रांची. (विसंके). हजारीबाग में भी धर्मांतरण का मामला जोर पकड़ने लगा है. 6 जुलाई को रोमी गांव से नाबालिग लड़की के अपहरण और धर्मांतरण मामले में हजारीबाग पुलिस कोई कार्रवाई अब तक नहीं कर पाई है. पुलिस के ढुलमुल रवैये के विरोध में बजरंग दल ने मंगलवार को हजारीबाग बंद का आह्वान किया है.
बंद की पूर्व संध्या पर सैकड़ों लोगों ने मशाल जुलूस निकालकर पुलिस विरोधी नारे लगाये. बंद को लेकर प्रतिवाद मार्च निकाल रहे बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है. कहा कि पेलावल ओपी में धर्मांतरण के बाद नाबालिग का अपहर्ताओं के नाम प्राथमिकी में हैं, किंतु इसके बावजूद पुलिस उन लोगों को गिरफ्तार नहीं कर रही है. जबकि छोटे-मोटे मामलों में पुलिस आम और शरीफ व्यक्तियों को घर से उठाकर ले जाती है. झारखंड पुलिस की ये स्थित है कि जब तक जनाक्रोश नहीं पनपता वह कान में तेल डालकर सोई रहती है.
पलामू जिले के चैनपुर क्षेत्र के क्न्कारी गाँव के आफताब अंसारी और इदु मियाँ नामक दो अपराधियों ने उसी गाँव के एक हिन्दू परिवार से माँ और उसकी बेटी को घर से उठाकर ले गये. बेटी किसी प्रकार अपराधियों के चंगुल से बचकर निकल आई. किन्तु माँ के साथ अपराधी आफताब और इदु मियां ने शारीरिक शोषण किया और धमकाया कि यदि किसी को बताया तो अंजाम बुरा होगा. लेकिन महिला ने भयाक्रांत होने के बजाय मामले की रिपोर्ट कराने का निश्चय किया. जब वह रिपोर्ट दर्ज कराने थाने गयी तो उस पर पुलिस द्वारा सुलह करने का दवाब बनाया जाने लगा. मामले की जानकारी जब लोगों को मिली तो क्रुद्ध जनता ने रोड जाम कर पुलिस के रवैये का विरोध किया. जनदबाव के बाद कहीं जाकर मामला दर्ज हुआ.
झारखंड में अपराधी और पुलिस की दोस्ती में न्यायिक साठ-गांठ अपराध को चरम पर पहुंचा रही है. पुलिस की कार्यशैली के कारण किसी भी समय झारखंड में दो समुदायों के बीच अनहोनी घट सकती है, क्योंकि जिस ढंग से हिन्दुओं की इज्ज़त के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, उससे विस्फोटक स्थिति बनती जा रही है.