दिल्ली में 650 शाखाओं में मनाई बाबा साहेब की जयंती….
नई दिल्ली. बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर की 129वीं जयंती राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 650 शाखाओं में मनाई. शाखाओं में वर्चुअल तरीके से वीडियो कांफ्रेसिंग ऐप के माध्यम से वक्ताओं ने बाबा साहेब के विचारों पर प्रकाश डाला. भारतीय मजदूर संघ और सामाजिक समरसता मंच द्वारा बाबा साहेब के जन्मदिवस पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया. भारतीय मजदूर संघ ने ई-गोष्ठी का आयोजन किया. गोष्ठी में बाबा साहेब और हमारा सामाजिक दायित्व विषय पर वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि बाबा साहेब का पूरा जीवन सामाजिक भेदभाव और ऊंच-नीच को समाप्त करने में बीता. बाबा साहेब का संघर्ष किसी वर्ण या जाति के खिलाफ नहीं था, बल्कि उनका संघर्ष उस मानसिकता के साथ था जो सामाजिक भेदभाव और ऊंच-नीच को आश्रय देने का काम करती थी.
ऑर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि बाबा साहेब न केवल एक अच्छे शिक्षा शास्त्री और प्रखर कानूनविद थे, बल्कि विदेश नीति के बहुत बड़े जानकार थे. डॉक्टर हेडगेवार और बाबा साहेब दोनों ही सामाजिक परिवर्तन के कार्य में लगे थे और दोनों के ही विचार समान थे. बाबा साहेब मुस्लिम लीग की दो राष्ट्र वाली नीति के सख्त विरोधी थे और वामपंथियों को उन्होंने वर्ग संघर्ष का सबसे बड़ा दुश्मन बताया था. आज बाबा साहब के बताए मार्ग पर चलकर ही हम राष्ट्र को मजबूत बना सकते हैं.
बाबा साहेब द्वारा मुस्लिम लीग, पाकिस्तान, वामपंथ और कांग्रेस का जिस तरह विरोध किया गया, उन पर संघ के चिंतक समय-समय पर अपने विचार व्यक्त करते रहे हैं. सामाजिक समरसता मंच ने 9 से 14 अप्रैल तक आम्बेडकर सेवा सप्ताह का आयोजन किया. इस दौरान कोरोना योद्धाओं को सम्मानित किया गया. समरसता मंच के कार्यकर्ताओं ने सफाई कर्मचारियों, पुलिस कर्मियों, डॉक्टरों एवं नर्सों और सुरक्षा कर्मचारियों को माला पहला कर सम्मानित किया.
सामाजिक समरसता मंच के संयोजक अनिल गुप्ता ने कहा कि आज जब देश कोरोना संकट के दौर से गुजर रहा है, ऐसे वक्त में हम बिना किसी सामाजिक भेदभाव के हर व्यक्ति की सेवा करें, यही मार्ग बाबा साहेब ने भी दिखाया था. सामाजिक स्तर पर ऊंच-नीच का भेद मिटा कर लोगों की सेवा करना ही सच्ची राष्ट्रभक्ति है.