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पाकिस्तान से आए धार्मिक प्रताड़ना के शिकार शरणार्थियों के साथ वार्ता का आयोजन

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नई दिल्ली. भारत के सिविल सोसायटी संगठनों द्वारा कॉन्सस्टीट्यूशन क्लब, नई दिल्ली में पाकिस्तान से आए धार्मिक प्रताड़ना के शिकार शरणार्थियों के साथ एक वार्ता का आयोजन किया गया.

शरणार्थियों और नागरिक समाज संगठन के साथ मिलकर शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए काम करने वाले सांसद व भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने बताया कि नागरिकता संशोधन कानून एक सकारात्मक कानून है. इसके बारे में किसी के मन में कोई गलत धारणा नहीं रहनी चाहिए और इसके बारे में गलत प्रचार करके समाज में दरार पैदा करने से लोगों को बचना चाहिए. कानून के दुष्प्रचार के बजाय चर्चा इस बात पर होनी चाहिए कि इस क़ानून को पारित करने में 70 साल क्यों लग गए, जबकि यह कानून अत्याचार से पीड़ित लोगों को शरण देता है, अत्याचार करने वालों को नहीं.

शरणार्थी और घुसपैठिये में अंतर करना जरूरी है. घुसपैठियों को लेकर असम में बहुत संघर्ष हुए हैं, इसलिए घुसपैठी और शरणार्थी अलग-अलग हैं. इस दृष्टि से यह कानून अत्याचार पीड़ित को प्रश्रय देने की सुविधा देता है. पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचारों की वास्तविकता को हमें समझना होगा. दिल्ली में विभिन्न स्थानों में रह रहे पाकिस्तानी हिन्दू शरणार्थियों से मिलकर हम यह जान सकते हैं.

लोकसभा सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि यह बिल वर्षों से पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश में प्रताड़ना झेलते आए लोगों के लिए है. इन लोगों को नागरिकता तो मिलेगी ही साथ ही इनका जीवन स्तर सुधारने के लिए एक कल्याण बोर्ड भी बनेगा.

वार्ता में पाकिस्तान से शरणार्थी के रूप में आई आरती ने अपनी 20 दिन की नवजात शिशु, जिसका नाम ‘नागरिकता’ रखा गया है, के साथ हिस्सा लिया. उन्होंने उल्लेख किया कि यह कानून उन जैसे शरणार्थियों को न्याय प्रदान करता है तथा साथ ही गरिमापूर्ण जीवन जीने का अवसर प्रदान करता है. इस अवसर पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित हो कर भारत आए 100 से ज्यादा शरणार्थियों ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का आभार जताया.

पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त से आए शरणार्थी गोवेर्धन दास मेघवाल ने कहा कि वह अपनी खुशी से भारत नहीं आए, उनके साथ वहां इतना दुर्व्यवहार किया गया है कि शब्दों में बताना मुश्किल है. वह चाहते हैं कि यहां लोग उनका साथ दें तथा उनके लिए बने नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध न करें. पाकिस्तान के सिंध प्रान्त से आए शरणार्थी भाग चंद बेलजी ने कहा कि सिंध, कराची में महिलाओं का अपहरण कर उनका बलात्कार किया जाता है और वहां बलात्कारियों को संरक्षण प्राप्त है. इसलिए उनकी वहां कोई नहीं सुनता. प्रधानमंत्री का आभार प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने हमें नया जीवन दिया है. इसके अतिरिक्त पाकिस्तान से आए शरणार्थी चीतन शर्मा, अर्जुन सिंह, दयाल दास अफगानिस्तान से आए प्यारा सिंह ने अपनी व्यथाओं को भावुकता के साथ सबके सामने रखा.

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