मेरठ (विसंकें). लाला लाजपतराय भारत की आजादी के महान नायक थे. उन्होंने एक बार कहा था अंग्रेजों के सामने गिड़गिड़ाने से हमें आजादी नहीं मिलेगी, हमें मजबूत होकर इनका विरोध करना होगा. राष्ट्रदेव पत्रिका के सम्पादक अजय मित्तल ने गुरूवार को लाला लाजपत राय की जयन्ती के अवसर पर सूरजकुण्ड स्थित विश्व संवाद केन्द्र, मेरठ द्वारा आयोजित एक विचार गोष्ठी में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जब भारत आजादी के लिए लड़ रहा था, तब लालाजी ने लड़ाई में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पूर्ण स्वराज की चाह रखने वाले लाजपत तुष्टीकरण के घोर विरोधी थे. यहां तक कि कांग्रेस में उस जमाने में बढ़ रहे छद्म सेकुलरवाद का विरोध करने वाले वे पहले नेता थे. उन्होंने देश को आर्थिक मजबूत बनाने के लिये बैंकों की स्थापना की.
लाला जी के सामाजिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए देवेन्द्र कुमार ने कहा कि वे सच्चे समाजसेवी राष्ट्रभक्त थे. जब मध्यप्रदेश में अकाल पड़ा तो इसाई अपने आश्रमों में बच्चों को शरण देकर उनका ईसाईकरण कर रहे थे. इसके विरोध में लाला लाजपत राय ने आन्दोलन चलाकर धर्मांतरण को रोका और कई अनाथालय खोले. साइमन कमीशन के विरोध में जब उन पर अंग्रेजों द्वारा लाठियां बरसाईं, तब उन्होंने कहा था ‘‘ मेरे शरीर पर पड़ने वाली एक-एक लाठी अंग्रेजी शासन के ताबूत में लगी कील के बराबर हैं.’’ पत्रकार के रूप में उन्होंने वन्देमातरम् और यंग इण्डिया समाचार पत्र को आरंभ किया था. गोष्ठी में चौ. चरण विवि के पत्रकारिता विभाग के समन्वयक मनोज कुमार ने कहा कि लाला लाजपत राय जैसे महान क्रांतिकारी के जीवन से युवा पीढ़ी को प्ररेणा लेनी चाहिए. वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र कुमार ने कहा कि उनके जीवन का कालखण्ड भी एक इतिहास है. जिसे समाज के हर तबके को ध्यान रखना होगा. कार्यक्रम का संचालन विश्व संवाद के प्रमुख प्रशांत शर्मा ने किया.