फरीदाबाद (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हरियाणा प्रांत सह संघचालक पवन जिंदल जी ने कहा कि समाज का प्रबुद्ध वर्ग जब निष्क्रिय हो जाता है, तब समाज में अराजकता का वातावरण बनने लगता है और समाज विघटन की ओर अग्रसर हो जाता है. इसलिए देश की एकता, अखंडता व समरसता हेतु प्रबुद्ध वर्ग को आगे आकर राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी. पवन जी बुधवार को सेक्टर 14 स्थित सामुदायिक भवन में आयोजित सामाजिक सद्भावना संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों अपने प्रांत में हुए आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा और आगजनी के कारण उत्पन्न वातावरण को भुला कर हम सभी को फिर से भाईचारे का वातावरण निर्माण करना है, यही समय की मांग है. सभी जातियों एवं मत-पंथों ने देश के निर्माण में अतुलनीय बलिदान दिया है, उस बलिदान का स्मरण कर और जातिवाद से ऊपर उठकर इसे संभाल कर रखना भी हम सभी की सांझी जिम्मेदारी बनती है.
इस अवसर पर महंत मुनिराज महाराज जी ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश बचेगा तो धर्म बचेगा, इसलिए अपने देश और धर्म की रक्षा हेतु सभी को ऊंच-नीच का भेद भुलाकर एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए. उन्होंने आग्रह किया कि धनवान वर्ग को जातिवाद से ऊपर उठकर निर्धन वर्ग की सहायता करनी चाहिए. अभी हाल ही में 11-13 मार्च को नागौर में संपन्न हुई संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में पारित तीन प्रस्तावों में से एक दैनंदिन जीवन में समरसतापूर्ण व्यवहार करें ‘ प्रस्ताव संघ के विभाग कार्यवाह गंगाशंकर मिश्र ने पढ़कर सुनाया.
पंजाबी समाज से अधिवक्ता आरएस गांधी, ब्राह्मण समाज से अधिवक्ता ओपी शर्मा, जाट समाज से एसपीएस डागर, गुर्जर समाज से हरीचंद चंदीला, अग्रवाल समाज से आईडी महाजन, सैनी समाज से एसएस सैनी, सिख समाज से रविंदर सिंह राणा, जैन समाज से माधुरी जैन, आर्य समाज से पीके मित्तल, यमुना रक्षक दल से आरएन सिंह, पूर्वांचल सभा से नागेश सिंह, संत निरंकारी मंडल से आरके चलाना, मानव उत्थान सेवा समिति से दीप चंद, आंबेडकर सोसाइटी से ओपी धाना, राजस्थानी समाज से आरसी खण्डेलवाल आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये. इस अवसर पर संघ के उत्तर क्षेत्र संपर्क प्रमुख श्रीकृष्ण सिंघल जी, प्रांत सह कार्यवाह प्रताप सिंह मलिक जी, महानगर कार्यवाह राकेश त्यागी जी, महानगर संपर्क प्रमुख डॉ. इंदुशेखर शास्त्री, सहित शहर के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे. दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ तथा वन्देमातरम् के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ. मंच का संचालन मुरारी लाल गोयल जी ने किया तथा अरुण वालिया जी ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया.