करंट टॉपिक्स

शिक्षा मनुष्य के जीवन को अर्थपूर्ण बनाती है – डॉ. मोहन भागवत जी

Spread the love

भारत भारती के वार्षिकोत्सव में महानाट्य जाणता राजा का ऐतिहासिक मंचन

बैतूल, मध्यभारत (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि मनुष्य सोचता है कि पढ़ – लिखकर क्या करूंगा, कितना बड़ा बनुंगा. परंतु विद्या मात्र पेट भरने का साधन नहीं है, सिर्फ आजीविका सिखाने वाली चीज नहीं है. शिक्षा मनुष्य के जीवन में लक्ष्य देती है, शिक्षा मनुष्य के जीवन को अर्थपूर्ण बनाती है, शिक्षा मनुष्य के जीवन में ज्ञान विज्ञान का विकास करती है. सरसंघचालक जी भारत भारती आवासीय विद्यालय जामठी के वार्षिकोत्सव में महानाट्य जाणता राजा के मंचन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि मनुष्यों के विद्यालय – महाविद्यालय सर्वत्र हैं, पशुओं के नहीं हैं क्योंकि पशुओं को सीखने की आवश्यकता नहीं होती. भौतिक जीवन जीने के लिए जो सीखना चाहिए वो बात स्कूल – कॉलेज में सीखने की नहीं होती है. परंतु मनुष्य जीवन जीना चाहता है और जीवन को अच्छा बनाना चाहता है. मनुष्य विचार करता है, उसके मन में प्रश्न होते हैं, जिसके वह उत्तर खोजना चाहता है. मनुष्य को जीवन जीने का उद्देश्य चाहिए. इसलिए मनुष्य के जीवन में शिक्षा महत्वपूर्ण है. सरसंघचालक जी ने कहा कि बाहर की शिक्षा भी जरूरी है क्योंकि इसके बिना काम नहीं चलता है. लेकिन मनुष्य तब वास्तविक रूप से मनुष्य बनता है, जब वह अपने आप को जानता हो. मनुष्य जितना दुनिया से परिचित होता है, उतना उसे स्वयं से भी परिचित होना जरूरी है. उपनिषदों में कहा है कि दोनों क्रियाएं साथ-साथ चलनी चाहिए. अपना जीवन कैसे समृद्ध करना है और प्रकृति को कैसे ठीक रखना है, यह जानना जरूरी है. डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि यदि दुनिया में शाश्वत जीवन प्राप्त करना है तो विद्या का अवलंबन करना होगा. एक तरफ जाने वाला अंधकार में फंसता है और केवल अंदर जाने वाला तो घोर अंधकार में फंस जाता है. इसलिए दोनों को जानकर एवं उपयोग कर अपने जीवन को सार्थक बनाना होगा.

उन्होंने कहा कि लोक कल्याण, विश्व कल्याण के लिए आज कमाई बांटने वालों की जरूरत है. आजकल पालक बच्चों को इंजीनियर, डॉक्टर बनने की प्रेरणा देता है, जिससे पैसा मिलेगा. परंतु पैसे वालों की लिस्ट बहुत लंबी है, सबको मालूम है, परंतु कौन याद रखता है. लेकिन आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए महाराणा प्रताप को अपनी सारी दौलत देने वाले भामाशाह को आज सभी याद रखते हैं. सरसंघचालक जी ने कहा कि दुनिया में राजा महाराजा बहुत हुए, परंतु उन्हें कौन याद रखता है? परंतु पितृवचन के कारण राजपाट छोड़कर 14 वर्षों का वनवास भुगतने वाले रामचंद्र को 8 हजार साल बाद भी याद रखा जाता है. हम मनुष्य हैं और सृष्टि से हमारा रिश्ता है. हमें कमाकर वापिस करना चाहिए. भरपूर कमाई करें, लेकिन अपनी कमाई को न्यूनतम आवश्यकतानुसार अपने पास रखकर बाकी कमाई लोक कल्याण, विश्व कल्याण के लिए दें. ऐसे मनुष्यों को खड़ा करना हमारी परंपरा का आदर्श है.

उन्होंने कहा कि महानाट्य जाणता राजा में छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन आदर्शों का उल्लेख किया है. संकटों को झेलकर शिवाजी ने अपने देश को दुःखों से मुक्त कराया था. उनके पास धन दौलत सैन्य शक्ति सब कुछ था, परंतु स्वयं के लिए नहीं प्रजा के लिए था. उन्होंने आमजन से अपील की कि शिवाजी के आदर्शों, जीवन मूल्य से प्रेरणा लेकर बच्चों को उसका अनुकरण करवाएं.

सरसंघचालक जी ने भारत भारती आवासीय विद्यालय एवं वहां चल रहे प्रकल्पों की मुक्त कंठ से सराहना की. उन्होंने कहा कि भारत भारती में सिर्फ सिलेबस की पढ़ाई नहीं होती है. बल्कि यहां कृषि, पर्यावरण, कला का पाठ भी पढ़ाया जाता है. साथ ही कम्प्यूटर की शिक्षा भी दी जाती है. भारत भारती में आधुनिक तकनीक से लेकर जीवनोपयोगी शिक्षा के साथ ही यहां संस्कार राष्ट्रभक्ति का पाठ भी पढ़ाया जाता है.

भारत भारती विद्यालय जामठी के वार्षिक उत्सव में महानाट्य जाणता राजा के मंचन में मुख्य अतिथि डॉ. मोहन जी का मुकेश खंडेलवाल जी, बुधपाल सिंह जी ने पगड़ी पहनाकर एवं श्रीफल भेंट कर स्वागत किया. कार्यक्रम के अध्यक्ष सेवानिवृत्त प्राध्यापक डॉ. रमेश धोटे जी, विशेष अतिथि उद्योगपति अतुल लड्डा जी का भी स्वागत किया. विद्यालय के प्राचार्य राहुल देव ठाकरे जी ने संस्था का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *