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जनजाति समाज की प्राचीन परंपरा की रक्षा ही अस्मिता जागरण है – सुरेश भय्याजी जोशी

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नासिक (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्याजी जोशी ने कहा कि स्वावलंबन, संस्कृति, कला, परंपरा, नृत्य, वाद्य आदि जनजातीय समाज के स्वाभिमान और अस्मिता के विषय हैं. उन्हें अगर कोई बाधा पहुंचाने का प्रयास कर रहा हो तो हिन्दू समाज नहीं सहेगा. जनजातीय समाज की प्राचीन परंपरा की रक्षा ही अस्मिता जागरण है. सरकार्यवाह वनवासी कल्याण आश्रम की ओर से सुरगाणा तहसील के गुही गांव में आयोजित जनजाति अस्मिता सम्मेलन में प्रमुख वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर मंच पर वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय संगठन मंत्री सोमयाजुलु जी, प्रांत अध्यक्ष डॉ. आशुतोष माली जी, प्रांत सचिव शरद शेलके जी सहित अन्य उपस्थित थे.

सदर जनजाति सम्मेलन में उपस्थित पांच हजार से अधिक जन समुदाय का मार्गदर्शन करते हुए भय्याजी जोशी ने कहा कि इस देश में माता मानने वाली एकमात्र संस्कृति है. इसलिए हमारी भावना है कि जो-जो भारत माता की जय कहते हैं, वे सब एक ही हैं. दुर्भाग्य से यह संस्कृति खत्म करने के लिए कई शक्तियां समाज में कार्यरत हैं. यह बात समाज के लिए ही नहीं, बल्कि देश के लिए भी नुकसानदेह है. इसलिए हमारे समाज के लिए उचित क्या है? अनुचित क्या है? इसका चुनाव जनजातीय समाज द्वारा करना आवश्यक है.

कार्यक्रम की प्रस्तावना सचिव केशव सूर्यवंशी जी ने रखी. संचालन भास्कर खांडवी जी ने किया. कल्याण आश्रम के अ. भा. संगठन मंत्री सोमयाजुलु जी ने कहा कि बालासाहेब देशपांडे जी द्वारा शुरू किया गया वनवासी  कल्याण का कार्य आज पूरे देश में लगभग 300 जिलों में 11 करोड़ लोगों तक पहुंचा है. 230 छात्रावासों में 2000 से अधिक छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.

सांसद हरिश्चंद्र चव्हाण जी ने कहा कि “मैं सच्चा आदिवासी हूं. इसी कारण बोगस आदिवासियों के विरोध में मैंने विद्रोह पुकारा है. देश में 11 करोड़ जनसंख्या आदिवासियों की है. जातीयता की दीवारें तोड़कर एकत्र आने से ताकद बढ़ेगी.” सम्मेलन में वनवासी बांधवों के विभिन्न प्रश्नों के बारे में महेश टोपले एवं अन्य गणमान्य अतिथियों ने अपने विचार रखे. डॉ. अनिरुद्ध धर्माधिकारी जी ने स्वागत किया.

इस बीच सरकार्यवाह भय्याजी जोशी का सम्मेलन स्थल पर आगमन होने के बाद पारंपारिक वाद्य पावरी एवं संबल के मधुर मंगलध्वनि के बीच उनका स्वागत किया गया. गुही आश्रमशाला की छात्राएं लेझिम के लय पर उन्हें मंच तक ले गई. आरंभ में वनवासी बांधवों ने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया. कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण कार्य करने वाले प्रतिभावान लोगों का सम्मान किया गया. सम्मेलन में पेठ, सुरगाणा, इगतपुरी, दिंडोरी, निफाड, त्र्यंबकेश्वर तहसीलों से हजारों वनवासी बांधव सहभागी हुए थे.

वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा सुरगाणा तहसील में गुही में बनाए गए छात्रावास की नई वास्तु का उद्घाटन रा. स्व. संघ के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने शनिवार को किया. इस अवसर पर सरकार्यवाह जी ने कहा कि भौतिक इमारतों से भी ज्यादा जोर सामाजिक रचना मजबूत करने पर दिया जाना चाहिए.

अत्यंत दुर्गम इलाके में बसे गुही में वनवासी कल्याण आश्रम की ओर से पिछले 32 वर्षों से वनवासी बालकों के लिए आश्रमशाला चलाई जाती है. यहां 450 छात्र-छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रही हैं. इस इलाके में शिक्षा की कोई सुविधा नहीं थी, उस समय वर्ष 1986 में कल्याण आश्रम ने यह शैक्षिक संकुल शुरू किया था. संकुल के विस्तारीकरण के अंग के रूप में 200 छात्राओं के लिए एक सुसज्ज छात्रावास बनाया गया है. इस छात्रावास का उद्घाटन हुआ. इस अवसर पर कल्याण आश्रम के अ. भा. संगठन मंत्री सोमयाजुलु जी एवं अन्य मान्यवर उपस्थित थे. छात्रावास के निर्माण के लिए जिन्होंने दान दिया उनका भी सम्मान किया गया. वनवासी विषय के अध्येता भास्कर गिरिधारी द्वारा लिखित ‘वनवासी विश्व’ ग्रंथ का लोकार्पण सरकार्यवाह जी ने किया.

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