केवल बातें होती रहीं हैं. देश में हर साल बहुराष्ट्रीय कंपनियों की चार लाख करोड़ रुपये की दवायें आयात की जाती हैं. इसमें विदेशी मुद्रा खर्च होती है. इसे बचाने के लिये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उत्तराखंड की जड़.बूटियों और वन संपदा को सहेजने एवं प्रदेश में औषधि उद्यमिता विकसित करने की पहल शुरू की है.

संघ लोगों के साथ मेडिकल छात्रों, विशेषज्ञों और दवा उद्यमियों को जागरूक कर रहा है. हरिद्वार में 28 नवंबर से शुरू होने वाले नव सृजन शिविर में इस मसले पर गहन चर्चा होगी. परमपूज्य सरसंघचालक मोहनजी भागवत स्वास्थ्य रक्षा और पर्यावरण रक्षा के मुद्दे पर तकनीकी शिक्षा और मेडिकल छात्रों को खासतौर पर संबोधित करेंगे. युवाओं को बताया जायेगा कि अगर जड़ी.बूटियों के गढ़ उत्तराखंड में वे उद्यम शुरू करेंगे तो देश की विदेशी मुद्रा का खर्च बचेगा. साथ ही सस्ती दवायें मुहैया हो सकेंगी. संघ जड़ी.बूटी संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रही निजी और सरकारी एजेंसियों को और मजबूती से काम करने की सलाह देगा. नव सृजन शिविर में स्वास्थ्य रक्षा का विशेष कार्यक्रम रखा गया है. इसमें दवाओं के अलावा दूसरी चिकित्सीय विधाओं पर भी चर्चा होगी. इसमें आयुर्वेद, योग, नाद योग, संगीत योग के विशेषज्ञ चर्चा करेंगे. शिविर में योग गुरु स्वामी रामदेव, नाद योग विशेषज्ञ डॉ नवदीप जोशी, संगीत योग विशेषज्ञ यश पाराशर छात्रों को अपनी विधाओं के संबंध में बतायेंगे. बाद में संघ प्रमुख भागवत का वस्तुस्थिति पर संबोधन होगा.

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