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पहले भारत की चिंता करें, फिर अपनी – बलदेव भाई शर्मा

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नई दिल्ली (इंविसंकें). विश्व पुस्तक मेले में इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र एवं नेशनल बुक ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में “संकेत रेखा” पुस्तक का विमोचन किया गया. भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी जी के भाषणों के संग्रह पर आधारित भानुप्रताप शुक्ल लिखित इस पुस्तक का पुनः प्रकाशन श्री भारती प्रकाशन नागपुर ने किया है. पुस्तक विमोचन के मौके पर दत्तोपंत ठेंगड़ी जी के लम्बे समय तक सहयोगी रहे भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष रामदास पांडे जी, नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. बलदेव भाई शर्मा, पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर जी, श्री भारती प्रकाशन प्रमुख गंगाधर जी ने पुस्तक के विषय तथा दत्तोपंत ठेंगड़ी जी के जीवन के विविध आयामों को साहित्य मंच में आये पाठकों के समक्ष रखा.

डॉ. बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि जीवन में कभी-कभी ऐसे क्षण रहते हैं, जिन क्षणों में उपस्थित रहकर हम बिना गंगा स्नान के पवित्र हो जाते हैं. दत्तोपंत ठेंगड़ी जी का सान्निध्य भी ऐसे ही क्षण थे, जिसमें हजारों ऊर्जावान कार्यकर्ता तैयार हुए. उन्होंने ठेंगड़ी जी का स्मरण दिलाते हुए कहा कि पहले भारत की चिंता करें, फिर अपनी. उनके कारण मजदूर संगठनों की सोच में परिवर्तन आया. मजदूरों को संघर्ष के रास्ते से हटाकर सामंजस्य के मार्ग पर लाने का कार्य दत्तोपंत ठेंगड़ी जी ने किया. शुद्ध सात्विक प्रेम को कार्य का आधार बनाकर राष्ट्र निर्माण के लिए अलग-अलग संगठनों की स्थापना ठेंगड़ी जी ने की.

रामदास पांडे जी ने पुस्तक का परिचय करवाते हुए दत्तोपंत ठेंगड़ी जी के साथ उनके 42 वर्ष के सान्निध्य के विषय पर बताया. मजदूर कोई भी हो, किसी भी विचारधारा का हो, हमारे लिए वो मजदूर साथी ही है. सभी को साथ लेकर सामंजस्य स्थापित करके ही राष्ट्र निर्माण का कार्य हो सकता है, संघर्ष से नहीं.

उन्होंने भूतपूर्व सोवियत संघ का उदाहरण देते हुए कहा कि संघर्ष के मार्ग पर चलते रहने वाले राष्ट्रों का कोई भविष्य नहीं होता, ऐसे राष्ट्रों का इतिहास भी नहीं लिखा जाता.

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