जोधपुर (विसंकें). पुनरुत्थान विद्यापीठ अहमदाबाद की संयोजक इन्दुमति काटदरे ने कहा कि शिक्षा का प्रभाव व्यक्ति, समाज, राष्ट्र एवं राष्ट्र व्यवस्था पर पड़ता है. वर्तमान शिक्षा पद्धति में चिंतन की शुरुआत सबसे पहले शिक्षक वर्ग द्वारा की जानी चाहिए. वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर पुनर्चिन्तन की आवश्यकता है, और इसके लिए शिक्षकों को बीड़ा उठाना होगा. वह मरू विचार मंच तथा विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक मंच के संयुक्त तत्वाधान में लाचू कॉलेज में “भारतीय शिक्षा की संकल्पना एवं शिक्षकों की भूमिका ” विषयक व्याख्यान में संबोधित कर रही थीं.
काटदरे ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर व्यावसायिकता एवं पाश्चात्यीकरण हावी होता जा रहा है. जिसके कारण ज्ञान का संकुचन हो रहा है. उन्होंने भारतीय शिक्षा पद्वति व् शिक्षा के धर्म शास्त्र से जुड़ाव पर बल दिया. विषयों के अंर्तसंबंध, भारतीय शिक्षा की ज्ञानात्मकता एवं व्यवहारिक व्यवस्था तथा जीवन दर्शन को समाहित करने को रेखांकित किया.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष प्रो बीएल चौधरी ने वर्तमान शिक्षा पद्धति के असन्तोष हेतु बदलती संस्कृति, सामाजिक परिवर्तन एवं शिक्षा प्रणाली को जिम्मेदार बताया. उन्होंने शिक्षकों से स्वयं के उत्तरदायित्व को भली भांति निभाने का आह्वान किया.
जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रो कैलाश सोढाणी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. शिक्षक के सम्मान एवं उनकी भूमिका तथा प्रतिस्पर्धात्मक शिक्षा प्रणाली के बारे में विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम के प्रारम्भ में मरू विचार मंच के प्रान्त संयोजक डॉ जीएन पुरोहित ने स्वागत किया, व्याख्यान के महत्त्व की आवश्यकता को प्रतिपादित किया. डॉ. तेजेन्द्र वल्लभ व्यास ने आभार व्यक्त किया.