आगरा. वर्तमान में विश्व में जितने सम्पन्न राष्ट्र हैं, वे अपने देश के नेताओं, राजनीतिक दलों तथा संस्थाओं के कारण नहीं, अपने नागरिकों की गुणवत्ता, राष्ट्रभक्ति और उसके प्रति समर्पण से बने है. यह तथ्य देश के इतिहास को उठा कर देख लें, अगर भारत को भी परम वैभवशाली राष्ट्र बनाना है तो अपने देश के लोगों में गुणवत्ता लाने के साथ-साथ उनमें राष्ट्र बोध जगाना होगा. अमेरिका और जापान भी इसी रास्ते से चल कर आज वैभव के शिखर पर पहुंचे हैं.
उक्त उद्गार पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत ने तीन नवंबर को यहां युवा संकल्प शिविर के समापन समारोह में स्वयंसेवकों व आमजनों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये. उन्होंने कहा कि भारत की विशेषता विविधता में एकता है, जिसका सूत्र हिन्दुत्व में निहित है. इसका मुख्य आधार वसुधैव कुटम्बकम् है. हमारी संस्कृति हिन्दुत्व के कारण ही यहूदियों पारसियों आदि को रख सके. हिन्दुकुश के पठारों से लेकर श्रीलंका के समुद्र तक अपने देश के विस्तृत होने के कारण अपने को सुरक्षित जीवन जीते आये. हमें अपने पूर्वजों और महापुरुषों के आर्दशों का अनुसरण करना चाहिये.
उन्होने ने कहा कि संघ को जानने लिये शाखा में आकर अभ्यास करना होगा. यहां के कार्यक्रमों में भाग लेना होग और संस्कारों की प्रक्रिया से गुजरते हुये अनुभव प्राप्त करने होगें, तभी हम संघ को समझ सकेगें. बहिनों के लिये भी राष्ट्र सेविका समिति कार्यरत है. संघ गुणों और संस्कारों से युक्त अनुशासित स्वंयसेवक तैयार करता है. स्वंयसेवक अपनी रूचि एवं क्षमता के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में सेवा कार्य कर रहे हैं.
सरसंघचालक ने कहा कि अमेरिका अपने वैभव के बल पर दुनिया पर अपना अधिपत्य जमाता है. वहीं, चीन अपनी सीमाओं का विस्तार करता है. अगर भारत वैभवशाली बनता है तो वह अपने सद्विचार व परोपकार की भावना से सभी देशों का सहयोग करेगा.
समापन समारोह के प्रारम्भ में ध्वजारोहण के बाद पश्चात् विद्यार्थियों ने व्यायाम योग व आसनों का प्रर्दशन किया. मंचासीन अधिकारियों का परिचय ब्रज प्रांत सह कार्यवाह सुभाष वोहरा ने कराया. शिविराधिकारी डाक्टर दुर्गसिंह (कुलपति जीएलए विश्वविद्यालय ) ने कार्यक्रम की प्रस्तुति की. मंच पर सरसंघचालक मोहन भागवत जी के साथ क्षेत्रसंघचालक दर्शन लाल अरोरा, डाक्टर एपी सिंह बृजप्रांत संघचालक उपस्थित रहे. शिविर के सर्व व्यवस्था प्रमुख अशोक कुलश्रेष्ठ ने सभी सहयोगी संस्थाओं व व्यक्तिओं को धन्यवाद ज्ञापित किया. शिविर में 2250 स्नातक,750 परास्नातक,507 तकनीकी 300 व्यवसायिक, 90 प्राध्यापिक, 153 गणशिक्षक, 1000कार्यकर्ता कुल 5060 स्वंयसेवकों ने भाग लिया.