नई दिल्ली. रष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख अनिरुद्ध देशपांडे जी ने वामपंथियों द्वारा भारत को बांटने के प्रयासों की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि ऐसी प्रवृत्तियों से सावधान रहने और उनका प्रतिकार करने की आवश्यकता है. दिल्ली में आयोजित ‘भारत बोध’ सम्मेलन के तीसरे दिन समापन सत्र में अनिरुद्ध जी ने कहा कि छोटी-छोटी अस्मिताएँ हैं, पर साथ अपने यहां एक अखंड अस्मिता भी है जो सबको जोड़कर रखने का आधार है. आज एक खास वर्ग इन छोटी-छोटी अस्मिताओं को अखंड अस्मिता पर हावी कर देने में प्रयासरत है जो देश और समाज के लिए खतरनाक है.
उन्होंने कहा कि आज हमारे पराक्रमी पुरूषों के जीवन चरित्र पर आघात हो रहा है. छत्रपति शिवाजी की मृत्यु पर बेकार में सवाल खड़ा करने के प्रयास किए गए. ऐसा करने की क्या जरूरत है ? वास्तव में कुछ ऐसे लोग हैं जो भारत की हर चीज़ में कोई न कोई कमी देखते हैं और उसे बढ़ा चढ़ाकर बताने का प्रयास करते हैं. ऐसे प्रयासों की पहचान कर उनका भी निदान करने की जरूरत है.
आधुनिकता के नाम पर हमें भोगवाद की ओर धकेला जा रहा है. आधुनिकता से हमारा कोई बैर नहीं. दूसरे देशों में जो भी अच्छा हो रहा है, उसे अपनाना चाहिए. लेकिन इस संदर्भ में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के इस सूत्र को ध्यान में रखना चाहिए कि जो भी युगानुकूल है, उसे देशानुकूल बनाना है.
इससे पूर्व वामनराव गोगटे जी ने सम्मेलन में आयोजित गतिविधियों के बारे में बताया कि इसमें लगभग दो दर्जन राज्यों से प्रतिनिधियों ने भागीदारी की. कुल लगभग 450 लोगों ने सम्मेलन में भाग लिया, कुल 31 सत्र हुए, 125 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए. इनमें से सबसे अधिक 33 शोधपत्र विज्ञान व प्रौद्योगिकी विषय पर थे, इसके अलावा कला क्षेत्र पर 12, शिक्षा पर 13, धर्म-संस्कृति पर 11 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए. सम्मेलन में कई देशों से शिक्षाविदों व बुद्धिजीवियों ने भाग लिया. सम्मेलन का आयोजन भारतीय शिक्षण मंडल व इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्विद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में किया गया था.