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वैश्विक आपदा के समय तुष्टीकरण की राजनीति बंद हो

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मुंबई. पिछले कुछ महीनों से पूरा विश्व कोरोना महामारी के प्रकोप से जूझ रहा है, हजारों जानें जा चुकी हैं और लाखों वायरस की चपेट में आ चुके हैं. हमारे महाराष्ट्र में भी करीब 300 लोग इस वायरस के शिकार हैं और कइयों की जान जा चुकी है, मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी के साथ भारत देश की आर्थिक राजधानी भी है और इसके चलते समूचे विश्व से लोगों का आना जाना मुंबई में लगा रहता. इस महामारी के चलते मुंबई म्युनिसिपल कमिश्नर प्रवीण परदेसी ने 2 दिन पूर्व एक सर्कुलर जारी किया था कि जो कोई मृत्यु कोरोना वायरस की वजह से होती है, उन सभी मृत देह, चाहे वह किसी भी धर्म विशेष के क्यों ना हों, का अग्नि संस्कार किया जाएगा.  परंतु कुछ ही घंटों के भीतर महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से यह घोषित कर दिया कि म्युनिसिपल कमिश्नर द्वारा जारी किए सर्कुलर को रद्द किया जा रहा है.

विश्व हिन्दू परिषद इस आपदा के समय तुष्टीकरण की राजनीति की पूरी तरह से निंदा करता है और यह मांग करता है कि कमिश्नर द्वारा जारी किए सर्कुलर को पुनः लागू किया जाए और नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न किया जाए. समूचे विश्व में यह माना गया है कि अग्नि संस्कार पूर्ण रूप से इस विषाणु वायरस को मारने में वैज्ञानिक तौर से कारगर साबित हुआ है. पूरी दुनिया जानती है कि संक्रमित मृत शरीर को दफनाने से कोरोना वायरस जमीन के अंदर फैलता हुआ पानी के स्रोतों व अन्य स्थानों को प्रदूषित कर सकता है. इसलिए संक्रमित शरीर का दाह संस्कार करना ही एकमात्र उपाय है. दुनिया के सभी देश दाह संस्कार ही कर रहे हैं. इसके बावजूद भारत के मुस्लिम समाज के लोग इनको जबरदस्ती दफना रहे हैं. सरकार को चाहिए कि धर्म और जाति का विचार किए बिना संक्रमण से पीड़ित मृत शरीर को अनिवार्य रूप से दाह संस्कार करने का आदेश दे ताकि इस घातक बीमारी को और अधिक फैलने से रोका जा सके.

श्रीराज नायर, प्रवक्ता

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