मेरठ. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डा. मनमोहन वैद्य ने पत्रकारिता के छात्रों एवं शिक्षकों को राष्ट्रीयता का सही पाठ पढ़ाया. हिंदी दिवस के अवसर पर यहां 15 सितंबर को ‘हिंदी पत्रकारिता में राष्ट्रवाद’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि राष्ट्र कोई वाद नहीं, वादातीत सत्य है. इसलिये सही विषय होगा ‘ हिंदी पत्रकारिता में राष्ट्रीयता’ . भारत की राष्ट्रीयता को हिन्दू आध्यात्मिकता की देन बताते हुए उन्होंने कहा कि यहां विविधता में एकता का भाव इस विचार से पनपा है कि सर्वत्र एक ही चेतना व्याप्त है. उन्होंने भारत की राष्ट्रीयता को वैश्विक बताया. भोग के बजाय त्याग इसका आधार है. इसलिये भारत में राष्ट्र की अवधारणा विश्व के अन्य भागों से भिन्न है. वह धर्म आधारित है. डॉ. वैद्य ने स्वामी विवेकानंद के विश्व प्रसिद्ध शिकागो के ऐतिहासिक भाषण का उल्लेख करते हुए कहा कि आध्यात्मिकता भारत की आत्मा है. भारत का दर्शन हरेक व्यक्ति में ईश्वर का अंश होने का विश्वास करता है.
हिंदी पत्रकारिता को राष्ट्रीयता से ओतप्रोत करने को राष्ट्र निर्माण के लिये अपरिहार्य बताते हुए प्रचार प्रमुख ने कहा है कि भारतीय भाषा में ही राष्ट्रीयता की पहचान संभव है. उन्होंने कहा कि देश में भिन्न भाषाभाषी लोगों और अन्य भिन्नताओं के बावजूद मन और आकांक्षायें एक होने पर वैभवशाली-राष्ट्र का निर्माण संभव है. भारत को ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की कामना करने वाला देश बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत की भाषा हिंदी की सभी बातें अंग्रेजी में अनूदित करना संभव नहीं है.
उदाहरण देकर उन्होंने इसे स्पष्ट किया. कहा कि हिंदी व संस्कृत के शब्द ‘धर्म’ का अंग्रेजी में कोई समतुल्य शब्द है ही नहीं. इसके लिये अंग्रेजी में प्रयुक्त शब्द रिलीजन को उन्होंने पूरी तरह गलत बताते हुए कहा कि कि धर्म की भारतीय अवधारणा में इसका आशय उपासना पद्धति से कतई नहीं है. इसी प्रकार, राष्ट्र, राज्य और देश की भारतीय अवधारणायें भी अनूठी एवं विशिष्ट हैं. श्री वैद्य ने पत्रकारिता को अत्यंत गंभीर राष्ट्रीय दायित्व का काम बताते हुए इसे अतिकुशलता पूर्वक करने को समय की आवश्यकता बताया और कहा कि समाचार पत्रों में मात्र नकारात्मक चित्रण राष्ट्र निर्माण में उपयोगी नहीं है. समाचार पत्रों को प्रेरणास्पद और अनुकरणीय कार्यों को प्रकाशित कर अच्छाई को प्रोत्साहित कना चाहिये और अनुकूल वातावरण निर्माण में अपना योगदान करना चाहिये.
आईआईएमटी के अध्यक्ष श्री योगेश मोहन गुप्त ओर प्रबंध निदेशक श्री मयंक अग्रवाल ने पुष्पगुच्छ देकर डॉ. वैद्य का स्वागत किया और उनके आगमन को गौरवान्वित करने वाला व छात्रों के लिये सही मार्गदर्शन देने वाला बताया. कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक कृपा शंकर, प्रांत प्रचारक अजय मित्तल, सह प्रांत प्रचारक ललित और अंग्रेजी साप्ताहिक ऑर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर भी उपस्थित थे. संगोष्ठी के समापन पर आईआईएमटी परिवार की ओर से स्मृति चिन्ह देकर डॉ. वैद्य को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन संजीव कुमार मिश्रा ने किया. कार्यक्रम में निदेशक डॉ. आशीष अग्रवाल, बीजेएमसी विभागाध्यक्ष डॉ. नरेंद्र मिश्रा, बीसीए विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज शर्मा, बीबीए विभागाध्यक्ष डॉ. मयंक जैन सहित बड़ी संख्या में छात्र और शिक्षक सम्मिलित हुये. छात्रों ने डॉ. वैद्य से प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया. एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि हम अंग्रेजी भाषा के गुलाम (स्लेव) न बनकर उसके स्वामी (मास्टर) बनें, पर गर्व हिन्दी पर करें.
श्री योगेश मोहन ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हिन्दी और उसकी पूर्ववर्ती संस्कृत भाषा उस संस्कृति की वाहिका हैं, जिसके आकर्षण में बंधे भगवान भारत की धरती की ओर खिंचे चले आते हैं और अवतार लेते हैं.