करंट टॉपिक्स

जाति, धर्म व भाषा का भेद मिटाकर 60 गांवों से रोटीयों का एकत्रीकरण

Spread the love

आगरा (विसंकें). सभी भेदों को भुलाकर एकात्म, एकरस, समरस समाज के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक गांव-गांव भ्रमण कर समाज के प्रत्येक व्यक्ति से रोटी एकत्रित कर रहे हैं. सर्व स्पर्शी और सर्वग्राही समतामूलक समाज की स्थापना हेतु गांवों में निकलती स्वयंसेवकों की टोली प्रतिदिन 200 घरों से बीस-बीस रोटियां एकत्रित करती है और इस रोटी को राष्ट्रभक्ति और सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ रहे स्वयंसेवकों को भोजन में देकर जाति-पाति में बिखर रहे समाज को एकजुटता की डोर में बांधने का प्रयास करते है. समूचे ब्रज प्रांत में जाति-पाति, ऊंच – नीच का भेद मिटाते रोटी संग्रह अभियान को नागरिकों की न केवल प्रशंसा मिल रही है, अपितु अभियान के माध्यम से अनेकता में एकता की संस्कृति को बल भी मिल रहा है.

ग्राम पनवारी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, ब्रजपांत का संघ शिक्षा वर्ग चल रहा है. श्रीराम कन्या इंटर कॉलेज में चल रहे शिविर में विभिन्न स्थानों से आए स्वयंसेवक शारीरिक, बौद्धिक व शैक्षणिक विकास हेतु मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे हैं. प्रशिक्षण वर्ग में आए स्वयंसेवकों के लिए प्रतिदिन दोपहर व रात्रि भोजन हेतु जिले के गांवों के प्रत्येक घर से रोटी इकट्ठा की जाती है. फिर उसे शिविर में लाकर भोजन के समय वितरित किया जाता है. रोटी एकत्रित करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि हर धर्म व जाति के लोगों के घर से प्रेम व आग्रहपूर्वक रोटी ली जाए. स्वयंसेवकों का मानना है कि मानव संगठित हो, रागद्वेष, बैरभाव को त्यागकर परस्पर सहयोगी हों. क्योंकि समाज में सामाजिक समरसता हमारी भारतीय संस्कृति की आत्मा है. मैनपुरी से आए एक स्वयंसेवक ने कहा कि संघ की संकल्पना में ऐसा समरस समाज है, जहाँ बारह मास बसंत है और जिसमें सभी सुखी व निरोग हैं, समान हैं.

संघ शिक्षा वर्ग में प्रशिक्षणार्थियों के लिए गांवों से रोटी एकतित्र करने हेतु व्यवस्था में स्वयंसेवकों की पांच टोलियां जिम्मेदारी संभाल रही हैं. प्रत्येक टोली गांवों से पहले रोटी एकत्रित करने के लिफाफे व रोटी लेने वाले परिवार को देने हेतु पर्चियां तैयार करती है. उसके बाद टोलियां गांवों की ओर निकल पड़ती है. गांव में पहुंचकर पहले राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत गीतों का गायन और ग्राम्यवासियों के बीच महापुरुषों की वाणी में राष्ट्रीय विचारों का आदान प्रदान करते हैं. उसके बाद गांव वालों को अपने कार्यक्रम के बारे में बताते हुए रोटी देने का अनुरोध किया जाता है. रोटी देने वाले की जाति, वर्ण व धर्म के बारे बिना पूछताछ किए हुए रोटी ले ली जाती है और वर्ग में आकर समभाव व एक रुप होकर रोटी को मां भारती का प्रसाद समझ कर सेवन किया जाता है.

रोटी एकत्रित कर रहे स्वयंसेवक ने बताया कि जिले के करीब 60 गांवों से रोटी एकत्रित की जा रही है. प्रातः, सांय रोटी एकत्रित करने वाले गांवों को अलग से चिन्हित किया गया है. एक बार में एक ही परिवार से रोटी ली जाती है.

स्वयंसेवकों के रोटी एकत्रीकरण अभियान का गांवों में ऐसा असर पड़ा है कि रोटी देने के लिए लोगों में होड़ मच जाती है. हर कोई चाहता है कि वह अधिक योगदान करे. माता व बहनों का रोटी देने के लिए उत्साह इस प्रकार का है कि वह सुबह से ही रोटी बनाकर स्वयंसेवकों की प्रतीक्षा गांवों के चौक में खड़ी होकर करती हैं.

गांवों में रोटी लेने जा रहे स्वयंसेवक गांव की माता-बहनों व भाईयों से रोटी भी ले रहे हैं. और उन्हें 21 जून को विश्व योग दिवस पर वर्ग में योगाभ्यास व राष्ट्रीय विचारों के प्रवाहरार्थ आमंत्रित भी कर रहे हैं. समारोह में ग्रामीणों के स्वागत व सत्कार हेतु स्वयंसेवकों ने तैयारियों को अंतिम रुप देना प्रारंभ भी कर दिया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *