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वैचारिक असहिष्णुता के झंडा-बरदारों की चुप्पी चिंता जनक – अशोक पांडे जी

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भोपाल (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्यभारत प्रांत के सह संघचालक अशोक पांडे जी ने कहा कि केरल में स्वयंसेवकों पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं, अब तक लगभग 80 लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं. जबकि 100 से अधिक लोगों को शारीरिक क्षति पहुंची है. केरल प्रांत के अंदर राष्ट्रवादी ताकतों के उभार से घबराए मार्क्सवादी इन घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. वह विश्व संवाद केन्द्र, भोपाल में आयोजित पत्रकार वार्ता में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि संघ भ्रातृत्व के भाव और सेवा भावना पर आधारित सामाजिक संगठन है. इसलिए हर वर्ष अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल में देश, समाज के विषयों पर अपना अभिमत प्रकट करता है. जिसमें पारित प्रस्ताव के माध्यम से संघ जनमत और सरकारों से चिंतन करने का आग्रह करता है. जब राष्ट्र भक्तों पर केरल में हमले हो रहे हैं, तब जेएनयू सहित देशभर में विभाजनकारी और राष्ट्र विरोधी तत्वों के पक्ष में पैरवी करने वाले वैचारिक असहिष्णुता के झंडाबरदारों ने चुप्पी साध रखी है, यह चिंताजनक और शर्मनाक है.

उन्होंने बताया कि हैदराबाद में संपन्न राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में पारित पहले प्रस्ताव में केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी काडर के असहिष्णु और अधिनायकवादी हिंसा की निंदा करते हुए केन्द्र और राज्य सरकारों से दोषी तत्वों के खिलाफ कानूनी कदम उठाने का आग्रह किया है. जबकि दूसरे प्रस्ताव में भारत सहित विश्व में बढ़ रही आर्थिक विषमता, पर्यावरण असंतुलन और आतंकवाद की चुनौती का मुकाबला करने की जरूरत पर बल दिया. इस प्रस्ताव में पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्ममानव दर्शन को युगानुकूल विचार के रूप में विस्तारित करने की आवश्यकता बतायी. क्योंकि भारतीय चिंतन पर आधारित एकात्ममानव दर्शन विश्व को एक इकाई मानता है. दुनिया भर में असफल हो चुके पूंजीवादी और मार्क्सवादी विचार ने समाज को असंतुलित किया है, जबकि भारतीय चिंतन वैदिक काल से ही सह अस्तित्व पर आधारित रहा है. जिसमें व्यक्ति, समाज और विश्व को एक इकाई माना है. एकात्ममानव दर्शन साधनों और संसाधनों के अमर्यादित उपभोग को अनावश्यक मानता है.

अशोक जी ने बताया कि सरकार्यवाह जी द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन के अनुसार देश में 33522 स्थानों पर 52102 शाखाएं है. वर्तमान में मध्यभारत में 854 स्थानों पर 1363 शाखाएं हैं. अक्टूबर 2015 की तुलना में मध्यभारत में 70 स्थान एवं 112 शाखाओं की वृद्धि हुई है. संघ के मध्यक्षेत्र में (मालवा, मध्यभारत, महाकौशल, छत्तीसगढ़) 5346 स्थानों पर 7566 शाखाएं हैं.

बैठक में स्वयंसेवकों द्वारा समाज के सहयोग से किये जा रहे विभिन्न कार्यों का भी उल्लेख आया. स्वयंसेवक पर्यावरण संरक्षण, जल संवर्द्धन, सामाजिक समरसता आदि अनेक विषयों पर कार्य करते हैं. बैठक में पंढरपुर से निकलने वाली यात्रा में स्वयंसेवकों के कार्य का उल्लेख किया गया. इस यात्रा में लगभग 08 लाख लोग 32 गांवों में निवास करते हुये पैदल पंढरपुर जाते हैं. यह वारकरी (यात्री) जिन गांवों से गुजरते हैं, वहां खुले में शौच के कारण स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की समस्या खड़ी होती है. स्वयंसेवकों ने इन 32 गावों में चलित शौचालयों का निर्माण कर समस्या का समाधान किया. संघ के 09 हजार स्वयंसेवक इस व्यवस्था में सहभागी हुये और अनुमानतः 60 लाख लीटर सीवेज को खुले में बहने से रोका. संघ प्रतिवर्ष इस दिशा में कार्य करेगा और तीन वर्ष बाद प्रत्येक गांव स्वयं इस प्रकार की व्यवस्था करने में सक्षम हो सके, इसके लिये प्रयत्न करेगा.

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