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भारत देवभूमि है, ऋषियों के तप से विश्व कल्याण के लिए इस राष्ट्र का निर्माण हुआ है – गोपाल कृष्ण जी

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कच्छ गुजरात...कच्छ, गुजरात (विसंकें). सीमा जन कल्याण समिति गुजरात द्वारा भुज कच्छ में 12 जून को प्रांत कार्यालय तथा छात्रावास का उद्घाटन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अखिल भारतीय सीमा जागरण मंच के संगठन मंत्री गोपाल कृष्ण जी ने कहा कि भारत की अस्मिता अन्य देशों से अलग है. यह देवभूमि है. इस देश की सीमाएं मानव निर्मित नहीं हैं, वरन् ऋषियों के तप द्वारा विश्व कल्याण के लिए इस राष्ट्र का निर्माण हुआ है.

उन्होंने कहा कि इस देश की सीमा पर पहला हमला एलेक्जेंडर ने किया. उस समय सीमावर्ती राजा के नेतृत्व में उस राज्य के नागरिकों ने उसका जमकर मुकाबला किया और उसे वापिस जाना पड़ा. भारत देश की सीमाएं उस समय अधिक सुरक्षित थीं, नागरिक अधिक जागरूक थे. भाषा के नाम पर, मजहब के नाम पर बंटवारा नहीं था. पूरे भारत की सोच एक जैसी थी. तिब्बत को छोड़कर सभी पड़ोसी देश भारत का ही भाग थे. लेकिन अंग्रेजों के साथ-साथ हमारे देश में बंटवारा आया. 1905 में बंगाल के विभाजन के विरुद्ध एकजुट खड़ा रहने वाला समाज बाद में मजहब, भाषा के नाम पर एक-दूसरे के सामने आ गया और देश खंडित हो गया. हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन द्वारा हमारे देश को खंडित करने के प्रयास हो रहे हैं. सीमा क्षेत्र के नागरिक जागरूक नहीं हैं, तभी यह संभव है. गुजरात, राजस्थान, पंजाब आदि के नागरिक इस विषय पर बहुत जागरूक हैं, लेकिन मणिपुर, मेघालय, नागालैंड में स्थिति विपरीत है, नागालैंड लगभग पूरा ईसाई बन चुका है. अंग्रेजों ने आजादी से पहले से ही वहां बड़ी संख्या में मतांतरण कराया, जिस के कारण आज वहां के मूल निवासी अपनी संस्कृति, सभ्यता आदि भूलते जा रहे हैं. लेकिन फिर भी वहां के नागरिकों के मन में यह स्वाभिमान तो है कि मैं भारतीय हूं. आज सीमावर्ती लोगों के मन में भारत के प्रति जो श्रद्धा होनी चाहिए, उसे समाप्त करने के लिए बहुत से देशद्रोही संगठन कार्यरत हैं.

कच्छ गुजरात....उन्होंने कहा कि समुद्री सीमाओं पर गोवा, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु आदि राज्यों में ईसाई संस्थाओं द्वारा मतांतरण हुआ है. जब हिन्दू धर्मांतरित होता है तो वह राष्ट्र के विरुद्ध की गतिविधियों में शामिल हो जाता है. यह नहीं होना चाहिए, इसके लिए सीमा जन कल्याण समिति के कार्यकर्ता सीमा क्षेत्र के पिछड़े हुए लोगों को संस्कार, सुविधा आदि देने का कार्य करते हैं. नागालैंड, असम, त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर राज्यों के बहुत से छात्र भारत के विभिन्न राज्यों मे छात्रावास में रहकर अध्ययन कर रहे हैं. नागालैंड में तो हमारे छात्रावास में रहकर पढ़ने वाले कई छात्र आईएस (I.A.S.) बने हैं.

इसलिए राष्ट्र की सुरक्षा के लिए विभिन्न माध्यमों से समाज को तैयार करना यह हमारा कार्य है. सुरक्षा बल जैसे B.S.F., Cost Gaurd आदि प्रथम पंक्ति में आते हैं, लेकिन उसके पीछे जागृत समाज भी होना चाहिए. सीमा जन कल्याण समिति द्वारा राष्ट्र रक्षा के लिए सभी को एकजुट करना, राष्ट्र के प्रति श्रद्धा जगाना, समाज के अंदर अपनापन लाना और मतांतरण द्वारा जो जनसंख्या असुंतलन आता है उसे रोकना सहित अन्य काम हो रहे है.

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प.पू. 1008 श्री कनीराम दासजी महाराज (श्री वडवाला मंदिर, दूधरेज-सुरेन्द्रनगर), सीमा क्षेत्र  I.G.P. गुजरात रेंज एके. जाडेजा जी तथा डॉ. जयंतीभाई भाड़ेसिया ( सीमा जनकल्याण समिति के अध्यक्ष तथा क्षेत्र संघचालक) सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे.

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