वाराणसी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि स्वयं खुश रहना तथा दूसरों को खुशी देना ही इबादत है. दुनिया में संघर्ष नफरत के कारण होता है और जहन साफ हो तो संघर्ष नहीं होगा. अच्छी तहजीब समाज में फैलनी चाहिये, जिससे कल्याण हो. हिंदुस्तानी तहजीब और इस्लाम की रोशनी में देखेंगे तो संघर्ष से छुटकारे का रास्ता मिलेगा. नबी और रसूलों ने जननी, जन्मभूमि के प्रति प्रेम की सीख दी है. नागरिकता और राष्ट्रीयता का मापक देश के नाम से ही सुनिश्चित होता है, कोई भी जाति या परंपरा से नाम नहीं है, केवल वतन से नाम तय होता है. इसलिये वतन से बेवफाई नहीं होनी चाहिये, वतन परस्ती ही सबसे बड़ा धर्म है. वतन से बड़ा कोई नहीं है.
विशाल भारत संस्थान द्वारा पराड़कर स्मृति भवन में मुस्लिम बुद्धिजीवी संवाद एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया था. इंद्रेश कुमार संगोष्ठी में बुद्धिजीवियों को संबोधित कर रहे थे. नेता जी सुभाष चंद्र बोस के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन के साथ संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ. इंद्रेश कुमार का मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने गुलाब के फूलों से स्वागत किया.
उन्होंने कहा कि सार्वभौमिकता को समझने के लिये रसूल साहब ने फरमाया है कि वतन के लिये किये गए बलिदान से ही इमान तय होता है. जननी एवं जन्मभूमि के प्रति वफादारी श्रेष्ठ ईमान है. ईश्वर एक है, वह दुनिया की हर जुबान समझता है. वतन से मुहब्बत करने वालों का सम्मान संपूर्ण देश करता है. दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया में भी सनातनी नाम, गरुड़, गणपति के प्रतीक चिंह उपयोग किये जाते हैं. यह हकीकत है कि वहां के लोग तहजीब से सनातनी हैं, पर धर्म से इस्लाम को मानते हैं. पूर्वजों को भूलना इंसाफ नहीं, जड़ों में खून, मालिक, पुरखे सब एक हैं, मजहब से राष्ट्रीयता नहीं होती है.
संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि मदरहलीमा स्कूल के प्रबंधक नोमान हसन खान ने कहा कि हिंदू मुस्लिम के बीच नफरत फैलाने वालों का एकमात्र उद्देश्य यही है कि देश विकास न कर पाये, राष्ट्र का विकास सभी धर्मों के सम्मान तथा संविधान का आदर करने से ही होगा.
एसएम इंटर कालेज गाजीपुर के प्रबंधक इम्तियाज अहमद ने कहा कि देश के लिये कुर्बानी देना हर मुसलमान के लिये गर्व का विषय है, यह मुल्क हमारा है, इस मुल्क से मुहब्बत करने वाला ही सच्चा हिंदुस्तानी है.
हाजी जमाल अहमद नोमानी ने कहा कि वतन केवल उन्हीं का है जो वतन के काम आए. जिसमें वतन के प्रति मोहब्बत नहीं, वह ईमानदार नहीं.
शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता फरमान हैदर ने कहा कि भारत में स्पोर्टसमैन की भावना से काम करना चाहिये, एक टीम में कोई हिंदू मुसलमान नहीं होता. सैय्यद हैदर अब्बास ने कहा कि लोग उसे ही याद रखेंगे, जो मुल्क के लिये मिटने का जज्बा रखेगा, हम भारतीय होने की पहचान को आगे बढ़ाएं, ताकि एक दूसरे की ताकत बन सकें.
संगोष्ठी में हिंदू मुस्लिम एकता के लिये कार्य करने वाली सात हस्तियों को सामाजिक समरसता पुरस्कार-2015 से सम्मानित किया गया. जिनमें संस्थान के अध्यक्ष मो अजहरुद्दीन, रियाजुल हक अंसारी, शहंशाह कमाल, पायल सोनी, पवित्रा दहाल, डॉ मंजू द्विवेदी, निसार अली शामिल हैं. संगोष्ठी का संचालन डॉ राजीव श्रीवास्तव ने किया, धन्यवाद ज्ञापन डॉ निरंजन श्रीवास्तव ने रखा. संगोष्ठी के पश्चात मुस्लिम प्रतिनिधियों से व्यक्तिगत संवाद भी हुआ.