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देश नफरत से नहीं संविधान से चलेगा – हितेश शंकर

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जयपुर (विसंकें). साहित्य का महाकुंभ कहे जाने वाला जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के अंतिम दिन सोमवार को संवाद वेन्यू में चौथा स्तम्भ विषयक चर्चा में पाञ्चजन्य के सम्पादक हितेश शंकर, वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय, अतुल चौरसिया व हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के वीसी ओम थानवी के साथ अनुसिंह चौधरी ने संवाद किया.

संवाद में देशहित के विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात रखते हुए पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने ओम थानवी व अतुल चौरसिया के आरोपों का बेबाकी के साथ जवाब दिया. हितेश शंकर ने कहा कि गोडसे गलत था, उसकी निंदा होनी चाहिए. लेकिन इसके साथ ही 1984 के दंगों के लिए राजीव गांधी की भी भर्त्सना होनी चाहिए. गांधी की हत्या के बाद देश में कत्लेआम हुआ था तो उस समय की सरकार की निंदा क्यों नहीं होनी चाहिए. उस समय की सरकार चाहती तो गांधी की हत्या रोकी जा सकती थी, क्योंकि हत्या के 10 दिन पूर्व कई लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. जिनकी जमानत पंडित नेहरू के खास मित्र लॉर्ड माउंटबेटन ने कराई थी. यह देश नफरत से नहीं संविधान से चलेगा.

हितेश शंकर ने कहा कि तबरेज की लिंचिंग तो सेक्युलर मीडिया के लिए बड़ा मुद्दा है, लेकिन पत्थलगढ़ी में हुई सात लोगों की हत्या कोई मुद्दा ही नहीं है, क्योंकि आदिवासियों की हत्या में चर्च की संलिप्तता है. वहां आदिवासी की बात नहीं होगी, पत्थलगढ़ी व धर्मान्तरण की बात नहीं होगी. अब तो ये लोग गांधी को भी औजार की तरह इस्तमाल करने लगे हैं.

कल शरजील इमाम को एक वीडियो देखा, जिसमें वह देश विरोधी बात कर रहा है. लेकिन कुछ पत्रकार उसे छात्र बताने पर तुले हैं. वह छात्र नहीं द वायर का पत्रकार है, जिसके दस आर्टिकल वायर पर पब्लिश हैं. उसके एक आर्टिकल में तो उसने जिन्ना को दोषमुक्त करने की पैरवी तक की है. देश में कथित सेक्युलरों को सुधीर चौधरी को लेकर तो आपत्ति है, लेकिन वायर को लेकर किसी को कोई आपत्ति नहीं है. एक अन्य पत्रकार अरफा खानं की वीडिय़ो सुनी, जिसमें वह कह रही हैं कि हमें सीएए पर सेक्युलर दिखना है, अभी सिर्फ हमारी रणनीति बदली है, लेकिन हमें रहना वही है. इन सबसे सीएए का विरोध करने वालों की कलई खुल गई है.

कुछ चुनिंदा पत्रकार मोदी को आए दिन गाली देते हैं, लेकिन उन्हीं के संस्थान मोदी के नाम पर बड़े-बड़े पैकेज चलाकर वाह-वाही बटौर रहे हैं. कई बड़े अखबार अपने प्रतिष्ठित सम्मान समारोह में मोदी को बुलाकर सुर्खियां बटोर रहे हैं. लेकिन फिर उन्हीं मीडिया संस्थानों द्वारा मोदी को गाली देना फैशन बन गया है.

वामपंथियों को दूसरा विचार स्वीकार ही नहीं – अनंत विजय

जयपुर स्थित पत्रकारिता विश्वविद्यालय के वीसी ओम थानवी ने कहा कि लोकतंत्र में अधिकारिक तौर पर तो तीन ही स्तम्भ हैं, लेकिन पत्रकारिता ने भी अपने आप को चौथा स्तम्भ घोषित कर लिया है. पिछले कुछ वर्षों में सत्ता से सवाल पूछने पर पत्रकारों को देशविरोधी कहा जाने लगा है. अल्पसंख्यकों की लिचिंग के खिलाफ साहित्यकारों ने अवार्ड वापस लौटाए. कई पत्रकारों की हत्या कर दी गई, देश में किसी को बोलने की भी आजादी नहीं है.

वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने से पहले यदि कोई नरेन्द्र मोदी को गाली देता था तो उस व्यक्ति को सेक्युलर कहा जाता था. वीसी बनने से पहले ओम थानवी भी सरकार का गुणगान किया करते थे. कुछ कथित सेक्युलर आरोप लगाते हैं कि चैनलों में हिन्दू-मुस्लिम की डिबेट चला रहे हैं. लेकिन कुछ वर्षों पहले तक जब मुस्लिम-मुस्लिम की डिबेट चलती थी तो किसी को आपत्ति नहीं होती थी. आपातकाल के दौरान मीडिया का गला घोट दिया गया था, उस पर कोई नहीं बोलता और अब सरकार के अच्छे कार्यों पर खबरें चलें तो गोदी मीडिया बोला जाने लगा है. गोदी मीडिया बोलने वाला एक पत्रकार सिर्फ सरकार से सवाल पूछता है, लेकिन वो महाशय किसी के सवाल नहीं लेते और यदि उनको कोई सवाल पूछे तो जवाब भी नहीं देते तो क्या इसको निष्पक्ष पत्रकारिता कहेंगे. जब तक वामपंथियों के विचार लोगों के बीच प्रासंगिक रहें तो उनकी प्रशंसा रहती है, लेकिन जब कोई दूसरी विचारधारा उसका जवाब दे तो वामपंथियों में बौखलाहट भरी उत्तेजना देखी जाती है. क्योंकि वामपंथियों को दूसरा विचार स्वीकार ही नहीं है और अब इनका विचार समाप्ति की ओर तेजी से बढ़ रहा है तो ये देश में हिंसा भड़काने का काम कर रहे हैं. पांच दिवसीय १३वां जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल सोमवार को सम्पन्न हो गया. जिसमें बड़ी संख्या में साहित्य व कला से जुड़े लोगों ने शिरकत की.

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